सुप्रीम कोर्ट ने BCCI के साथ सेटलमेंट ऑर्डर पर लगाई रोक, बायजू को बड़ा झटका
नई दिल्ली आर्थिक संकट से जूझ रही एडुटेक कंपनी बायजू को बड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने BCCI के साथ बायजू के 158.9 करोड़ रुपये के बकाया के सेटलमेंट को मंजूरी देने वाले दिवाला अपीलीय न्यायाधिकरण के आदेश पर रोक लगा दी है। भारत के प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति […]
नई दिल्ली
आर्थिक संकट से जूझ रही एडुटेक कंपनी बायजू को बड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने BCCI के साथ बायजू के 158.9 करोड़ रुपये के बकाया के सेटलमेंट को मंजूरी देने वाले दिवाला अपीलीय न्यायाधिकरण के आदेश पर रोक लगा दी है।
भारत के प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ नेे बायजू के खिलाफ दिवाला कार्यवाही को रद्द करने के राष्ट्रीय कंपनी विधि अपील अधिकरण (NCLAT) के आदेश पर भी रोक लगाई है। इसके साथ ही कोर्ट ने NCLAT के फैसले के खिलाफ अमेरिकी लेंडर ग्लास ट्रस्ट कंपनी की याचिका पर बायजू को नोटिस जारी किया है। इसके साथ ही कोर्ट ने BCCI को समझौते के तहत बायजू से मिले 158.9 करोड़ रुपये अलग खाते में रखने का निर्देश दिया है।
NCLAT ने गत दो अगस्त को बीसीसीआई के साथ बायजू के 158.9 करोड़ रुपये के बकाया समझौते को मंजूरी दे दी थी। प्राधिकरण ने बायजू के खिलाफ दिवालिया कार्यवाही को भी रद्द कर दिया था, जिससे कंपनी पर बायजू रवींद्रन का नियंत्रण एक बार फिर स्थापित होने की संभावना बढ़ गई थी।
कैविएट है दायर
हाल ही में बायजू रवींद्रन ने दिवाला अपीलीय न्यायाधिकरण ‘एनसीएलएटी’ द्वारा पारित आदेश के विरोध में ग्लास ट्रस्ट कंपनी एलएलसी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दायर किया है। यह कैविएट तीन अगस्त को सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष दायर किया गया। इसमें अनुरोध किया गया है कि अमेरिकी ऋणदाताओं द्वारा दायर याचिका पर न्यायालय द्वारा कोई भी आदेश पारित करने से पहले उसका पक्ष भी सुना जाए। ‘कैविएट’ आवेदन किसी वादी द्वारा यह सुनिश्चित करने के लिए दायर किया जाता है कि उसका पक्ष सुने बिना उसके विरुद्ध कोई आदेश पारित न किया जाए।
अमेरिकी अदालत ने दिया था ये फैसला
इससे पहले बायजू ने बताया था कि एक अमेरिकी अदालत ने बीसीसीआई के साथ उसके समझौते पर अस्थायी रोक लगाने के जीएलएएस ट्रस्ट कंपनी के आवेदन को खारिज कर दिया है। जीएलएएस ने एनसीएलएटी के समक्ष बीसीसीआई के साथ समझौते का भी विरोध किया था और आरोप लगाया था कि रिजू रवींद्रन ने जो राशि दी है, वह ‘राउंड-ट्रिपिंग’ का मामला है।