गुरू-शिष्य परंपरा को मानते हुए हम सनातन संस्कृति से जुड़ते है- डॉ.मोहन यादव
उज्जैन मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव ने कहा कि गुरू शब्द संस्कृत से आता है, हम गुरू-शिष्य परंपरा को मानते हुए सनातन संस्कृति से जुड़ते हैं। गुरू अंधेरे से प्रकाश की ओर ले जाने का महत्वपूर्ण दायित्व निभाते हैं। अव्यवस्था को सुव्यवस्था में बदलने के लिए गुरू की दूरदृष्टि की जरूरत होती हैं। प्रसंन्नता है, कि प्रदेश […]
उज्जैन
मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव ने कहा कि गुरू शब्द संस्कृत से आता है, हम गुरू-शिष्य परंपरा को मानते हुए सनातन संस्कृति से जुड़ते हैं। गुरू अंधेरे से प्रकाश की ओर ले जाने का महत्वपूर्ण दायित्व निभाते हैं। अव्यवस्था को सुव्यवस्था में बदलने के लिए गुरू की दूरदृष्टि की जरूरत होती हैं। प्रसंन्नता है, कि प्रदेश सरकार ने कुलपतियों का नाम बदलकर कुलगुरू करने का काम किया हैं।
मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव शिक्षक दिवस के अवसर पर शासकीय उत्कृष्ट उ.मा.वि.माधव नगर उज्जैन में आयोजित शिक्षक सम्मान समारोह 2024 को मुख्य अतिथि के रूप में सम्बोधित कर रहे थे। इस मौके पर राज्यसभा सांसद बालयोगी उमेशनाथ जी महाराज, विधायक अनिल जैन कालूहेडा, विधायक घटिटया क्षेत्र सतीष मालवीय, बहादुर सिह बोरमुंडला, क्षेत्रिय पार्षद श्रीमती दुर्गाशक्ति सिह चौधरी, सहित जनप्रतिनिधि, स्कूल शिक्षा सचिव डॉ.संजय गोयल, आयुक्त लोक शिक्षण सुशिल्पा गुप्ता, संभागायुक्त संजय गुप्ता, कलेक्टर नीरज कुमार सिह एवं अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
इस समारोह में मुख्यमंत्री डॉ.यादव ने हाई स्कूल एवं हायर सेकेण्ड्री बोर्ड परीक्षाओं में शतप्रतिशत परीक्षा परिणाम देने वाले उज्जैन जिले के 602 विषय शिक्षकों का शाल ओढ़ाकर एवं प्रशस्ति पत्र प्रदान कर सम्मानित किया। साथ ही जिले के आईएसओ सर्टिफाईड 11 संकुल प्राचार्यो को आईएसओ प्रमाण पत्र प्रदान कर सम्मानित भी किया।
मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव ने अपने उदबोधन में पूर्व राष्ट्रपति सर्वपल्ली डॉ.राधाकृष्णन के का स्मरण करते हुए कहा, कि बोली से भाषा का क्रमिक विकास होता है और बोली भाषा में बदलती है। उन्होने कहा, कि पिछले एक हजार सालों से हिंदी का विकास हुआ हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि गोस्वामी तुलसीदास जी ने संस्कृत के विद्धान होते हुए भी हिंदी को समाज की भाषा के रूप में प्रतिस्थापित करने का काम किया हैं। हिंदी में रामचरित मानस की रचना कर, तुलसीदास जी ने रामायण को घर-घर पहुंचाया हैं। मुख्यमंत्री ने माधव सप्रे जी, माखनलाल चर्तुवेदी जी का स्मरण करते हुए कहा कि उन्होने हिंदी भाषा के विकास में काफी योगदान दिया हैं।
मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव ने अपने पूज्य स्वर्गीय पिता जी का स्मरण करते हुए कहा, कि शरीर नश्वर हैं, उन्होने ही सत्य के मार्ग पर चलते हुए समय का सदउपयोग करने की शिक्षा दी हैं। मुख्यमंत्री ने समारोह में उपस्थित सभी शिक्षकगणों को शिक्षक दिवस की शुभकामनाएं भी दी। मुख्यमंत्री ने समारोह में सम्मानित शिक्षकगणों के साथ समूह चित्र भी खिंचवाएं।
इस अवसर पर विधायक अनिल जैन कालूहेड़ा ने कहा, कि राष्ट्र निर्माण एवं राष्ट्र को प्रथम मानने वाले मुख्यमंत्री डॉ.यादव ने शौक संतृप्त होने के बावजूद भी संवेदनशीलता का परिचय देते हुए अपने कर्म को प्राथमिकता दी है और आज वे इस समारोह में शिक्षक साथियों के बीच उपस्थित हुए हैं। उन्होने कहा कि थ्रीडी के इस युग में भावी पीढ़ी का अच्छे से निर्माण करने का दायित्व शिक्षकगणों पर हैं। उन्होने सभी शिक्षक साथियों को अपनी ओर से शिक्षक दिवस की शुभकामनाएं दी हैं।
जिला शिक्षा अधिकारी आन्नद शर्मा ने सादर उदबोधन में कहा, कि हाई स्कूल एवं हायर सेकेण्ड्री परीक्षाओं में जिले का परिणाम बढ़ा हैं। गत वर्ष शिक्षक दिवस पर जिले के 565 शिक्षकगणों का सम्मान किया गया था। इस समारोह में 602 विषय शिक्षकों का मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव व्दारा सम्मान किया जा रहा हैं।
प्रारंभ में मुख्यमंत्री डॉ.यादव एवं अतिथियों ने मॉ सरस्वती एवं डॉ.राधाकृष्णन्न के चित्र पर माल्यापर्ण एवं दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। सचिव स्कूल शिक्षा डॉ.संजय गोयल, आयुक्त लोक शिक्षण सुशिल्पा गुप्ता एवं जिला शिक्षा अधिकारी आन्नद शर्मा ने अतिथियों का स्वागत किया। अंत में गणेश तिवारी ने आभार व्यक्त किया।
समारोह में सर्वबीएमएस परिहार, विभा शर्मा, चंदा नहारे, प्रमोद अग्रवाल, शरद व्यास, अभिमन्यु व्यास, आरके पोरवाल, सुतनवीर खान, विवेक तिवारी, सुविजया श्रीवास्तव, एस बोरखेडिया, सपना गोठवाल, आरके पुरोहित, अशोक सक्सेना, अनिल जैन, अर्चना श्रीवास्तव, एस देशपाण्डे एवं एम त्रिवेदी आदि का शॉल श्रीफल से सम्मानित किया गया।
समारोह में उपस्थित जनों ने 2 मिनट का मौन धारण कर, मुख्यमंत्री जी के स्वर्गीय पिताको सामुहिक श्रृंद्धाजली भी अर्पित की। मुख्यमंत्री डॉ यादव के साथ शिक्षकों ने ग्रुप फोटो भी खिंचवाई।