भारत के सेवा क्षेत्र की वृद्धि अगस्त में बढ़कर 60.9 रही

नई दिल्ली  भारत के सेवा क्षेत्र की वृद्धि अगस्त में जुलाई की तुलना में बढ़ी। इसमें मार्च के बाद से सबसे तेज विस्तार देखा गया। एक मासिक सर्वेक्षण में यह जानकारी दी गई है। मौसमी रूप से समायोजित एचएसबीसी इंडिया भारत सेवा पीएमआई कारोबारी गतिविधि सूचकांक जुलाई में 60.3 से बढ़कर अगस्त में 60.9 हो […]

भारत के सेवा क्षेत्र की वृद्धि अगस्त में बढ़कर 60.9 रही

नई दिल्ली
 भारत के सेवा क्षेत्र की वृद्धि अगस्त में जुलाई की तुलना में बढ़ी। इसमें मार्च के बाद से सबसे तेज विस्तार देखा गया। एक मासिक सर्वेक्षण में यह जानकारी दी गई है।

मौसमी रूप से समायोजित एचएसबीसी इंडिया भारत सेवा पीएमआई कारोबारी गतिविधि सूचकांक जुलाई में 60.3 से बढ़कर अगस्त में 60.9 हो गया। यह मार्च के बाद सबसे तेज विस्तार है। इसे काफी हद तक उत्पादकता लाभ और सकारात्मक मांग के रुझान से समर्थन मिला।

खरीद प्रबंधक सूचकांक (पीएमआई) की भाषा में 50 से ऊपर अंक का मतलब गतिविधियों में विस्तार से और 50 से कम अंक का आशय संकुचन से होता है।

एचएसबीसी के मुख्य अर्थशास्त्री (भारत) प्रांजुल भंडारी ने कहा, ‘‘भारत के लिए समग्र पीएमआई में अगस्त में मजबूत वृद्धि रही जो सेवा क्षेत्र में त्वरित व्यावसायिक गतिविधि से प्रेरित है। इसमें मार्च के बाद से सबसे तेज विस्तार हुआ। यह वृद्धि मुख्य रूप से नए ठेकों खासकर घरेलू ठेकों में वृद्धि से प्रेरित रही।’’

कीमतों की बात करें तो कच्चे माल की लागत में छह महीने में सबसे कम वृद्धि हुई, विनिर्माण तथा सेवा दोनों क्षेत्रों में भी यही रुख देखने को मिला। इससे अगस्त में ‘आउटपुट’ मूल्य मुद्रास्फीति में कमी आई।

सर्वेक्षण में कहा गया, ‘‘भारत की सेवा अर्थव्यवस्था में शुल्क मुद्रास्फीति की समग्र दर मध्यम रही। जुलाई में देखी गई वृद्धि की तुलना में भी यह वृद्धि धीमी रही।’’

वहीं रोजगार का स्तर मजबूत बना रहा, हालांकि जुलाई की तुलना में नियुक्ति की गति मामूली धीमी रही।

इस बीच, एचएसबीसी इंडिया कंपोजिट पीएमआई आउटपुट इंडेक्स जुलाई की तरह ही अगस्त में भी 60.7 रहा।

अगस्त के सर्वेक्षण के आंकड़ों से यह भी पता चला कि भारतीय वस्तुओं तथा सेवाओं के लिए दाम जुलाई की तुलना में कम बढ़े। विनिर्माण कंपनियों तथा उनकी सेवा समकक्षों दोनों ने अगस्त में लागत दबाव में कमी देखी।

सर्वेक्षण में कहा गया कि मुद्रास्फीति की कुल दर छह महीने के निचले स्तर पर आ गई है।

 

सरकार का लक्ष्य अगले कुछ वर्षां में एल्कोहल युक्त पेय पदार्थों का निर्यात एक अरब डॉलर तक पहुंचाना

सरकार भारतीय शराब की वैश्विक स्तर पर बढ़ती मांग के मद्देनजर अंतरराष्ट्रीय बाजारों में एल्कोहल युक्त और बिना एल्कोहल वाले पेय पदार्थों को बढ़ावा देने की योजना बना रही है।

सरकार का लक्ष्य अगले कुछ वर्षों में इसके निर्यात को एक अरब अमेरिकी डॉलर (करीब 8,000 करोड़ रुपये) तक पहुंचाना है।

वाणिज्य मंत्रालय की शाखा कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) के अनुसार, भारत वर्तमान में एल्कोहल युक्त पेय पदार्थों के निर्यात के मामले में दुनिया में 40वें स्थान पर है। अनुमानों के अनुसार देश में निर्यात की अपार संभावनाएं हैं।

‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत प्राधिकरण ने प्रमुख विदेशी गंतव्यों को भारतीय शराब का निर्यात बढ़ाने का लक्ष्य रखा है।

एपीडा ने बयान में कहा गया, ‘‘वह अगले कुछ वर्षों में निर्यात राजस्व को संभावित रूप से एक अरब डॉलर तक बढ़ाने का लक्ष्य रख रहा है।’’

देश का एल्कोहल युक्त पेय पदार्थों का निर्यात 2023-24 में 2,200 करोड़ रुपये से अधिक रहा। सबसे अधिक निर्यात संयुक्त अरब अमीरात, सिंगापुर, नीदरलैंड, तंजानिया, अंगोला, केन्या, रवांडा जैसे देशों को किया गया।

एपीडा ने कहा कि डियाजियो इंडिया (यूनाइटेड स्पिरिट्स लिमिटेड) ब्रिटेन में ‘गोडावण’ पेश करने को तैयार है। यह राजस्थान में बनी सिंगल-माल्ट व्हिस्की है।

एक अरब अमेरिकी डॉलर के लक्ष्य पर भारतीय ब्रुअर्स एसोसिएशन के महानिदेशक विनोद गिरी ने कहा कि इस क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि एकल-माल्ट व्हिस्की भारत की उच्च गुणवत्ता वाली व्हिस्की उत्पादक के रूप में प्रतिष्ठा बनाने में बड़ी भूमिका निभाएगी, लेकिन उन पेय पदार्थों की अधिक मांग की उम्मीद है जो स्वाद तथा कीमत के लिहाज से अधिक स्वादिष्ट हैं, जैसे प्रीमियम भारतीय व्हिस्की तथा प्रीमियम रम।’’

मूल्य के लिहाज से गिरि ने कहा कि अमेरिका, अफ्रीका और यूरोप में निर्यात की अपार संभावनाएं हैं। उन्होंने सरकार को सुझाव दिया कि वह राज्यों से राज्य उत्पाद शुल्क नीतियों में निर्यात प्रोत्साहन शामिल करने का आग्रह करे।