नए कॉलेज खोलना तो दूर मध्य प्रदेश सरकार पहले से संचालित कॉलेजों की मान्यता भी नहीं बचा पा रही

भोपाल नए कॉलेज खोलना तो दूर मध्य प्रदेश सरकार पहले से संचालित कॉलेजों की मान्यता भी नहीं बचा पा रही है। भारतीय चिकित्सा पद्धति राष्ट्रीय आयोग (एनसीआईएसएम) ने बुरहानपुर आयुर्वेद कॉलेज को छोड़ सभी छह आयुर्वेद कॉलेजों की मान्यता जारी कर दी है, पर भोपाल के अतिरिक्त अन्य पांच कॉलेजों में स्वीकृत सीटों में कटौती […]

नए कॉलेज खोलना तो दूर मध्य प्रदेश सरकार पहले से संचालित कॉलेजों की मान्यता भी नहीं बचा पा रही

भोपाल
नए कॉलेज खोलना तो दूर मध्य प्रदेश सरकार पहले से संचालित कॉलेजों की मान्यता भी नहीं बचा पा रही है। भारतीय चिकित्सा पद्धति राष्ट्रीय आयोग (एनसीआईएसएम) ने बुरहानपुर आयुर्वेद कॉलेज को छोड़ सभी छह आयुर्वेद कॉलेजों की मान्यता जारी कर दी है, पर भोपाल के अतिरिक्त अन्य पांच कॉलेजों में स्वीकृत सीटों में कटौती की गई है।

ग्वालियर, इंदौर, जबलपुर, रीवा और उज्जैन आयुर्वेद कॉलेज में स्नातक (बीएएमएस) की 15 से लेकर 26 सीटें तक कम कर दी हैं। संसाधनों की कमी के कारण सीटें कम की गई हैं। बुरहानपुर कॉलेज को मान्यता नहीं मिली है। इन सीटों में प्रवेश के लिए काउंसलिंग सितंबर में प्रारंभ होने की आशा है। संसाधनों में सर्वाधिक कमी फैकल्टी और ओपीडी और भर्ती मरीजों की कम संख्या है। इनमें प्राध्यापक स्तर के पद सबसे अधिक रिक्त हैं। इसकी एक बड़ी वजह यह भी है कि आयुष कॉलेजों में सेवानिवृति आयु 62 वर्ष है। एलोपैथी मेडिकल कॉलेजों में यह सीमा 65 वर्ष रखी गई है, जिससे प्राध्यापक के पद रिक्त न रहें।

सीधी भर्ती से भी पदों को भरने की व्यवस्था नहीं है, जबकि एलोपैथी मेडिकल कॉलेजों में प्रारंभ हो चुकी है। प्रदेश में पहले से ही आयुर्वेद औषधालयों में डॉक्टरों के 600 से अधिक पद रिक्त हैं। ऊपर से बीएएमएस की सीटें बढ़ना तो दूर उनमें कटौती भी हो गई है।