शारदीय नवरात्रि अश्विन माह में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि होगी शुरू

सनातन धर्म में त्योहारों का विशेष महत्व है। नवरात्रि का पर्व भी खास अवसरों में से एक है। नवरात्रि में नौ दिनों तक मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा-अर्चना की जाती है। साल में चार बार नवरात्रि का पावन त्योहार आता है। चैत्र और शारदीय नवरात्रि के अलावा दो गुप्त नवरात्रि आती है। हालांकि […]

शारदीय नवरात्रि अश्विन माह में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि होगी शुरू

सनातन धर्म में त्योहारों का विशेष महत्व है। नवरात्रि का पर्व भी खास अवसरों में से एक है। नवरात्रि में नौ दिनों तक मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा-अर्चना की जाती है। साल में चार बार नवरात्रि का पावन त्योहार आता है। चैत्र और शारदीय नवरात्रि के अलावा दो गुप्त नवरात्रि आती है। हालांकि सबसे ज्यादा महत्व शारदीय नवरात्रि का है।

पंचांग के अनुसार, शारदीय नवरात्रि का त्योहार हर साल अश्विनी माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है। नवरात्रि के 10वें दिन दशहरा मनाया जाता है। इस साल शारदीय नवरात्रि का त्योहार 3 अक्टूबर से 12 अक्टूबर तक मनाया जाएगा।

शारदीय नवरात्रि 2024 तिथियां

    नवरात्रि दिन 1: 3 अक्टूबर 2024, गुरुवार- मां शैलपुत्री की पूजा
    नवरात्रि दिन 2: 4 अक्टूबर 2024, शुक्रवार- मां ब्रह्मचारिणी की पूजा
    नवरात्रि दिन 3: 5 अक्टूबर 2024, शनिवार- मां चंद्रघंटा की पूजा
    नवरात्रि दिन 4: 6 अक्टूबर 2024, रविवार- मां कूष्मांडा की पूजा
    नवरात्रि दिन 5: 7 अक्टूबर 2024, सोमवार- मां स्कंदमाता की पूजा
    नवरात्रि दिन 6: 8 अक्टूबर 2024, मंगलवार- मां कात्यायनी की पूजा
    नवरात्रि दिन 7: 9 अक्टूबर 2024, बुधवार- मां कालरात्रि की पूजा
    नवरात्रि दिन 8: 10 अक्टूबर 2024, गुरुवार- मां सिद्धिदात्री की पूजा
    नवरात्रि दिन 9: 11 अक्टूबर 2024, शुक्रवार- मां महागौरी की पूजा
    नवरात्रि दिन 10: 12 अक्टूबर 2024, शनिवार- विजय दशमी
    नवरात्रि दिन 11: 13 अक्टूबर 2024, रविवार- दुर्गा विसर्जन

शारदीय नवरात्रि पूजा और कलश स्थापना विधि

सबसे पहले सुबह उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें। घर की अच्छे से साफ-सफाई करें। मुख्य द्वार की चौखट पर आम के पत्तों का तोरण लगाएं। पूजा के स्थान को गंगाजल से पवित्र करें। अब चौकी पर मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित करें। उत्तर और उत्तर-पूर्व दिशा में कलश की स्थापना करें।

कलश स्थापना के लिए एक मिट्टी के बर्तन में जौ के बीज बोएं। तांबे के कलश में शुद्ध पानी और गंगाजल डालें। कलश पर कलावा बांधें। इसके बाद उसमें दूर्वा, अक्षत और सुपारी भी डालें। फिर कलश पर चुनरी मौली बांध कर एक सूखा नारियल रखें। विधि-विधान से माता की पूजन करें। दुर्गा सप्तशती का पाठ करें। आखिरी में आरती करें और प्रसाद का वितरण करें।

शारदीय नवरात्रि पूजा सामग्री

नवरात्रि में मां शक्ति के अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है। पूजा सामग्री में कुमकुम, पुष्प, देवी की मूर्ति या फोटो, जल से भरा कलश, मिट्टी के बर्तन, जौ, लाल चुनरी, लाल वस्त्र, नारियल, अक्षत, पान, सुपारी, लौंग, इलायची, मिसरी, कपूर, श्रृंगार का सामान, दीपक, घी, फल, मिठाई और कलावा।