एनएसए डोभाल बिम्सटेक सुरक्षा प्रमुखों की बैठक में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करेंगे
नेपीता राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल शुक्रवार को म्यांमा में आयोजित होने वाली ‘बहुक्षेत्रीय तकनीकी एवं आर्थिक सहयोग के लिए बंगाल की खाड़ी पहल’ (बिम्सटेक) के सदस्य देशों के सुरक्षा प्रमुखों की चौथी वार्षिक बैठक में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करेंगे। डोभाल ने म्यांमा में अपने समकक्ष एडमिरल मोए आंग से मुलाकात की। म्यांमा […]
नेपीता
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल शुक्रवार को म्यांमा में आयोजित होने वाली ‘बहुक्षेत्रीय तकनीकी एवं आर्थिक सहयोग के लिए बंगाल की खाड़ी पहल’ (बिम्सटेक) के सदस्य देशों के सुरक्षा प्रमुखों की चौथी वार्षिक बैठक में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करेंगे।
डोभाल ने म्यांमा में अपने समकक्ष एडमिरल मोए आंग से मुलाकात की।
म्यांमा की राजधानी में यह बैठक सदस्य देशों के समक्ष आने वाली सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए महत्वपूर्ण पहलों की रणनीति बनाने और समन्वय स्थापित करने के लिए आयोजित की गई है।
भारतीय दूतावास ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘एनएसए अजीत डोभाल आज नेपीता में आयोजित बिम्सटेक सुरक्षा प्रमुखों की चौथी वार्षिक बैठक में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे हैं।’’
डोभाल ने म्यांमा के अपने समकक्ष एडमिरल मोए आंग से मुलाकात की। इसके अलावा वह अन्य बिम्सटेक सुरक्षा प्रमुखों के साथ प्रधानमंत्री सीनियर जनरल मिन आंग ह्लाइंग से भी मिले।
डोभाल हनोई से यहां पहुंचे। हनोई में उन्होंने वियतनाम की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव गुयेन फू ट्रोंग के राजकीय सम्मान के साथ हुए अंतिम संस्कार में भी हिस्सा लिया था। गुयेन फू ट्रोंग का 19 जुलाई 2024 को निधन हो गया था।
बिम्सटेक (बे ऑफ बेंगाल इनीशिएटिव फॉर मल्टी-सेक्टोरल टेक्निकल एंड इकोनॉमक कोऑपरेशन) एक क्षेत्रीय संगठन है, जो बंगाल की खाड़ी के आसपास के देशों को, आर्थिक विकास, व्यापार और परिवहन, ऊर्जा और आतंकवाद-निरोध जैसे क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देने के लिए जोड़ता है।
इसका उद्देश्य अपने सदस्य देशों बांग्लादेश, भूटान, भारत, म्यांमा, नेपाल, श्रीलंका और थाईलैंड के बीच संबंधों को मजबूत करना और आर्थिक विकास को बढ़ावा देना है।
माना जा रहा है कि डोभाल ने एडमिरल मोए आंग को वहां की हिंसा और अस्थिरता के कारण म्यांमा की भारत के साथ लगती सीमा पर पड़ रहे प्रभाव को लेकर नई दिल्ली की चिंता से अवगत कराया।
एक फरवरी 2021 को सेना द्वारा तख्तापलट कर सत्ता पर कब्जा करने के बाद से म्यांमा में लोकतंत्र की बहाली की मांग को लेकर व्यापक स्तर पर हिंसक विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं।
म्यांमा के कई हिस्सों में सेना और प्रतिरोध बलों के बीच भीषण युद्ध चल रहा है। प्रतिरोध बलों ने कई शहरों पर कब्जा कर लिया है।
म्यांमा, उग्रवाद प्रभावित नगालैंड और मणिपुर सहित भारत के कुछ पूर्वोत्तर राज्यों के साथ 1,640 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करता है।
प्रतिरोधी ताकतों ने पहले ही भारत, चीन और बांग्लादेश से लगती म्यांमा की सीमा पर कई प्रमुख व्यापारिक बिंदुओं पर कब्जा कर लिया है।
पिछले वर्ष अक्टूबर से रखाइन राज्य तथा कई अन्य क्षेत्रों में सशस्त्र जातीय समूहों और म्यांमा की सेना के बीच भीषण लड़ाई की खबरें आ रही हैं।
नवंबर के बाद से म्यांमा के कई प्रमुख शहरों और भारत की सीमा के निकट के क्षेत्रों में दोनों पक्षों के बीच दुश्मनी बढ़ी, जिससे मणिपुर और मिजोरम की सुरक्षा पर संभावित प्रभाव को लेकर नई दिल्ली में चिंता बढ़ गई।