गर्भावस्था में फ्रूट जूस और सोडा वाली ड्रिंक खतरनाक! बच्चे पर पड़ सकता है असर

प्रेग्नेंसी का समय हर महिला के लिए खास होता है। इस समय महिला को हेल्दी डाइट लेनी चाहिए जिससे उसकी हेल्थ और बच्चे की हेल्थ अच्छी रहे। प्रेगनेंसी में महिलाओं को काफी हॉर्मोनल बदलाव होते रहते हैं, जिसका असर महिला के खाने-पीने की आदत और मूड पर भी पड़ता है। महिला को प्रेगनेंसी के समय […]

गर्भावस्था में फ्रूट जूस और सोडा वाली ड्रिंक खतरनाक! बच्चे पर पड़ सकता है असर

प्रेग्नेंसी का समय हर महिला के लिए खास होता है। इस समय महिला को हेल्दी डाइट लेनी चाहिए जिससे उसकी हेल्थ और बच्चे की हेल्थ अच्छी रहे। प्रेगनेंसी में महिलाओं को काफी हॉर्मोनल बदलाव होते रहते हैं, जिसका असर महिला के खाने-पीने की आदत और मूड पर भी पड़ता है। महिला को प्रेगनेंसी के समय कई बार तीखा, मीठा खाने या आइस्क्रीम, चॉकलेट, सोडा जैसी चीजें खाने-पीने का करता है। सोडा शरीर के लिए काफी नुकसानदायक होता है। प्रेगनेंट महिला जब कुछ भी खाती है, तो इसका असर शिशु पर भी पड़ता है। सोडा पीने से शिशु की सेहत को भी नुकसान पहुंचता है। आइए जानते हैं प्रेगनेंसी में सोडा पीने के नुकसान के बारे में।

एक नई रिसर्च में यह बात सामने आई है कि प्रेग्नेंसी के दौरान जो महिलाएं शुगरी ड्रिंक्स का सेवन करती हैं उनके होने वाले बच्चों में कई तरह की समस्याएं देखने को मिलती हैं.

peer-reviewed journal Nutrients  में प्रकाशित स्टडी के मुताबिक, जो महिलाएं प्रेग्नेंसी के दौरान अधिक मात्रा में शुगरी ड्रिंक्स का सेवन करती हैं उन महिलाओं और उनके होने वाले बच्चों पर इसका काफी बुरा असर देखने को मिलता है.

यह सर्वे अप्रैल और जून 2022 और 2023 में किया गया. इस सर्वे में 4 हजार से अधिक गर्भवती महिलाओं को शामिल किया गया. सर्वे के दौरान इन सभी गर्भवती महिलाओं को फ्रूट जूस, कार्बोनेटेड ड्रिंक्स जैसे फ्रिजी ड्रिंक्स, सोडा, जूस और दूध वाली ड्रिंक्स दी गई. 

इस सर्वे के अंत में यह देखा गया कि जिन महिलाओं ने अधिक मात्रा में शुगरी ड्रिंक्स का सेवन किया उन्हें प्रेग्नेंसी के दौरान डायबिटीज की समस्या से जूझना पड़ा. प्रेग्नेंसी में होने वाली डायबिटीज की समस्या को जेस्टेशनल डायबिटीज कहा जाता है. जेस्टेशनल डायबिटीज होने पर बच्चे का वजन सामान्य से ज्यादा हो सकता है जिस कारण डिलीवरी के दौरान कई तरह की समस्याओं का भी सामना करना पड सकता है. इसके अलावा जेस्टेशनल डायबिटीज होने पर बच्चे का समय से पहले जन्म और पीलिया की दिक्कत भी हो सकती है.

सर्वे के दौरान जिन महिलाओं ने हफ्ते में 3 बार शुगरी ड्रिंक्स का सेवन किया उनमें जेस्टेशनल डायबिटीज का खतरा 38 फीसदी ज्यादा पाया गया. साथ ही इन महिलाओं में जेस्टेशनल हाइपरटेंशन का खतरा भी 64 फीसदी ज्यादा पाया गया. 

सर्वे में यह भी पाया गया कि प्रेग्नेंसी के दौरान शुगरी ड्रिंक्स का सेवन ज्यादा करने से भ्रूण को खून की पर्याप्त मात्रा नहीं मिल पाती जिस कारण उसकी ग्रोथ पर इसका काफी बुरा असर पड़ता है. साथ ही,  इसकी वजह से प्रीमैच्योर डिलीवरी का खतरा बढ़ जाता है.

हफ्ते में चार बार इन शुगरी ड्रिंक्स का सेवन करने से मैक्रोसोमिया का खतरा भी काफी बढ़ जाता है, एक ऐसी स्थिति जिसमें नवजात शिशु औसत से बहुत बड़ा होता है. इस सर्वे के अंत में रिसर्चर्स ने कहा कि प्रेग्नेंसी में बहुत अधिक मात्रा में शुगरी ड्रिंक्स का सेवन करने से जेस्टेशनल डायबिटीज और जेस्टेशनल हाइपरटेंशन की समस्या का खतरा काफी ज्यादा बढ़ जाता है. साथ ही इससे मैक्रोसोमिया की समस्या का भी सामना करना पड़ता है. 

 रिसर्चर्स ने यह भी बताया कि प्रेग्नेंसी के दौरान किसी भी तरह की समस्या से बचने के लिए जरूरी है कि महिलाएं अपने खानपान का खास ख्याल रखें और हेल्दी चीजों का ज्यादा से ज्यादा मात्रा में सेवन करें.

प्रेगनेंसी में सोडा पीने के नुकसान

कैफीन

सोडा में कैफीन की मात्रा काफी ज्यादा पाई जाती है, जो सेहत के लिए नुकसानदायक होती है। सोडा पीने से अनिद्रा की समस्या के साथ ब्लड प्रेशर की समस्या भी हो सकती है। कैफीन का सीधा असर शिशु की सेहत पर भी पड़ता है। ज्यादा कैफीन के सेवन से बच्चे को पैदा होते समय सांस लेने में तकलीफ भी हो सकती है। सोडा पीने से महिला के शरीर में पानी की कमी भी हो सकती है। वहीं इसके वजह से महिला को पेट खराब भी हो सकता है।

चीनी की ज्यादा मात्रा

सोडा में चीनी की मात्रा काफी ज्यादा पाई जाती है, जो महिला और शिशु दोनों के लिए सही नहीं होती। प्रेगनेंसी में ज्यादा चीनी की मात्रा लेने से ब्लड शुगर लेवल बढ़ता है और मिस्कैरिज की संभावना भी बढ़ती है। प्रेगनेंसी में चीनी ज्यादा खाने से शिशु में जन्म के समय भी कई समस्याएं हो सकती हैं।

आर्टिफिशियल कलर

सोडा को कलर देने के लिए इसमें आर्टिफिशियल कलर का इस्तेमाल किया जाता है, जो सेहत के लिए काफी हानिकारक होता है। इस आर्टीफिशयल कलर में मीठा होने के साथ फॉस्फोरिक एसिड होता है, जो प्रेगनेंसी के समय लेने से महिला की हड्डियों को कमजोर बना सकता है। नियमित सोडा पीने से शरीर में कैल्शियम प्रभावित होता है, जो बच्चे की हड्डियों को भी कमजोर करता हैं।