राजस्थान में चांदीपुरा वायरस के मामले बढ़कर हुए चार, जबकि 74 लोग इसके संक्रमण के संदिग्ध

जयपुर राजस्थान में चांदीपुरा वायरस के मामलों में तेजी से वृद्धि हो रही है। अब तक चार लोग संक्रमित हो चुके हैं, जबकि 74 लोग इसके संक्रमण के संदिग्ध हैं। यह जानकारी राज्य स्वास्थ्य अधिकारियों ने शनिवार को दी। शुक्रवार को वायरस का एक नया मामला सामने आया। नौ वर्षीय एक लड़के को इससे पीड़‍ित […]

राजस्थान में चांदीपुरा वायरस के मामले बढ़कर हुए चार, जबकि 74 लोग इसके संक्रमण के संदिग्ध

जयपुर
राजस्थान में चांदीपुरा वायरस के मामलों में तेजी से वृद्धि हो रही है। अब तक चार लोग संक्रमित हो चुके हैं, जबकि 74 लोग इसके संक्रमण के संदिग्ध हैं। यह जानकारी राज्य स्वास्थ्य अधिकारियों ने शनिवार को दी। शुक्रवार को वायरस का एक नया मामला सामने आया। नौ वर्षीय एक लड़के को इससे पीड़‍ित पाया गया। यह लड़का प्रदेश के शाहपुरा में इसी बीमारी से पॉजिटिव पाए गए एक मरीज के करीबी संपर्क में था।

अधिकारियों ने बताया कि वायरस से संक्रमित होने के संदेह में इलाके में करीब 70 लोगों के सैंपल एकत्र किए गए हैं। इनमें से 32 की रिपोर्ट अभी आनी बाकी है। इसके अतिरिक्त, वायरस के जानवरों में संक्रमण की संभावना को देखते हुए 91 पशु सैंपल (उदयपुर में 71 और डूंगरपुर में 20) एकत्र किए गए हैं। इन सैंपलों के परिणाम अभी तक प्राप्त नहीं हुए हैं।

स्वास्थ्य अधिकारियों ने यह भी बताया कि वायरस के कारण नौ अगस्त को शाहपुरा की दो वर्षीय लड़की का गुजरात के जाइडस अस्पताल में इलाज के दौरान निधन हो गया। मृतक इशिका, शाहपुरा के इटाडिया गांव के हेमराज की बेटी थी। उसे पांच अगस्त से अहमदाबाद के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। लड़की के शव का अंतिम संस्कार कोविड-19 प्रोटोकॉल के तहत प्रशासन और चिकित्सा टीम की उपस्थिति में गांव में किया गया।

राजस्थान में चांदीपुरा वायरस से पहली मौत का मामला उदयपुर से सामने आया था, जहां 27 जून को खेरवाड़ा नगर के बलिचा गांव के निवासी हिमांशु (3) का गुजरात के हिम्मतनगर सिविल अस्पताल में निधन हो गया था।

चांदीपुरा वायरस (सीएचपीवी) रबडोविरिडे परिवार का एक वायरस है। इसमें रेबीज का कारण बनने वाले लाइसा वायरस जैसे अन्य सदस्य भी शामिल हैं। इस वायरस का वाहक सैंडफ्लाइज की कई प्रजातियां और कुछ मच्छर प्रजातियां मानी जाती हैं। ये वायरस इन कीड़ों की लार ग्रंथि में रहता है और इंसान को काटने पर उसके शरीर में प्रवेश करता है। यह केंद्रीय तंत्रिका तंत्र तक पहुंच सकता है, इससे एन्सेफलाइटिस (दिमाग के टिशू में सूजन) हो सकता है।