सुप्रीम कोर्ट का एनकाउंटर स्पेशलिस्ट प्रदीप शर्मा को चुनाव लड़ने की अनुमति देने से साफ इनकार
नई दिल्ली सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई पुलिस के पूर्व एनकाउंटर स्पेशलिस्ट प्रदीप शर्मा को चुनाव लड़ने की अनुमति देने से साफ इनकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 2006 एनकाउंटर मामले में उनकी भूमिका अब भी संदेह में है। ऐसे में उन्हें आरोप मुक्त नहीं किया जा सकता है। जस्टिस आर महादेवन की […]
नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई पुलिस के पूर्व एनकाउंटर स्पेशलिस्ट प्रदीप शर्मा को चुनाव लड़ने की अनुमति देने से साफ इनकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 2006 एनकाउंटर मामले में उनकी भूमिका अब भी संदेह में है। ऐसे में उन्हें आरोप मुक्त नहीं किया जा सकता है। जस्टिस आर महादेवन की बेंच ने कहा, आपकी अभी वह स्थिति नहीं है कि संदेह की स्थिति में फायदा दिया जाए। पर्याप्त ऐसे सबूत हैं जो कि आपके खिलाफ संदेह पैदा करते हैं। इसके अलावा आप जमानत पर हैं। सीनियर वकील मुकल रोहतगी और सिद्धार्थ लूथरा शर्मा की तरफ से कोर्ट में पेश हुए थे। उन्होंने कहा कि पहली बार नहीं है जब वह चुनाव लड़ने की इजाजत मांग रहे हैं। रोहतगी ने कहा, याचिकाकर्ता एक एनजीओ भी चलाते हैं और एक रिटायर्ड पुलिस अधइकारी हैं। ऐसे में इन तथ्यों पर ध्यान देते हुए उन्हें चुनाव लड़ने की अनुमति दी जाए।
1k लोगों ने हिस्सा लिया
बेंच ने कहा, आपको बहुत-बहुत शुभकामना। लेकिन ये जमानत पर बाहर रहकर चुनाव नहीं लड़ सकते। इसके बाद बेंच ने रोहतगी को ऐप्लिकेशन वापस लेने की अनुमति दे दी। बॉम्बे हाई कोर्ट ने 19 मार्च को सुनाए फैसले में उन्हें राम नारायण गुप्ता उर्फ लखन भैया की हत्या का दोषी ठहराया था। आरोप था कि वह छोटा राजन गैंग से था। उसका 2006 में प्रदीप शर्मा ने ही एनकाउंटर किया था। इसके बाद इसी साल प्रदीप शर्मा ने हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। सबसे पहले ट्रायल कोर्ट ने शर्मा को बरी किया था लेकिन हाई कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को पलटकर उन्हें दोषी ठहराया था।
सुप्रीम कोर्ट ने शर्मा को जमानत देते हुए एक सप्ताह में ही सरेंडर करने का आदेश दिया था। वहीं ट्रायल कोर्ट को भी निर्देश दिए थे कि स्थितियां देखकर ही उन्हें जमानत दी जाए। शर्मा ने अपनी यचिका में सीआरपीसी की धारा 389 का जिक्र किया था जिसके तहत कोर्ट किसी दोषी व्यक्ति को भी जमानत दे सकता है या फिर सजा रद्द कर सकता है। 2010 में प्रदीप शर्मा को गिरफ्तार किया गया था। पाया गया था कि मृत व्यक्ति के शरीर में जो गोली मिली थी वह शर्मा के ही सर्विस रिवॉल्वर की थी। 2013 में ट्रायल कोर्ट ने शर्मा को बरी कर दिया। इसे बाद याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट में इस फैसले को चुनौती दी। हाई कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को पलट दिया। इस मामले में शर्मा के साथ 6 अन्य पुलिसवालों को भी दोषी करार दिय गया था। इसके अलावा प्रदीप शर्मा अन्य मामलों में भी आरोपी हैं। इसमें एंटीलिया बम धमकी केस भी शामिल है।