पीएम मोदी यूक्रेन की यात्रा पर न जाएं … जानें क्यों विशेषज्ञ ने दी चेतावनी, पलटवार कर रहे पुतिन
कीव यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध में नया मोड़ आ गया है। यूक्रेन की सेना ने जवाबी कार्रवाई करते हुए रूस के अंदर 10 किमी तक घुस गई है। यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की ने दावा किया है कि उनकी सेना ने रूसी कस्बे सुदझा पर पूरी तरह से कब्जा कर लिया है। इस कस्बे में […]
कीव
यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध में नया मोड़ आ गया है। यूक्रेन की सेना ने जवाबी कार्रवाई करते हुए रूस के अंदर 10 किमी तक घुस गई है। यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की ने दावा किया है कि उनकी सेना ने रूसी कस्बे सुदझा पर पूरी तरह से कब्जा कर लिया है। इस कस्बे में रूस के 5000 लोग रहते हैं और यहीं से यूरोप को गैस की सप्लाई करने के लिए पूरा इंफ्रास्ट्रक्चर मौजूद है। बताया जा रहा है कि रूस के करीब 1000 किमी के इलाके में भीषण लड़ाई चल रही है। वहीं रूसी सेना ने अब यूक्रेन की सेना को घेरने के लिए चारों ओर से घेरेबंदी शुरू कर दी है। यूक्रेन ने दावा किया है कि उसने 80 बस्तियों पर कब्जा कर लिया है और इसमें सुदझा सबसे बड़ा है। रूस और यूक्रेन में भारी तनाव के बीच पीएम मोदी युद्ध शुरू होने के बाद अब यूक्रेन की पहली यात्रा पर जा रहे हैं। इसको लेकर विशेषज्ञों ने आगाह किया है।
रक्षा मामलों के चर्चित विशेषज्ञ ब्रह्मा चेलानी ने एक्स पर लिखे अपने पोस्ट में पीएम मोदी को यूक्रेन जाने की बजाय पड़ोस पर ध्यान देने की सलाह दी है। चेलानी ने लिखा, 'पीएम मोदी की कीव यात्रा के लिए इससे ज्यादा खराब टाइम कोई नहीं हो सकता है। रूस की सेना यूक्रेनी सेना के घुसपैठ के बाद भीषण जवाबी कार्रवाई की तैयारी कर रही है। अमेरिका की सीजफायर में कोई रुचि नहीं है लेकिन उसने कहा है कि वह रूस और यूक्रेन के युद्ध में भारत के शांति लाने प्रयासों का स्वागत करता है। बांग्लादेश में उलट पलट के बाद पीएम मोदी को भारत के स्ट्रेटजिक बैकयार्ड की चुनौतियों पर फोकस करना चाहिए।'
'अमेरिका के कदम भारत के हित से मेल नहीं खाते'
चेलानी ने अपने एक लेख में कहा कि यह स्पष्ट है कि अमेरिका और भारत पिछले साल संयुक्त बयान में प्रण कर रहे थे कि वे दुनिया में सबसे करीबी पार्टनर बनेंगे लेकिन इसके बाद भी ईरान से लेकर म्यांमार तक वॉशिंगटन के हित भारत के मुख्य हितों से मेल नहीं खाते हैं। बांग्लादेश भारत के लिए ताजा खतरे की घंटी है। उन्होंने कहा कि इस वास्तविकता ने भारत को दुविधा में डाल दिया है और उसके लिए कोई आसान विकल्प भी नहीं है। हालांकि भारत अमेरिका से मजबूत रिश्ते बनाना जारी रखेगा लेकिन भारत के पड़ोस में उसके यह कदम बहुत धक्का देने वाले हैं। उन्होंने कहा कि भारत ने जहां बांग्लादेश की घटनाओं पर गहरी चिंता जताई है और चेतावनी दी है। वहीं भारत के करीबी रणनीतिक दोस्त अमेरिका ने बांग्लादेश में इस सत्तापलट का स्वागत किया और बदलाव को पूरा समर्थन देने का ऐलान भी कर दिया।
इस बीच अमेरिका ने कहा है कि वह रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध के दौरान दोनों देशों के बीच शांति लाने के भारत के प्रयासों का स्वागत करता है। अमेरिका के विदेश मंत्रालय के उप प्रवक्ता वेदांत पटेल ने यहां यह बात कही। पटेल इस महीने के अंत में पीएम नरेंद्र मोदी की संभावित यूक्रेन यात्रा के बारे में पूछे गए सवाल का जवाब दे रहे थे। उन्होंने कहा, ‘हम अनेक मुद्दों पर अपने भारतीय साझेदारों के साथ संपर्क में हैं और निश्चित रूप से रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध के दौरान भारत की बातचीत का स्वागत करेंगे।’ मोदी 21 से 23 अगस्त तक पोलैंड और यूक्रेन की यात्रा पर जा सकते हैं। हालांकि इस संबंध में अभी तक कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है।
दूसरे विश्वयुद्ध के बाद पहली बार रूसी जमीन पर कब्जा
आपको बता दें कि पिछले 10 दिन में यूक्रेन की सेना रूस के अंदर करीब 10 किलोमीटर तक घुस गई है। यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने कहा है कि उनकी सेना ने सुदझा कस्बे को रूस की सेना से मुक्त करा लिया है। यूक्रेनी सेना ने वहां पर अपना ऑफिस भी बना लिया है। सुजझा में रूस के प्राकृतिक गैस को नापने का स्टेशन है। इस गैस को साइबेरिया से लाया जाता और फिर उसे यूरोप को निर्यात किया जाता है। यूक्रेन सेना के इस कब्जे को पुतिन के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। दूसरे विश्वयुद्ध के बाद ऐसा पहली बार हुआ है जब रूस की जमीन पर किसी दूसरे देश की सेना ने कब्जा किया है। इसी वजह से अब रूस की सेना बड़ा पलटवार कर रही है और कई इलाकों को मुक्त कराने का दावा किया है।