प्रदेश में जिलों की संख्या भी बढ़कर 55 हुई, अब कम पड़ने लगे IAS
भोपाल प्रदेश की आबादी बढ़ रही है। जिलों की संख्या भी बढ़कर 55 हो गई, पर जिलों और प्रदेश में प्रशासनिक नियंत्रण रखने वाले भारतीय प्रशासनिक सेवा (आइएएस) के अफसरों की संख्या बढ़ने के बजाए घट रही है। आलम यह है कि प्रदेश में तैनात 350 आइएएस 50% काम के बोझ से दबे हैं। उनके […]
भोपाल
प्रदेश की आबादी बढ़ रही है। जिलों की संख्या भी बढ़कर 55 हो गई, पर जिलों और प्रदेश में प्रशासनिक नियंत्रण रखने वाले भारतीय प्रशासनिक सेवा (आइएएस) के अफसरों की संख्या बढ़ने के बजाए घट रही है। आलम यह है कि प्रदेश में तैनात 350 आइएएस 50% काम के बोझ से दबे हैं। उनके पास एक से चार तक अतिरिक्त प्रभार हैं। मप्र आइएएस कैडर में 459 पद स्वीकृत हैं। इनमें 391 पद भरे हैं, जबकि 68 खाली हैं। इनमें भी कार्यरत 391 में से 41 केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर हैं।
पांच और अफसरों को केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के लिए राज्य ने एनओसी दे दी है। केंद्र कभी भी उन्हें बुला सकता है। ऐसे में जो काम कर रहे हैं, उनमें से भी 89 अगले पांच साल में रिटायर्ड हो जाएंगे। कैडर नहीं बढ़ाए गए तो आने वाले वर्षों में होने वाली भर्तियों से कैडर में कमी की पूर्ति हो जाएगी, लेकिन प्रदेश की जरूरतें पूरी नहीं हो सकेंगी।
जल्द हो आइएएस कैडर की समीक्षा
केंद्र ने अगस्त 2022 में मप्र आइएएस कैडर की समीक्षा की। तब आइएएस कैडर संख्या 459 थी। उसके बाद से संख्या नहीं बढ़ी। जानकारों की मानें तो जनता को बेहतर सेवाएं देने और प्रदेश को विकास की ओर ले जाने वाली पहली प्रशासनिक धुरी आइएएस होते हैं। इनकी कमी से जनता को मिलने वाली सेवाएं प्रभावित होंगी।
ऐसे समझें आइएएस की जरूरत
55 जिले, 55 जिला पंचायतें, 16 नगर निगम, 10 संभाग के लिए 136 आइएएस चाहिए।
56 विभाग हैं, एक विभाग में (अपवाद छोड़कर) 8 आइएएस के हिसाब से 448 आइएएस की जरूरत।
10: मुख्यमंत्री कार्यालय, मुख्य सचिव कार्यालय।
इस तरह प्रदेश को 594 आइएएस की जरूरत।
कार्यरत आइएएस
केंद्र के लिए तय प्रतिनियुक्ति कोटा : 99
प्रतिनियुक्ति पर तैनात आइएएस: 41