कुमारी सैलजा ने विधानसभा चुनाव के लिए ताल ठोककर बढ़ा दी हुड्डा की टेंशन
चंडीगढ़ हरियाणा की राजनीति में बड़ा फेरबदल देखने को मिल सकता है। कांग्रेस की वरिष्ठ नेता और ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी की महासचिव कुमारी सैलजा आगामी विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही हैं। सैलजा अभी सिरसा से लोकसभा सांसद हैं। इस कदम से साफ है कि पांच बार सांसद रह चुकीं सैलजा अब राज्य […]
चंडीगढ़
हरियाणा की राजनीति में बड़ा फेरबदल देखने को मिल सकता है। कांग्रेस की वरिष्ठ नेता और ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी की महासचिव कुमारी सैलजा आगामी विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही हैं। सैलजा अभी सिरसा से लोकसभा सांसद हैं। इस कदम से साफ है कि पांच बार सांसद रह चुकीं सैलजा अब राज्य की राजनीति में अपनी पकड़ मजबूत करना चाहती हैं। हरियाणा में होने वाले चुनाव में कांग्रेस के कई नेता अहम भूमिका निभाना चाहते हैं। सैलजा ने एक इंटरव्यू में कहा है कि मैं इस बार हरियाणा विधानसभा चुनाव लड़ने की योजना बना रही हूं। दरअसल, मैं लोकसभा चुनाव से पहले से ही इसकी तैयारी कर रही थी। लेकिन सिरसा और अंबाला, दोनों जगहों के कांग्रेस कार्यकर्ता चाहते थे कि मैं लोकसभा चुनाव लडूं। इसलिए मैं सिरसा से चुनाव लड़ी क्योंकि यह देश और हमारी पार्टी के लिए एक महत्वपूर्ण चुनाव था।
उन्होंने आगे कहा कि अब, राज्य में मेरे समर्थक और शुभचिंतक मुझसे राज्य की राजनीति में ज्यादा सक्रिय भूमिका निभाने और विधानसभा चुनाव लड़ने का आग्रह कर रहे हैं। इसलिए मैं इस पर विचार कर रही हूं। हालांकि, सैलजा ने यह भी स्पष्ट किया कि अंतिम फैसला पार्टी नेतृत्व का होगा। उनका यह बयान ऐसे समय आया है जब हरियाणा कांग्रेस में नेतृत्व को लेकर खींचतान की खबरें आ रही हैं।
हुड्डा और सैलजा में 36 का आंकड़ा
विपक्ष के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा और सैलजा, हरियाणा कांग्रेस के दो बड़े नेता हैं और दोनों के समर्थक अलग-अलग गुटों में बंटे हैं। हुड्डा को जाट समुदाय का समर्थन प्राप्त है, जबकि सैलजा दलित समुदाय के बीच काफी लोकप्रिय हैं। 2019 के हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने बीजेपी को कड़ी टक्कर दी थी और कांग्रेस को हुड्डा के नेतृत्व में सीएलपी और सैलजा को पीसीसी अध्यक्ष के रूप में एकजुट किया था। हालांकि, यह एकता अस्थायी साबित हुई और हाल ही में हुड्डा और सैलजा दोनों ने राज्य में अलग-अलग यात्राएं की हैं। लोकसभा सांसद होते हुए विधानसभा चुनाव लड़ने के सवाल पर सैलजा ने कहा कि कांग्रेस पार्टी में लोकसभा सांसदों सहित कई ऐसे उदाहरण हैं, जिन्होंने विधानसभा चुनाव लड़ा है। इसलिए, यह कोई मुद्दा नहीं है। इसके अलावा, हरियाणा में विधानसभा चुनाव एक महत्वपूर्ण समय पर हो रहा है और मुझे लगता है कि राज्य के वरिष्ठ पार्टी नेताओं को बीजेपी के कुशासन को समाप्त करने के कांग्रेस के प्रयासों में सक्रिय रूप से योगदान देना चाहिए।
क्या सीएम की रेस में हैं सैलजा?
यह पूछे जाने पर कि क्या विधानसभा चुनाव लड़ने की उनकी योजना का मतलब है कि वह मुख्यमंत्री पद की दौड़ में हैं, उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी, खासकर जब विपक्ष में होती है तो बिना किसी मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के विधानसभा चुनाव लड़ती है। AICC पहले ही कह चुकी है कि हरियाणा में भी ऐसा ही होगा। कांग्रेस के मुख्यमंत्री पर फैसला पार्टी चुनाव के बाद करेगी। सैलजा ने कहा कि कांग्रेस हरियाणा को वापस जीतने के लिए तैयार है। हरियाणा में लगातार दो कार्यकालों तक भाजपा की राज्य सरकार के कुशासन ने समाज के हर वर्ग को अलग-थलग कर दिया है। चाहे किसान हों, युवा हों, महिलाएं हों, सबसे वंचित सामाजिक वर्ग हों, खिलाड़ी हों, छात्र हों, व्यापारी हों या मध्यम वर्ग, इन सभी को नुकसान हुआ है। बेरोजगारी और महंगाई ने उनकी मुसीबतें और बढ़ा दी हैं।