छत्तीसगढ़-रायपुर में रक्षाबंधन पर महादेवघाट में उमड़ा जनसैलाब, खारुन गंगा मैया की हुई महाआरती
रायपुर. 22वीं बार श्रावण पूर्णिमा पर खारुन गंगा महाआरती की गई। रक्षाबंधन पर रायपुर के महादेवघाट में हुई आरती में बड़ी संख्या में श्रद्धालु उमड़े। खारुन गंगा आरती का यह बंधन रक्षाबंधन के अवसर पर और भी अटूट रहा। जहां एक ओर शहरभर में राखी बंधवाने के लिए भाई-बहनों के मेल-जोल का सिलसिला चलता रहा। […]
रायपुर.
22वीं बार श्रावण पूर्णिमा पर खारुन गंगा महाआरती की गई। रक्षाबंधन पर रायपुर के महादेवघाट में हुई आरती में बड़ी संख्या में श्रद्धालु उमड़े। खारुन गंगा आरती का यह बंधन रक्षाबंधन के अवसर पर और भी अटूट रहा। जहां एक ओर शहरभर में राखी बंधवाने के लिए भाई-बहनों के मेल-जोल का सिलसिला चलता रहा। वहीं शाम 5 बजे से रायपुर के सांस्कृतिक केंद्र महादेव घाट ने भी दोबारा अपना दिव्य स्वरूप ग्रहण किया और खारुन गंगा महाआरती से अपनी दिव्य छटा बिखेरी।
छत्तीसगढ़ करणी सेना प्रमुख एवं खारुन गंगा महाआरती समिति के संस्थापक वीरेन्द्र सिंह तोमर के नेतृत्व में निरंतर दो वर्षों से हर पूर्णिमा की संध्या को होने वाली इस आरती में प्रशिक्षित ब्राह्मणों की ओर से पूरे विधि विधान से मंत्रोचारण के साथ आरती की जाती है। कार्यक्रम के दौरान रायपुर के सुप्रसिद्ध भजन सम्राट लल्लू महाराज के भजनों ने श्रोताओं को भावविभोर कर दिया। इस महीने की आरती में प्रमुख यजमान की भूमिका में प्रसिद्ध समाजसेवी बजरंग अग्रवाल की उपस्थिति रही। श्रावण मास के अंतिम सोमवार के अवसर पर बाबा हटकेश्वर महादेव के भक्तों का घाट पर तांता लगा रहा। बृहद संख्या में श्रद्धालुओं ने खारुन गंगा महाआरती में भाग लिया । आरती के बाद खीर प्रसादी ग्रहण किया। तोमर ने बताया कि उन्होंने दो वर्ष पूर्व सनातन धर्म के प्रसार, सामाजिक एकता एवं पर्यावरण संरक्षण जैसे मुद्दों को ध्यान में रखते हुए एक छोटे से विचार के साथ इस महाआरती की शुरुआत की थी। जिसने जनभागीदारी से देखते ही देखते इतना विशाल रूप ले लिया कि अपने नाम 4-4 विश्व कीर्तिमान दर्ज कर लिए है। छत्तीसगढ़ की कीर्ति विश्वभर में प्रसारित करने का सुदृढ़ माध्यम बन गई है। छत्तीसगढ़ के सांस्कृतिक पर्यटन के रूप में भी अब यह महाआरती जानी जाने लगी है।