शनिवार को शनि स्तोत्र मंत्र पाठ करने के फायदे
शनिदेव को न्याय का देवता माना जाता है। पौराणिक मान्यता है कि शनिदेव व्यक्ति को उसके कर्मों के आधार पर फल देते हैं। आप अगर शनिदेव की कृपा पाना चाहते हैं, तो अपने कर्मों पर अवश्य ध्यान दें। किसी गरीब, बेसहारा और खासकर पशुओं को न सताएं। असहाय लोगों को सताने वालों पर शनिदेव अपना […]
शनिदेव को न्याय का देवता माना जाता है। पौराणिक मान्यता है कि शनिदेव व्यक्ति को उसके कर्मों के आधार पर फल देते हैं। आप अगर शनिदेव की कृपा पाना चाहते हैं, तो अपने कर्मों पर अवश्य ध्यान दें। किसी गरीब, बेसहारा और खासकर पशुओं को न सताएं। असहाय लोगों को सताने वालों पर शनिदेव अपना कोप बरसाते हैं। आप अगर शनिदेव को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो अनजाने में हुई भूलों के लिए शनिदेव से क्षमा जरूर मांगे। इससे शनिदेव की दया जरूर बरसती है। आप शनिवार के दिन शनि शनि स्त्रोत मंत्र का जाप कर सकते हैं। आइए, जानते हैं शनि स्त्रोत मंत्र और शनि स्त्रोत मंत्र का हिन्दी में अर्थ।
शनि स्त्रोत मंत्र (shani stotra mantra)
नमस्ते कोणसंस्थाचं पिंगलाय नमो एक स्तुतै
नमस्ते बभ्रूरूपाय कृष्णाय च नमो ए स्तुत
नमस्ते रौद्रदेहाय नमस्ते चांतकाय च नमस्ते
यमसंज्ञाय नमस्ते सौरये विभो
नमस्ते मंदसज्ञाय शनैश्चर नमो ए स्तुते
प्रसाद कुरू देवेश दिनस्य प्रणतस्य च
कोषस्थह्म पिंगलो बभ्रूकृष्णौ रौदोए न्तको यमः
सौरी शनैश्चरो मंदः पिप्लदेन संस्तुतः
एतानि दश नामामी प्रातरुत्थाय ए पठेत्
शनैश्चरकृता पीडा न कदचित् भविष्यति
शनि स्त्रोत मंत्र का अर्थ हिन्दी में
जिनके शरीर का वर्ण कृष्ण नील तथा भगवान् शंकर के समान है, उन शनिदेव को मेरा नमस्कार है। जो जगत् के लिए कालाग्नि एवं कृतान्त रुप हैं। उन शनैश्चर को बार.बार नमस्कार है। जिनका शरीर कंकाल जैसा मांसहीन तथा जिनकी दाढ़ी, मूंछ और जटा बढ़ी हुई है उन शनिदेव को नमस्कार है। जिनके बड़े.बड़े नेत्र, पीठ में सटा हुआ पेट और भयानक आकार है, उन शनैश्चर देव को नमस्कार है।
जिनके शरीर का ढांचा फैला हुआ है, जिनके रोएं बहुत मोटे हैं, जो लम्बे.चौड़े किन्तु सूखे शरीर वाले हैं तथा जिनकी दाढ़ें कालरुप हैं, उन शनिदेव को बार-बार प्रणाम है। हे शनि! आपके नेत्र कोटर के समान गहरे हैं, आपकी ओर देखना कठिन है, आप घोर रौद्र, भीषण और विकराल हैं, आपको नमस्कार है। वलीमूख ! आप सब कुछ भक्षण करने वाले हैं, आपको नमस्कार है। सूर्यनन्दन ! भास्कर.पुत्र ! अभय देने वाले देवता ! आपको प्रणाम है। नीचे की ओर दृष्टि रखने वाले शनिदेव ! आपको नमस्कार है। संवर्तक ! आपको प्रणाम है। मन्दगति से चलने वाले शनैश्चर ! आपका प्रतीक तलवार के समान है, आपको पुनः.पुनः प्रणाम है। आपने तपस्या से अपनी देह को दग्ध कर लिया है, आप सदा योगाभ्यास में तत्पर, भूख से आतुर और अतृप्त रहते हैं। आपको सदा सर्वदा नमस्कार है। ज्ञाननेत्र ! आपको प्रणाम है। काश्यपनन्दन सूर्यपुत्र शनिदेव आपको नमस्कार है। आप सन्तुष्ट होने पर राज्य दे देते हैं और रुष्ट होने पर उसे हर लेते हैं। देवता, असुर, मनुष्य, सिद्ध, विद्याधर और नाग. ये सब आपकी दृष्टि पड़ने पर समूल नष्ट हो जाते हैं। देव मुझ पर प्रसन्न होइए। मैं वर पाने के योग्य हूँ और आपकी शरण में आया हूं।
शनि स्त्रोत मंत्र का जाप करने फायदे
आप अगर जीवन में किसी असीम पीड़ा से गुजर रहे हैं, तो आप अपने कर्मों को सही रखते हुए शनिदेव से दया और क्षमा मांगे। इस स्तोत्र का पाठ करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं। आप पर अगर साढ़ेसाती, ढैया, शनि की महादशा चल रही है, तो आपको प्रत्येक शनिवार को शनि स्त्रोत का पाठ करना चाहिए। शनि स्त्रोत का पाठ करने से शनि पीड़ा से मुक्ति मिलती है और आपके अधूरे कार्य बनने शुरू हो जाते हैं।