सारंगपुर में नीलगाय और हिरणों के झुंड से किसान हो रहे परेशान
सारंगपुर सारंगपुर क्षेत्र के ग्रामीण अंचल में हिरण और नीलगायों के कारण किसान लंबे समय से परेशान है। वन विभाग एवं शासन द्वारा अब तक इस समस्या के निदान के लिए ठोस योजना नहीं बनाई गई है। नीलगायों और हिरणों को पकड़ने के लिए योजनाओं पर चर्चाएं भी नहीं हुई। यही वजह है कि आज […]
सारंगपुर
सारंगपुर क्षेत्र के ग्रामीण अंचल में हिरण और नीलगायों के कारण किसान लंबे समय से परेशान है। वन विभाग एवं शासन द्वारा अब तक इस समस्या के निदान के लिए ठोस योजना नहीं बनाई गई है। नीलगायों और हिरणों को पकड़ने के लिए योजनाओं पर चर्चाएं भी नहीं हुई। यही वजह है कि आज भी खेतों में नील गायों के झुंड दौड़ लगाकर किसानों की फसलों को कुचल रहे है।
सड़कों पर हादसों का कारण और डर भी बन रहे है। सारंगपुर क्षेत्र में नीलगायों (रोजड़ों) ओैर हिरणों की समस्या हैं। रबी एवं खरीफ सीजन की फसलों को इनसे बचाना किसानों के लिए किसानों को खेतों पर ही रहना पडता है। इनके झुंड जिस खेत में पहुंच जाते है वहां फसलों को बहुत नुकसान पहुंचाते है। इनसे फसलों को बचाने के लिए किसान कई प्रकार के जतन कर रहे हैं।
वर्तमान में खेतों में खरीफ की फसल उग रही है। खेतों में झुंड के रूप में जा रही नीलगाये नुकसान कर रही है। नीलगाये खेतों, जंगलों से लेकर सडको पर भी दौड़ लगा रही है। इसके कारण से दुर्घटनाएं तो हो रही है। सारंगपुर क्षेत्र में नील गाय और हिरणों के कारण हो रही समस्या आज की नहीं है, लेकिन इस समस्या के समाधान के लिये ठोस योजना की दरकार आज भी बनी हुई है। इन हिरणों और नील गायों को वन क्षेत्र में छोडने के लिए कोई भी योजना अभी तक ना तो वन विभाग ने बनाई है और ना ही प्रशासन ने इस पर ध्यान दिया है। जिसका खामियाजा किसान भुगत रहे है।
नीलगायों के कारण दुर्घटनाएं भी हो रही
किसान हरिप्रसाद धनगर, मुकेश गोस्वमी ने बताया कि नीलगाय खेतों एवं सड़क के किनारे से दौड़ाते हुए सडक पर आ जाने से कई बार हादसे हो चुके है लोग घायल हो चुके है। इनको लेकर अभी तक कोई ठोस योजना नहीं बनी है। नीलगायों के झुंड खेतों में नुकसान कर रहे है।
कई बार तो अचानक सड़क पर आ जाते हैं। जिससे दुर्घटनाएं होती है। जिसके कारण सड़कों से गुजरने वाले राहगीर भी परेशान है और खेतों में नुकसान पहुंचाने के कारण किसान भी परेशान हो रहे है। नीलगायों के झुंड खेतों में पूरी तरह से फसलों को नष्ट कर देती है।
फसलों को बचाने के लिये किसानों को करना पड रही पहरेदारी
खेतों में बोवनी के बाद जैसे ही फसले अंकुरित होते ही किसान नीलगायों से फसलों को बचाने के लिये खेतों पर पहरेदारी में भी जुट जाता है। नील गायों की समस्या लगभग सभी क्षेत्रों में है। रबी सीजन में गेहूं, चना एवं खरीफ सीजन में सोयाबीन, मक्का के साथ ही लहसुन प्याज सहित सभी फसलों में नीलगायों के कारण नुकसान का अंदेशा बना रहता है।
नीलगायों के झुंड खेत में घुस जाए तो फसल को खाने के साथ ही पैरों से भी कुचल देते है, जिससे फसलों में नुकसान होता है। अफीम की सीजन में तो किसान खेतों पर ही रात बिताते है। किसान नेता मोहन पाल का कहना है कि क्षेत्र में नीलगाय बरसों से फसलें खराब कर रही है। इस समस्या का समाधान आज तक नहीं हुआ।