पीएम मोदी ने किया 32वें ICAE का उद्घाटन, कहा ‘भारत वैश्विक खाद्य और पोषण सुरक्षा के लिए समाधान ढूंढ रहा है’

नई दिल्ली प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज दिल्ली में राष्ट्रीय कृषि विज्ञान केंद्र (NASC) परिसर में कृषि अर्थशास्त्रियों के 32वें अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन आईसीएई (International Conference of Agricultural Economists) का उद्घाटन किया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि हम किसानों के जीवन में सुधार लाने के उद्देश्य से सुधारों और उपायों के साथ कृषि […]

पीएम मोदी ने किया 32वें ICAE का उद्घाटन, कहा ‘भारत वैश्विक खाद्य और पोषण सुरक्षा के लिए समाधान ढूंढ रहा है’

नई दिल्ली

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज दिल्ली में राष्ट्रीय कृषि विज्ञान केंद्र (NASC) परिसर में कृषि अर्थशास्त्रियों के 32वें अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन आईसीएई (International Conference of Agricultural Economists) का उद्घाटन किया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि हम किसानों के जीवन में सुधार लाने के उद्देश्य से सुधारों और उपायों के साथ कृषि क्षेत्र को मजबूत कर रहे हैं। इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ एग्रीकल्चरल इकोनॉमिस्ट्स द्वारा आयोजित त्रिवार्षिक कार्यक्रम 2 से 7 अगस्त, 2024 तक चलेगा और 65 वर्षों के बाद भारत में इसका आयोजन किया जा रहा है।

‘भारतीय कृषि परंपरा में विज्ञान को प्राथमिकता’

ICAE के उद्धाटन अवसर पर पीएम मोदी ने कहा कि ‘भारत जितना प्राचीन है उतनी ही प्राचीन कृषि और भोजन को लेकर हमारी मान्यताएं और हमारे अनुभव हैं। भारतीय कृषि परंपरा में विज्ञान को प्राथमिकता दी गई है। आज दुनिया में भोजन और पोषण को लेकर बहुत चिंता है। लेकिन, हजारों साल पहले, हमारे शास्त्रों में कहा गया है कि भोजन सभी पदार्थों में सर्वश्रेष्ठ है। हमारे ग्रंथों में कहा गया है कि सभी पदार्थों में अन्न श्रेष्ठ है इसलिए अन्न को सभी औषधियों का स्वरूप उनका मूल कहा गया है। हमारे अन्न को औषधीय प्रभावों के साथ इस्तेमाल करने का पूरा आयुर्वेद विज्ञान है। भारत, मिलेट्स का दुनिया का सबसे बड़ा उत्पादक है। जिसे दुनिया सुपरफूड कहती है उसे हमने श्रीअन्न की पहचान दी है।’

‘भारत वैश्विक खाद्य और पोषण सुरक्षा के लिए खोज रहा है समाधान’

32वें इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ एग्रीकल्चरल इकोनॉमिस्ट्स के उद्घाटन समारोह में बोलते हुए पीएम मोदी ने कहा कि ‘भारत में कृषि से जुड़ी शिक्षा और अनुसंधान से जुड़ा एक मजबूत इकोसिस्टम बना हुआ है। इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च के ही 100 से ज्यादा रिसर्च संस्थान हैं। भारत में कृषि और उससे संबंधित विषयों की पढ़ाई के लिए 500 से ज्यादा कॉलेज हैं। भारत में 700 से ज्यादा कृषि विज्ञान केंद्र हैं जो किसानों तक नई तकनीक पहुंचाने में मदद करते हैं।’ उन्होंने कहा कि  पिछली बार जब ICAE सम्मेलन भारत में हुआ था वो भारत की कृषि और खाद्य सुरक्षा को लेकर चुनौतीपूर्ण समय था। भारत को नई-नई आज़ादी मिली थी। लेकिन अब भारत एक खाद्य अधिशेष वाला देश है। आज भारत दूध, दाल और मसालों का सबसे बड़ा उत्पादक है। आज भारत वैश्विक खाद्य सुरक्षा और वैश्विक पोषण सुरक्षा के समाधान देने में जुटा है।’
‘कृषि के क्षेत्र में डिजिटल तकनीक का उपयोग ‘

प्रभानमंत्री ने कहा ‘भारत में हम कृषि क्षेत्र में डिजिटल तकनीक का उपयोग कर रहे हैं। पीएम किसान सम्मान निधि के तहत, 10 करोड़ किसानों के बैंक खातों में केवल 30 सेकंड में एक क्लिक द्वारा धनराशि स्थानांतरित की जाती है। हम डिजिटल फसल सर्वेक्षण के लिए डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे का विकास कर रहे हैं। हमारे किसानों को रियल टाइम इन्फ़ॉर्मेशन मिलेगी और वो और वे डेटा आधारित निर्णय लेने में सक्षम होंगे।’ उन्होंने कहा कि सरदार वल्लभभाई पटेल एक किसान नेता थे जिन्होंने किसानों के उत्थान में योगदान दिया और भारत के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान उन्हें मुख्यधारा में ले आए। भारत में हमारे पास उनकी प्रतिमा है स्टैच्यू ऑफ यूनिटी जो दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा है। ये स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी से दोगुनी ऊंची है। इसके निर्माण के लिए हमने देश के छह लाख गावों से किसानों द्वारा खेतों में उपयोग किए जाने वाले लोहे के उपकरण एकत्र किए गए हैं और मूर्ति बनाने में उनका उपयोग किया गया है।