डायबिटिक आर्थ्रोपैथी के कारण हड्डियों और जोड़ों को नुकसान पहुंचा सकता है मधुमेह
डायबिटीज के मरीजों में हड्डियों से संबंधित कई तरह की समस्याएं देखने को मिलती है, जिसमें से एक डायबिटिक आर्थ्रोपैथी है। डायबिटिक नर्व डैमेज के कारण जोड़ों में होने वाली समस्याओं को डायबिटिक आर्थ्रोपैथी कहा जाता है। यह स्थिति मुख्य रूप से उन लोगों में होती है, जो लंबे समय से डायबिटीज से पीड़ित हैं […]
डायबिटीज के मरीजों में हड्डियों से संबंधित कई तरह की समस्याएं देखने को मिलती है, जिसमें से एक डायबिटिक आर्थ्रोपैथी है। डायबिटिक नर्व डैमेज के कारण जोड़ों में होने वाली समस्याओं को डायबिटिक आर्थ्रोपैथी कहा जाता है। यह स्थिति मुख्य रूप से उन लोगों में होती है, जो लंबे समय से डायबिटीज से पीड़ित हैं या जिनका ब्लड शुगर कंट्रोल नहीं रहता।
डायबिटिक आर्थ्रोपैथी के कारण शुगर के मरीजों को जोड़ों में दर्द, पैरों में सूजन और चलने में दिक्कत जैसी समस्या भी रहती है। डायबिटिक आर्थ्रोपैथी के कई प्रकार होते हैं। इनमें शुगर के मरीजों में ये 4 समस्या ज्यादा देखी जाती है। आइए जानते हैं इसके बारे में।
चारकोट आर्थ्रोपैथी
यह डायबिटिक आर्थ्रोपैथी का सबसे गंभीर प्रकार है। इसमें पैर और टखने के जोड़ों में दर्द और सूजन की समस्या देखी जाती है। इसमें बढ़ती बीमारी के साथ हड्डियां कमजोर होकर टूट सकती हैं। पर्याप्त कैल्शियम न लेने वालों में इसका खतरा अधिक होता है।
डुप्यूट्रेन कॉन्ट्रैक्टर
नेशनल इंस्टीटयूट ऑफ हेल्थ के अनुसार इस स्थिति में हाथों की उंगलियों के जोड़ कठोर हो जाते हैं। उंगलियां मुड़ी हुई स्थिति में हो जाती है और उंगलियों को सीधा करना कठिन हो जाता है। इसके शुरूआती लक्षण को ध्यान में रखते हुए डॉक्टर से मिलना बहुत जरूरी है।
डायबिटीज के कारण और इलाज
कंधे की समस्या और ऑस्टियोआर्थराइटिस
शुगर के मरीजों में कंधे के जोड़ में जकड़न और दर्द की समस्या भी अधिक देखी जाती है, जिससे कंधे को हिलाने और उसके मूवमेंट में कठिनाई होती है। बोन प्रॉब्लम में डायबिटीज के मरीजों में ऑस्टियोआर्थराइटिस की समस्या भी अधिक होती है। इस स्थिति में हड्डियां कमजोर हो जाती हैं और फ्रैक्चर का खतरा बढ़ जाता है।
डायबिटिक आर्थ्रोपैथी से बचने का उपाय
नियमित रूप से ब्लड शुगर की जांच और ब्लड शुगर कंट्रोल रखें। इससे आपको डायबिटिक आर्थ्रोपैथी के जोखिम को कम करने में मदद मिलेगी।
दर्द और सूजन को कम करने के लिए आप फिजियोथेरेपी करवा सकते हैं।
डॉक्टर के परामर्श से दर्द और सूजन को नियंत्रित करने के लिए दवाइयों का सेवन किया जा सकता है।
एक्सरसाइज करें और एक अच्छी डाइट और लाइफस्टाइल फॉलो करें।