छत्तीसगढ़-बालोद में दरकती दीवारों के बीच पढ़ाई, आंगनवाड़ी केंद्र की टपक रही छत

बालोद. बालोद जिले के ग्राम बोहारडीह में आंगनवाड़ी केंद्र में पढ़ने वाले नैनिहालों को दरकती दीवारों के बीच शिक्षा ग्रहण करना पड़ रहा है। आंगनवाड़ी केंद्र क्रमांक-2 का भवन जर्जर हो गया है और भवन की छत से लगातार पानी का रिसाव हो रहा है। इसलिए मजबूरी वस बच्चों की कक्षाएं कला मंच में लगाई […]

छत्तीसगढ़-बालोद में दरकती दीवारों के बीच पढ़ाई, आंगनवाड़ी केंद्र की टपक रही छत

बालोद.

बालोद जिले के ग्राम बोहारडीह में आंगनवाड़ी केंद्र में पढ़ने वाले नैनिहालों को दरकती दीवारों के बीच शिक्षा ग्रहण करना पड़ रहा है। आंगनवाड़ी केंद्र क्रमांक-2 का भवन जर्जर हो गया है और भवन की छत से लगातार पानी का रिसाव हो रहा है। इसलिए मजबूरी वस बच्चों की कक्षाएं कला मंच में लगाई जा रही हैं। पिछले 15 दिन से कला मंच में आंगनवाड़ी का संचालन किया जा रहा है।

वहीं, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता का कहना है कि खुले में हैं तो बच्चों के यहां वहां जाने का डर लगा रहता है। कला मंच के आसपास जो घर बने हुए हैं, वहां की छत भी जर्जर है और बीच में तो छत गिर भी गई थी, लेकिन उस समय कक्षा संचालित नहीं थी। आंगनवाड़ी केंद्र का संचालन कला मंच में किए जाने के मामले में गांव के सरपंच दीपक ठाकुर ने कहा कि वे मजबूर हैं, इसलिए उन्हें कला मंच में आंगनवाड़ी केंद्र का संचालन करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि कला मंच में संचालन करने के अलावा कोई ऑप्शन नहीं है। वह लगातार शासन और प्रशासन और जनप्रतिनिधियों के पास प्रस्ताव और आवेदन भेज-भेजकर थक गए हैं। बावजूद इसके किसी तरह का कोई परिणाम नहीं मिला है। उन्हें बच्चों की सुरक्षा का भी ध्यान रखना है, इसलिए आंगनवाड़ी केंद्र का संचालन खुले मंच में करना पड़ रहा है। आंगनवाड़ी कार्यकर्ता तामेश्वरी साहू ने बताया कि कक्षाएं संचालित तो हो रही हैं, लेकिन बच्चों को शौचालय जाने में काफी दिक्कतें होती हैं। यहां पर केवल एक ही कमरा है और सामने मंच बना हुआ है। मंच में कक्षाएं लगती हैं। अंदर भोजन बनता है, लेकिन नया भवन कब मिल पायेगा। इसको लेकर भी कुछ नहीं कहा जा सकता। गांव में जो वैकल्पिक व्यवस्था बनाई गई है, उसी के तहत हम कला मंच में आंगनवाड़ी केंद्र का संचालन कर रहे हैं। बच्चों की देखरेख थोड़ी ज्यादा करना पड़ती है, क्योंकि खुला मंच है बच्चे चंचल मन के होते हैं और कहीं भी आ जा सकते हैं।

नहीं मिली राशि तो लेंगे जनसहयोग
सरपंच ने बताया कि अगर शासन प्रशासन द्वारा आंगनवाड़ी केंद्र के लिए राशि नहीं दी जाती है तो आने वाले समय में जन सहयोग या फिर पंचायत के पैसे से वाटर प्रूफिंग का काम कराया जाएगा, ताकि आंगनवाड़ी केंद्र का संचालन सुचारु रूप से हो सके। उनका कहना है कि कुछ दिन पहले एक ठेकेदार द्वारा यहां पर टाइल्स लगाया गया था, लेकिन पानी छत से टपक रहा है औक कभी भी छात्र गिर सकती है, इसलिए आंगनवाड़ी केंद्र का दूसरी जगह संचालन किया जा रहा है।

जल्दी हो व्यवस्था
ग्रामीण नागरिक राजेंद्र कुमार साहू ने बताया कि आंगनवाड़ी शिक्षा का प्रथम अध्याय होता है और इस अध्याय में बच्चों को समुचित व्यवस्था मिलनी चाहिए। लगातार ग्रामीण भी आंगनवाड़ी केंद्र को नया बनवाने या फिर इसे सुधारने की मांग कर रहे हैं। यदि जल्द ही व्यवस्था नहीं होती है तो हमें भी आंदोलन का रास्ता अपनाना पड़ेगा, क्योंकि बात हमारे गांव के छोटे-छोटे नैनिहालों का है।