मध्यप्रदेश में बिजली कंपनियों का 14,733 करोड़ बिल बकाया, सबसे ज्यादा ग्वालियर, दूसरे नंबर पर भोपाल
भोपाल बकाएदारों से बिजलू वसूली के लिए मध्य प्रदेश में कंपनियां सख्ती बरतने जा रही हैं. हाल ही में कंपनी ने सोशल मीडिया पर 16 जिलों के बकायेदारों की लिस्च भी कंपनी की ओर से जारी की गई है. हैरान करने वाली बात यह है कि इस लिस्ट में कई रसूखदार लोगों के नाम भी […]
भोपाल
बकाएदारों से बिजलू वसूली के लिए मध्य प्रदेश में कंपनियां सख्ती बरतने जा रही हैं. हाल ही में कंपनी ने सोशल मीडिया पर 16 जिलों के बकायेदारों की लिस्च भी कंपनी की ओर से जारी की गई है. हैरान करने वाली बात यह है कि इस लिस्ट में कई रसूखदार लोगों के नाम भी शामिल हैं. हैरान करने वाली बात यह है इस लिस्ट में सबसे ज्यादा बिल जिस जिले पर बकाया है उसमें ग्वालियर शहर का नाम सबसे ऊपर है. उर्जा मंत्री प्रद्युम्नन सिंह तोमर खुद ग्वालियर से ही आते हैं.
मध्य प्रदेश में बिजली कंपनियों के कुल 14 हजार 733 करोड़ रुपये ग्राहको पर बकाया हैं. इस मामले में ग्वालियर शहर सबसे आगे है. ग्वालियर के बकायेदारों पर कुल 6,303 करोड़ रुपये बकाया है. इस मामले में दूसरे नंबर पर राजधानी भोपाल है. यहां बिजली कंपनी के 2,580 करोड़ रुपये के बकाया हैं.
प्रदेश में बिजली कंपनियों के 14 हजार 733 करोड़ रुपये बकाया हैं। इसमें सबसे ज्यादा ग्वालियर क्षेत्र पर बकाया है। यहां उपभोक्ताओं पर कुल 6,303 करोड़ रुपये बकाया है। वहीं, दूसरे नंबर पर 2,580 करोड़ रुपये के बकाया के साथ राजधानी भोपाल है।
उपभोक्ता नहीं भर रहे बिजली बिल
ग्वालियर क्षेत्र में घरेलू उपभोक्ताओं पर सबसे ज्यादा 3,513 करोड़ रुपये बकाया है। इसके बाद कृषि उपभोक्ताओं पर 1,734 करोड़ रुपये। यह स्थिति तब है, जब सरकार उपभोक्ताओं को करोड़ों रुपये की सब्सिडी दे रही है। ग्वालियर में गैर घरेलू (वाणिज्यिक) उपभोक्ताओं पर 621 करोड़, औद्योगिक उपभोक्ताओं पर 280 करोड़ और अन्य पर 156 करोड़ रुपये बकाया है।
भोपाल दूसरे, इंदौर तीसरे नंबर पर
दूसरे नंबर पर भोपाल है। यहां पर घरेलू उपभोक्ताओं पर 1,467 करोड़, कृषि 740 करोड़, गैर घरेलू (वाणिज्यिक) 169 करोड़, औद्योगिक 108 करोड़ और अन्य पर 97 करोड़ रुपये बकाया है।
इंदौर तीसरे नंबर पर
इंदौर क्षेत्र में घरेलू उपभोक्ताओं पर 830 करोड़, कृषि उपभोक्ताओं पर 147 करोड़, गैर घरेलू वाणिज्यिक 152 करोड़, औद्योगिक उपभोक्ताओं पर 260 करोड़ और अन्य पर 199 करोड़ रुपये बकाया हैं।
बाकी जगह घरेलू उपभोक्ता बड़े डिफॉल्टर
प्रदेश में जबलपुर क्षेत्र में 578 करोड़ रुपये बकाया है। इसमें घरेलू उपभोक्ताओं का 460 करोड़ रुपये बकाया हैं। रीवा क्षेत्र पर कुल 1135 करोड़ रुपये बकाया है, जिसमें 693 करोड़ रुपये घरेलू उपभोक्ताओं का है। सागर में 1004 करोड़ रुपये बकाया है, जिसमें घरेलू उपभोक्ताओं का 564 करोड़ रुपये है। शहडोल क्षेत्र में 248 करोड़ रुपये है, जिसमें 202 करोड़ घरेलू क्षेत्र का है। वहीं, उज्जैन क्षेत्र का कुल 1542 करोड़ रुपये है, जिसमें 902 करोड़ रुपये घरेलू उपभोक्ताओं का बकाया है।
इंदौर तीसरे तो जबलपुर चौथे नंबर पर
बकायादारों की लिस्ट में इंदौर क्षेत्र तीसरे नंबर पर है. यहां घरेलू उपभोक्ताओं पर 830 करोड़, कृषि उपभोक्ताओं पर 147 करोड़, कमर्शियल उपभोक्ताओं पर 152 करोड़, इंडस्ट्रियल उपभोक्ताओं पर 260 करोड़ और अन्य पर 199 करोड़ रुपये बकाया हैं. इसके अलावा जबलपुर चौथे पर नंबर है. जबलपुर क्षेत्र में बिजली कंपनियों के 578 करोड़ रुपये बकाया हैं. घरेलू उपभोक्ताओं पर कुल 460 करोड़ रुपये बकाया हैं.
बकायेदारों की लिस्ट में कई रसूखदार नाम
भोपाल शहर में बड़े बकायेदारों में मौजूदा विधायक आरिफ मसूद से लेकर पूर्व मंत्री राज्यवर्धन सिंह दत्तीगांव का भी नाम शामिल है. बिजली कंपनी ने तीन श्रेणियों के बकायादारों की सूची जारी की है. इन सभी को मिलाकर कुल एक लाख 43 हजार 759 बकायादार हैं. पुलिस-प्रशासन, नगर निगम कार्यालय, रेलवे, बिजली कंपनी वाले भी बड़े बकायादारों की सूची में शामिल हैं. शहर के बिल्डर, निजी कंपनियों के संचालक ने भी लंबे समय से एक लाख से अधिक का बिल जमा नहीं किया है. भोपाल स्मार्ट सिटी कार्यालय का भी लाखों का बिल बकाया है.
25 हजार घर बिजली कंपनियों के रडार पर
मध्य प्रदेश के 16 जिलों में बिजली चोरी और दुरुपयोग को रोकने के लिए केंद्रीय डिस्कॉम (वितरण कंपनी) ने 25,000 से अधिक घरों की पहचान की है। इन घरों में बिजली का अनुचित उपयोग और कई मीटर कनेक्शन का मामला सामने आया है, जिससे बिजली की खपत असामान्य रूप से कम हो रही है। डिस्कॉम ने इन घरों पर कार्रवाई शुरू कर दी है और सभी मीटरों को सुनियोजित करने की प्रक्रिया जारी है।
वसूली के लिए उठा रहे कदम
ऊर्जा विभाग के प्रमुख सचिव मनु श्रीवास्तव ने कहा कि बिजली कंपनी के बकायादार से वसूली के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। इसमें सोशल मीडिया पर उनकी नाम की सूची डालने के साथ उनकी सब्सिडी रोकने जैसे कदम उठा रहे हैं।