इजरायली हमले के डर से भागे लोग, गाजा का आखिरी अस्पताल भी हुआ बंद, मरीज बेहाल
तेल अवीव फिलिस्तीन के गाजा पट्टी इलाके में चल रहा आखिरी अस्पताल भी अब बंद हो गया है। बीते कुछ दिनों में इस अस्पताल को बंद कर दिया गया है और यहां भर्ती सारे मरीजों को बाहर भेजा जा रहा है। इसकी वजह यह है कि इजरायल ने इलाके को खाली करने का आदेश दिया […]
तेल अवीव
फिलिस्तीन के गाजा पट्टी इलाके में चल रहा आखिरी अस्पताल भी अब बंद हो गया है। बीते कुछ दिनों में इस अस्पताल को बंद कर दिया गया है और यहां भर्ती सारे मरीजों को बाहर भेजा जा रहा है। इसकी वजह यह है कि इजरायल ने इलाके को खाली करने का आदेश दिया है और उसके बाद से ही लोग छोड़कर जा रहे हैं। इजरायल के इस आदेश से यह अनुमान लगाया जा रहा है कि वह नए सिरे से जमीनी ऑपरेशन शुरू कर सकता है। गाजा पट्टी पर इसके साथ ही चल रहा आखिरी अस्पताल भी बंद हो रहा है। अल-अक्सा शहीदी अस्पताल सेंट्रल गाजा के मुख्य चिकित्सा केंद्रों में से एक था।
अभी तक इजरायली सेना ने हमला शुरू नहीं किया है, लेकिन स्थानीय लोगों को डर है कि किसी भी वक्त अटैक हो सकता है। ऐसी स्थिति हुई तो फिर बच निकलना मुश्किल होगा। इससे पहले सोमवार को भी इजरायल ने गाजा और खान यूनिस पर हमले किए थे, जिसमें कम से कम 19 लोग मारे गए थे। वहीं लेबनान सीमा पर अलग युद्ध चल रहा है। हिजबुल्लाह ने रॉकेट और मिसाइलों से इजरायल पर हमला बोला तो वहीं इजरायल ने भी लेबनान को टारगेट करके हमले किए हैं। बीते 10 महीनों से चल रही जंग में इजरायल ने गाजा के कई अस्पतालों पर कब्जा जमा लिया है।
इजरायल का आरोप है कि इन अस्पतालों का इस्तेमाल हमास की ओर से शेल्टर के तौर पर किया जाता रहा है। कई अस्पतालों में तो इजरायली सेना ने अचानक ही रेड मारी थी। कई जगहों से हमास के कमांडर मिले भी थे। ऐसे में उसने इस अभियान को और तेज कर दिया। संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक गाजा का करीब 84 फीसदी हिस्सा जंग से प्रभावित है और इन इलाकों से पलायन हो चुका है। गाजा की करीब 90 फीसदी आबादी यानी 23 लाख लोगों को अपने घरों से पलायन करना पड़ा है। ऐसे भी हजारों लोग हैं, जिन्हें कई-कई बार पलायन करना पड़ा है।
संकट इसलिए भी बढ़ गया है क्योंकि इजरायल ने शुरुआती दिनों में जिन इलाकों को मानवीय क्षेत्र घोषित किया था और वहां हमले नहीं किए जा रहे थे। अब उन इलाकों को भी टारगेट किया जा रहा है। हजारों फिलिस्तीनी परिवार फिलहाल टेंटों में जीवन गुजार रहे हैं। यही नहीं हालात ऐसे हैं कि इन टेंटों में भी रहने की जगह नहीं बची है। अब इस अस्पताल के बंद होने के बाद लोगों का कहना है कि आखिर अब हमें दवा कहां मिलेगी। कई लोग तो बीमार बच्चों को भी लिए दिखे। वहीं कुछ लोग स्ट्रेचर पर ही पड़े रहे।