पूर्व मुख्यमंत्री स्व. गौर का व्यक्तित्व बहुमुखी प्रतिभा सम्पन्न : मुख्यमंत्री डॉ. यादव

भोपाल मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि पूर्व मुख्यमंत्री स्व. बाबूलाल गौर का व्यक्तित्व बहुमुखी प्रतिभा संपन्न, मिलनसार और मानव मात्र को सम्मान देने वाला था। उनकी लोकप्रियता और जन-जन के मन में उनके प्रति विश्वास था कि वे एक विधानसभा क्षेत्र से दस बार चुनाव जीते हैं। श्री गौर ने विपरीत समय […]

पूर्व मुख्यमंत्री स्व. गौर का व्यक्तित्व बहुमुखी प्रतिभा सम्पन्न : मुख्यमंत्री डॉ. यादव

भोपाल

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि पूर्व मुख्यमंत्री स्व. बाबूलाल गौर का व्यक्तित्व बहुमुखी प्रतिभा संपन्न, मिलनसार और मानव मात्र को सम्मान देने वाला था। उनकी लोकप्रियता और जन-जन के मन में उनके प्रति विश्वास था कि वे एक विधानसभा क्षेत्र से दस बार चुनाव जीते हैं। श्री गौर ने विपरीत समय में ताकत से अपनी आवाज रखी, परंतु कभी भी विनम्रता नहीं छोड़ी। मुख्यमंत्री डॉ. यादव श्री बाबूलाल गौर की 5वीं पुण्यतिथि पर भेल स्थित बाबूलाल गौर शासकीय महाविद्यालय में उनकी स्मृति में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने स्व. गौर की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर पुष्पांजलि अर्पित की।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने जनसेवा और विकास के प्रति प्रतिबद्धता को सराहा

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि मानवता, कर्म में विश्वास, परिश्रम, प्रकृति से प्रेम और सहयोगियों व सहकर्मियों के प्रति उद्दात भाव रखना स्व. गौर की विशेषता थी। इन विशेषताओं का अनुसरण और लगनपूर्वक कर्म को समर्पित रहते हुए अपने उत्तरदायित्वों का निर्वहन तथा विकास और जन-कल्याण के उनके लक्ष्य से प्रेरणा लेना ही उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि होगी। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्रीमती कृष्णा गौर द्वारा बहू के सभी दायित्व निभाने के साथ स्व. गौर की भावना के अनुरूप जन सेवा और विकास के लिए किये जा रहे कार्यों और सबको साथ लेकर चलने के उनके सफल प्रयासों को सराहा। मुख्यमंत्री डॉ. यादव को राज्य मंत्री श्रीमती कृष्णा गौर ने गौ-माता की प्रतिकृति, गीता की प्रति और राधा कृष्ण का चित्र भेंट किया।

गरीबों के मसीहा और मजदूरों के रहनुमा थे श्रद्धेय बाबूजी

पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक कल्याण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्रीमती कृष्णा गौर ने कहा कि श्रद्धेय बाबूलाल गौर जी गरीबों के मसीहा और मजदूरों के रहनुमा थे। उनका विकास का विजन अद्भुत था, वे शुचिता की राजनीति के प्रेरक उदाहरण रहे। उन्होंने कहा कि भगवत गीता के कर्म के सिद्धांत को समर्पित स्व. गौर के जन सेवा के दायित्व का वे समर्पित भाव से निर्वहन करती रहेंगी।