मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने जूनियर डॉक्टर्स को प्रोटेस्ट खत्म करने का आदेश दिया
जबलपुर पश्चिम बंगाल में एक ट्रेनी महिला डॉक्टर की बलात्कार के बाद हत्या के विरोध में मध्य प्रदेश के डॉक्टरों की हड़ताल को चुनौती देने वाली याचिका पर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने शनिवार को सुनवाई की। कार्यवाहक चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस आरएम सिंह की युगलपीठ ने डॉक्टरों को तुरंत हड़ताल समाप्त कर काम […]
जबलपुर
पश्चिम बंगाल में एक ट्रेनी महिला डॉक्टर की बलात्कार के बाद हत्या के विरोध में मध्य प्रदेश के डॉक्टरों की हड़ताल को चुनौती देने वाली याचिका पर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने शनिवार को सुनवाई की। कार्यवाहक चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस आरएम सिंह की युगलपीठ ने डॉक्टरों को तुरंत हड़ताल समाप्त कर काम पर लौटने की सलाह दी। जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन की ओर से मौखिक रूप से हड़ताल समाप्त करने की जानकारी दी गई। एसोसिएशन के मुद्दों पर अगली सुनवाई 20 अगस्त को निर्धारित की गई है।
कोलकाता की घटना को लेकर मध्यप्रदेश में जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर थे. इस मामले में हाई कोर्ट ने सख्ती दिखाई. इस बारे में चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा ने तल्ख टिप्पणी की. मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा का कहना है "जूनियर डॉक्टर को तुरंत हड़ताल खत्म करके काम पर वापस आना होगा. यदि जूनियर डॉक्टर की हड़ताल की वजह से किसी की जान चली जाती है तो यह ठीक नहीं होगा." जस्टिस संजीव सचदेवा का कहना है कि कोलकाता में जो घटना घटी है, उस पर पूरा समाज चिंतित है, लेकिन उसका समाधान हड़ताल नहीं है.
हड़ताल को गैरकानूनी घोषित करने जनहित याचिका
बता दें कि मध्य प्रदेश में इन दिनों जूनियर डॉक्टर की हड़ताल चल रही है. जूनियर डॉक्टर कोलकाता में एक डॉक्टर की हत्या के बाद गुस्से में हैं. डॉक्टरों ने काम बंद कर दिया है. इस मामले में हाई कोर्ट में जूनियर डॉक्टर की हड़ताल को गैरकानूनी घोषित करते हुए इसे खत्म करने की मांग को लेकर जनहित याचिका लगाई गई है. इस पर शनिवार को एक्टिंग चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा ने सुनवाई की. एक्टिंग चीफ जस्टिस ने कड़े लहजे में जूनियर डॉक्टर को समझाइए दी है कि उनकी सभी बातें सुनी जाएंगी लेकिन पहले वे काम पर लौटें.
कोलकाता की घटना पूरे देश के लिए चिंता का विषय
जस्टिस संजीव सचदेवा का कहना है "कोई भी मरीज हड़ताल के खत्म होने का इंतजार नहीं करेगा. यदि हड़ताल की वजह से किसी की जान चली जाती है तो यह बहुत चिंता की बात होगी. वह जिस मुद्दे को लेकर हड़ताल पर गए हैं, वह समस्या केवल मध्य प्रदेश की नहीं है बल्कि पूरे देश की और पूरे समाज की है. पूरा समाज इस बात के लिए चिंतित है. लेकिन इसके लिए हड़ताल करना सही तरीका नहीं है." कोर्ट ने जूनियर डॉक्टरों के वकील को उनसे सलाह करने के लिए कहा है.
एक दिन पहले नोटिस जारी कर पूछा था- बगैर परमिशन कैसे की हड़ताल
बता दें कि कोलकाता घटना के विरोध में मध्य प्रदेश में प्रदर्शन कर रहे डॉक्टरों को हाईकोर्ट ने शुक्रवार को नोटिस भेजा था. जबलपुर हाईकोर्ट में डॉक्टरों की हड़ताल के खिलाफ याचिका दायर की गई थी. जिस पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने नोटिस जारी कर 24 घंटे में जवाब मांगा. ये भी पूछा कि बिना अनुमति डॉक्टर्स हड़ताल पर कैसे गए? याचिकाकर्ता की तरफ से पूर्व में इंदरजीत सिंह शेरू की तरफ से दायर याचिका पर हाईकोर्ट द्वारा फरवरी 2023 के आदेश का हवाला देते हुए डॉक्टरों की हड़ताल को अवैधानिक करार दिया गया था. हाईकोर्ट ने मध्य प्रदेश शासकीय व स्व शासकीय चिकित्सा महासंघ व मेडिकल ऑफिसर एसोसिएशन को निर्देशित किया था कि वह हाईकोर्ट में बिना सूचित किए सांकेतिक हड़ताल तक नहीं करेंगे.