नवीन प्रायमरी स्कूल धोबीगुड़ा को शहीद जवान देवेंद्र सेठिया के नाम पर किया गया लोकार्पित
जगदलपुर बस्तर जिला मुख्यालय के करीब स्थित शहीद देवेंद्र सेठिया के गृहग्राम धोबीगुड़ा में 4 सितंबर की सुबह सीआरपीएफ के आला अधिकारियों के मौजूदगी में नवीन प्रायमरी स्कूल ग्राम धोबीगुड़ा में शहीद जवान के छायाचित्र पर पूरे सम्मान के साथ पुष्पगुच्छ अर्पित करने के बाद भारत माता के जयकारे के नारे लगाए गए, उसके बाद […]
जगदलपुर
बस्तर जिला मुख्यालय के करीब स्थित शहीद देवेंद्र सेठिया के गृहग्राम धोबीगुड़ा में 4 सितंबर की सुबह सीआरपीएफ के आला अधिकारियों के मौजूदगी में नवीन प्रायमरी स्कूल ग्राम धोबीगुड़ा में शहीद जवान के छायाचित्र पर पूरे सम्मान के साथ पुष्पगुच्छ अर्पित करने के बाद भारत माता के जयकारे के नारे लगाए गए, उसके बाद स्कूल का नाम शहीद देवेंद्र सेठिया के नाम पर लोकार्पित किया गया।
विदित हो कि ग्राम धोबीगुड़ा में जन्म लेने वाले देवेन्द्र सेठिया का अप्रैल माह में नक्सलियों के द्वारा लगाए गए आईडी ब्लास्ट में शहीद हो गए थे, जिसके 5 माह बाद गृहग्राम में बने प्रायमरी स्कूल का नामकरण शहीद देवेंद्र कुमार सेठिया के नाम से किया गया है। इस दौरान सीआरपीएफ के आला अधिकारियों के साथ ही परिवार के लोग भी मौजूद थे।
उल्लेखनिय है कि लोकसभा चुनाव के मद्देनजर बीजापुर जिले के उसूर थाना क्षेत्र के ग्राम गलगम में एक सीआरपीएफ की पार्टी 19 अप्रैल 2024 एरिया डोमिनेशन के लिए निकली थी, इसी दौरान यूबीजीएल ब्लास्ट होने से सीआरपीएफ के आरक्षक देवेंद्र सेठिया के पैर, कमर और हाथ मे गंभीर चोट आई, जिसे उपचार के लिए जिला अस्पताल ले जाया गया। गंभीर हालत को देखते हुए मेकॉज हेलीकॉफ्टर की मदद से भेजा गया। मेकॉज पहुंचने से पहले देवेंद्र सेठिया शहीद हो गए थे।
शहीद कांस्टेबल देवेन्द्र सेठिया के परिजनों ने बताया कि वर्ष 2013 में देवेंद्र ने सीआरपीएफ ज्वाइन किया था, उसके बाद कई वर्ष तक असम में पदस्थ रहने के बाद करीब 2 वर्ष पहले भद्राचलम में सीआरपीएफ बटालियन में रहने के बाद करीब 8 माह पहले 196 बटालियन बीजापुर में तैनात थे, जनवरी में दियारी त्यौहार होने के कारण करीब 1 माह की छुट्टी लेकर आया हुआ था, फिर वापस अपने ड्यूटी बीजापुर चला गया, 19 अप्रैल की करीब सुबह 3 बजे अपने छोटे भाई योगेंद्र को फोन पर जन्मदिन का संदेश भी, भेजा उजके बाद अपने साथियो के साथ सर्चिंग में चला गया, इसके बाद उन्होने अपनी शाहादत दी।