छत्तीसगढ़-बालोद में पेड़ों को राखी बांधी, पर्यावरण प्रेमी ने रक्षाबंधन पर प्रकृति बचाने का दिया संदेश

बालोद. रक्षाबंधन में बहनों द्वारा राखी बांधना तो आप सब जरूर देखे होंगे, लेकिन हम बालोद जिले के उस पर्यावरण प्रेमी के बारे में आपको बताने जा रहे हैं जो पर्यावरण के क्षेत्र में हमेशा से सजग और उत्कृष्ट कार्य करते रहते हैं। इस रक्षाबंधन पर उन्होंने पर्यावरण संरक्षण का संदेश देते हुए पेड़ों को […]

छत्तीसगढ़-बालोद में पेड़ों को राखी बांधी, पर्यावरण प्रेमी ने रक्षाबंधन पर प्रकृति बचाने का दिया संदेश

बालोद.

रक्षाबंधन में बहनों द्वारा राखी बांधना तो आप सब जरूर देखे होंगे, लेकिन हम बालोद जिले के उस पर्यावरण प्रेमी के बारे में आपको बताने जा रहे हैं जो पर्यावरण के क्षेत्र में हमेशा से सजग और उत्कृष्ट कार्य करते रहते हैं। इस रक्षाबंधन पर उन्होंने पर्यावरण संरक्षण का संदेश देते हुए पेड़ों को राखी बांधी है। जी हां हम बात कर रहे हैं भोज कुमार साहू की। इन्होंने रक्षाबंधन के पर्व को अनोखे ढंग से मनाया है।

इनका कहना है कि मेरे लिए पेड़-पौधे मेरे भाई और बहन के समान है। मेरे ही नहीं हर व्यक्ति को पेड़ पौधों को अपने भाई-बहन के रूप में मनना चाहिए। वैसे भी धरती हमारी मां है और धरती का हर जीव चाहे वह वृक्ष हो चाहे वन्य प्राणी वह हमारे भाई-बहन हैं। आपको बता दें कि रक्षाबंधन से एक दिन पूर्व कई वृक्षों तक पहुंच कर भोज कुमार साहू ने रक्षा सूत्र बांधा और उस रक्षा सूत्र के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया है। भोज कुमार साहू के बेटे का नाम कान्हा है। उसके जन्मदिवस पर उन्होंने जंगलों के भीतर वृक्षों की रक्षा के लिए यज्ञ करवाया था। साथ ही एक अनोखे ढंग से चिपको आंदोलन को भी आगे बढ़ाया था, जिसके बाद से बाईपास के लिए पेड़ काटे जाने की प्रक्रिया को रोक दिया गया।

अपने गांव में निशुल्क बांटते हैं सेनेटरी पैड
भोज कुमार साहू द्वारा अपने गांव में महिलाओं और युवतियों को मुफ्त में सेनेटरी पैड भी बांटते हैं। उन्होंने इसके लिए आजीवन अपने गांव को गोद लिया हुआ है। उनका मानना है कि जब महिलाएं स्वच्छ रहेंगी तो हमारा देश भी स्वास्थ्य रहेगा। इनके द्वारा समय-समय पर लोगों को पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रेरित किया जाता है। इन्होंने रक्षाबंधन पर यह संदेश सार्वजनिक किया है कि हम जिस तरह अपने बड़े बुजुर्गों का सम्मान करते हैं भाई बहनों को राखी बांधते हैं इस तरह वृक्षों को भी अपने परिवार का सदस्य समझें और उन्हें रक्षा सूत्र बांधकर उनकी सुरक्षी और संरक्षण का संकल्प लें।