जन्माष्टमी पर मंत्री डॉ. शाह ने अनुसूचित जाति वर्ग की बहनों से बंधवाई राखी

भोपाल जन्माष्टमी के पावन पर्व पर जनजातीय कार्य, लोक परिसंपत्ति प्रबंधन तथा भोपाल गैस त्रासदी राहत एवं पुनर्वास मंत्री डॉ. कुंवर विजय शाह ने अनुसूचित जाति वर्ग की बहनों से राखी बंधवाई। जनजातीय कार्य मंत्री डॉ. शाह ने खंडवा जिले में एक कोटवार की बेटी से कलाई पर राखी बधवाकर आशीर्वाद लिया। उन्होंने कहा कि […]

जन्माष्टमी पर मंत्री डॉ. शाह ने अनुसूचित जाति वर्ग की बहनों से बंधवाई राखी

भोपाल
जन्माष्टमी के पावन पर्व पर जनजातीय कार्य, लोक परिसंपत्ति प्रबंधन तथा भोपाल गैस त्रासदी राहत एवं पुनर्वास मंत्री डॉ. कुंवर विजय शाह ने अनुसूचित जाति वर्ग की बहनों से राखी बंधवाई। जनजातीय कार्य मंत्री डॉ. शाह ने खंडवा जिले में एक कोटवार की बेटी से कलाई पर राखी बधवाकर आशीर्वाद लिया। उन्होंने कहा कि अगले वर्ष सभी बहनें अपने भाइयों की रक्षा के लिए हाथ पर रक्षा सूत्र के साथ-साथ सिर पर हेलमेट बांधने की परंपरा प्रारंभ करें। यही भाई और बहन का सच्चा प्रेम होगा। भाई की रक्षा भी होगी, क्योंकि रेशम का धागा तो टूटकर गिर जाएगा, लेकिन भाई के सिर पर बंधा हेलमेट उसकी हमेशा जान बचाएगा। बहनें भाई के सिर पर हेलमेट बांधकर और भाई का हाथ अपने सिर पर रखकर उससे संकल्प लें कि बिना हेलमेट के वह कभी गाड़ी नहीं चलाएगा। बहनें इस पर्व को इस तरह से मनाने लगेंगी, तो हर साल लाखों भाइयों की दुर्घटना से जान बच सकती है। इससे बड़ा कोई उपहार बहन अपने भाई को नहीं दे सकती।

इस अवसर पर मंत्री डॉ. शाह ने कहा कि श्रीराम ने केवट समाज को गले लगाकर सामाजिक समरसता का अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत किया। केवट के विनम्र आग्रह पर उसके हाथों से अपना पैर धुलवा कर ही उसकी नाव पर चढ़े। यानी केवट को उन्होंने कभी अस्पृश्य नहीं माना। श्रीराम का निषादराज को हृदय से लगाना और आग्रह करना कि हमसे मिलने आते रहना, एक वनवासी को किसी राजपुत्र द्वारा अपने सहोदर के समान प्रेम और सम्मान देना सामाजिक उत्थान एवं समरसता की दिशा में स्थापित किया गया श्रेष्ठ मानक है। सूर के काव्यलोक में जाति-पांति, ऊंच-नीच, स्त्री-पुरुष में भेदभाव की भावना नहीं है। सुदामा-कृष्ण पुनर्मिलन प्रसंग सामाजिक समरसता का एक अन्य उत्कृष्ट उदाहरण है। सामाजिक समरसता के लिये सरकार के साथ-साथ समाज को भी आगे आना होगा।