मध्यप्रदेश उत्सव की सांस्कृतिक संध्या में मैहर वाद्य वृन्द की हुई आकर्षक प्रस्तुति
भोपाल मध्यप्रदेश भवन में आयोजित ‘मध्यप्रदेश उत्सव’ की सांस्कृतिक संध्या में आज कमल किशोर माहौर के निर्देशन में 10 संगीतज्ञों के समूह द्वारा मैहर वाद्य वृन्द की प्रस्तुति दी गई। प्रस्तुति में शास्त्रीय रागों – राग किरवानी और राग सिंधुरा, आंचलिक लोकधुनों और गांधीजी के भजनों पर कमल किशोर माहौर के नलतरंग वादन को गौतम […]
भोपाल
मध्यप्रदेश भवन में आयोजित ‘मध्यप्रदेश उत्सव’ की सांस्कृतिक संध्या में आज कमल किशोर माहौर के निर्देशन में 10 संगीतज्ञों के समूह द्वारा मैहर वाद्य वृन्द की प्रस्तुति दी गई। प्रस्तुति में शास्त्रीय रागों – राग किरवानी और राग सिंधुरा, आंचलिक लोकधुनों और गांधीजी के भजनों पर कमल किशोर माहौर के नलतरंग वादन को गौतम भारतीय और नेमचंद पटेल ने हारमोनियम, सौरभ चौरसिया और कमाल खान ने तबला, ब्रजेश द्विवेदी ने सरोद, अहमद खान ने सारंगी, अनिल जैसवाल और पवन सिंह ने सितार और श्रीमती कल्पना मिश्रा ने पखावज पर संगत दी। कार्यक्रम में ब्रिटिश मार्च टू विक्ट्री और राजस्थान के घूमर की भी प्रस्तुति दी गई।
उल्लेखनीय है कि मध्यप्रदेश शासन के संस्कृति संचालनालय से संरक्षण प्राप्त इस वाद्यवृन्द की स्थापना प्रसिद्ध संगीत मनीषी उस्ताद उलाउद्दीन खॉ साहब ने 1918 ने की थी। उस्ताद अलाउद्दीन खॉ ने परम्परागत वाद्ययंत्रों के अलावा दुर्लभ वाद्य यंत्रों का भी समावेश इस वाद्यवृन्द में किया था, जिसमें नलतरंग प्रमुख है। नलतरंग बंदूक की नालों को काटकर एक नये शास्त्रीय वाद्य के रूप में निर्मित किया गया था। यह वाद्यवृन्द में विशेष आकर्षण का केंद्र है। भारतीय शास्त्रीय संगीत की परम्परा का निर्वहन करते हुए यह पहला ऐसा वाद्यवृन्द है, जिसने 100 से अधिक वर्ष पूर्ण किये हैं।