लंबे समय से तनाव की स्थिति बनी हुई है, इस बीच विदेश मंत्री एस जयशंकर मालदीव क्यों जा रहे

नई दिल्ली भारत और मालदीव के बीच लंबे समय से तनाव की स्थिति बनी हुई है। पिछले साल मोहम्मद मुइज्जू ने भारत के खिलाफ कैंपेन चलाकर मालदीव में राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ा था और बाद में उनकी जीत भी हुई थी। इसके बाद उन्होंने अपने वादे को पूरा करने के लिए मालदीव से भारत […]

लंबे समय से तनाव की स्थिति बनी हुई है, इस बीच  विदेश मंत्री एस जयशंकर मालदीव क्यों जा रहे

नई दिल्ली
भारत और मालदीव के बीच लंबे समय से तनाव की स्थिति बनी हुई है। पिछले साल मोहम्मद मुइज्जू ने भारत के खिलाफ कैंपेन चलाकर मालदीव में राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ा था और बाद में उनकी जीत भी हुई थी। इसके बाद उन्होंने अपने वादे को पूरा करने के लिए मालदीव से भारत के जवानों को अपने देश से वापस भेज दिया था, जिसके बाद नई दिल्ली और माले के बीच तनाव चरम पर पहुंच गए थे। हालांकि, जून महीने में एनडीए सरकार के शपथग्रहण समारोह के दौरान मोहम्मद मुइज्जू भारत आए थे, लेकिन तनाव पूरी तरह से अब भी खत्म नहीं हुआ है। इस बीच, भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बड़ा कदम उठाया है। विदेश मंत्री मालदीव के दौरे पर जाने वाले हैं।

भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर 9-11 अगस्त को मालदीव के तीन दिवसीय दौरे पर रहेंगे। जयशंकर का यह दौरा मालदीव के राष्ट्रपति मुइज्जू के प्रधानमंत्री मोदी के शपथग्रहण समारोह में शामिल होने के दो महीने बाद हो रहा है। इससे पहले, एस जयशंकर ने इस साल की शुरुआत में जनवारी में मालदीव की यात्रा की थी। उल्लेखनीय है कि मालदीव का राष्ट्रपति बनने के बाद से ही मोहम्मद मुइज्जू चीन के समर्थक माने जाते हैं। जनवरी में ही उन्होंने भारत की बजाए चीन की यात्रा की थी। इस दौरान टूरिज्म समेत कई मुद्दों पर चीन और मालदीव के बीच समझौते हुए थे।
 

भारत ने मालदीव को दिया था बड़ा झटका

भारत और मालदीव के बीच तनाव जब चरम पर था, तब टूरिज्म क्षेत्र में मालदीव को बड़ा झटका लगा था। दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल की शुरुआत में लक्षद्वीप का दौरा किया था और वहां की कुछ तस्वीरें शेयर की थीं। इसके बाद, सोशल मीडिया पर कई यूजर्स भारतीय पर्यटकों से मालदीव की जगह लक्षद्वीप का दौरा करने की अपील करने लगे थे। इससे मालदीव जाने वालों की संख्या में बड़ी गिरावट आई थी। हर महीने मालदीव पहुंचने वाले भारतीय पर्यटकों की संख्या कम होने लगी थी, जिससे माले को तगड़ी आर्थिक चोट लगी।