दतिया में तड़के साढ़े 3 बजे 400 साल पुरानी दीवार ढह गई, रेस्क्यू टीम मलबे में दबे लोगों को निकालने की कोशिश में जुटी
दतिया मध्य प्रदेश के दतिया जिले से इस वक्त की बड़ी खबर सामने आई है। यहां एक किले की दीवार ढहने से उसकी चपेट में आकर दो लोगों की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि 3 अन्य शव अब तक दीवार के मलबे से बाहर निकाले जा चुके हैं। बता दें कि, दतिया किले […]
दतिया
मध्य प्रदेश के दतिया जिले से इस वक्त की बड़ी खबर सामने आई है। यहां एक किले की दीवार ढहने से उसकी चपेट में आकर दो लोगों की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि 3 अन्य शव अब तक दीवार के मलबे से बाहर निकाले जा चुके हैं। बता दें कि, दतिया किले की 400 साल पुरानी पत्थर की दीवार ढहने से तलहटी के मकानों में रह रहे 9 लोग दब गए। फिलहाल, रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है।
बताया जा रहा है कि किले की कच्ची दीवार ढहकर उसकी जद में मौजूद कच्चे मकान और झोपड़ियों पर आ गिरी। सामने आई जानकारी के अनुसार, मलबे के नीचे कुल 9 लोग दबे हैं। इनमें से अबत पांच शव बाहर निकाले जा चुके हैं। जबकि 2 लोग गंभीर रूप से घायल अवस्था में अबतक दीवार के मलबे के नीचे से निकाल लिए गए हैं। घायलों को जिला अस्पताल पहुंचाया गया है। वहीं, दो अन्य लोगों की तलाश में रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जा रहा है।
दतिया शहर में मौजूद पुरानी विरासत (Heritage Wall) की एक अति प्राचीन 400 साल पुरानी पन्हा दीवाल अचानक (Heritage Wall Collapsed) तड़के भर-भरा कर नीचे गिर गई. इस हादसे में नौ लोग दब गए, जिनमें से दो लोगों की मौत (Death) हो गई जबकि दो लोगों को जिंदा मलवे से सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया. राहत और बचाव कार्य (Rescue Operation) जारी है, लेकिन सकरे रास्ते होने की वजह से राहत व बचाव कार्य में समस्या आ रही है. यहां पर पोकलेन और जेसीबी (JCB) जैसी मशीन नहीं पहुंच पा रही हैं. प्रशासनिक अधिकारी जिला कलेक्टर (Collector Datia) और पुलिस अधीक्षक (SP) के साथ स्थानीय प्रशासन के अधिकारी मौके पर मौजूद हैं. राहत व बचाव कार्य की निगरानी की जा रही है.
कब हुआ हादसा?
यह हादसा गुरुवार तड़के तीन और चार बजे के बीच होना बताया गया है. लोग जब गहरी नींद में सोए हुए थे, तब अचानक एक तेज आवाज के साथ पुराने महत्व की प्राचीन दीवार गिर गई, जिसकी चपेट में आकर कई लोग दब गए. पूरे इलाके में चीख पुकार मच गई. स्थानीय लोगों ने जैसे-तैसे मलबे से दो लोगों को जिंदा निकाला है, जबकि अभी भी मालबे में कुछ लोग फंसे हुए हैं. फंसे हुए लोगों ने बचाव कार्य में धीमी गति के चलते हंगामा भी मचाया, लेकिन प्रशासनिक अधिकारी मौके पर मौजूद थे, इसलिए समझा बुझा कर उन्हें शांत किया गया.
अल सुबर तेज आवाज के साथ गिरी रर
बताया जा रहा है कि किले के आसपास सुरक्षा के लिए चार सौ साल पहले दतिया रियासत के राजा ने रर का निर्माण कराया था. लेकिन इतने समय में यह कमजोर हो चुकी थी. हालांकि स्थानीय लोगों ने इस पर कब्जा भी कर लिया था, इसलिए इसे तोड़कर रिंगरोड बनाने का काम चल रहा था. लेकिन बीते 36 घंटों से जारी बारिश की वजह से अचानक गुरुवार अल सुबह चार बजे तेज आवाज के साथ यह दीवार भरभरा कर ढह गई. जैसे ही पत्थर गिरना शुरू हुए तो जिन घरों पर मलबा गिरा वहां के लोगों ने भाग कर जान बचाने की कोशिश की, लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी. कुछ लोग तो निकलने में सफल रहे लेकिन इस हादसे में 9 लोग मलबे के बीच दब गए. आस पास के लोगों ने तुरंत मलबा हटाकर कुछ लोगों को अस्पताल पहुंचाया साथ ही प्रशासन को भी घटना की सूचना दी.
रेस्क्यू को लेकर लोगों ने किया हंगामा
घटना की जानकारी लगते हैं पुलिस प्रशासन और एसडीआरएफ की टीम भी मौके पर पहुंची और लोगों का रेस्क्यू करना शुरू किया. लेकिन बड़े पत्थर और सकरा रास्ता होने की वजह से JCB मशीन को मौके पर पहुंचने में काफी परेशानी हुई. ऐसे में मलबे से लोगों का रेस्क्यू शुरू होने में अभी देर लग गई. अब तक इस हादसे में 9 लोगों के दबने की सूचना है, जिनमें से 3 लोगों के शव निकाले जा चुके है. वहीं दो लोगों को सुरक्षित निकाला गया. चार लोग अब भी मलबे में दबे हुए हैं और स्थानीय लोगों की मानें तो उनके जिंदा निकलने की उम्मीद अब न के बराबर है.
परिजन ने किया हंगामा
इधर मौके पर पहुंचा प्रशासन जब मलबा हटाने में जुटा था तो स्थानीय लोगों ने भी जमकर हंगामा कर दिया. लोगों का आरोप था कि मलबा हटाने के लिए उचित प्रयास नहीं किए जा रहे हैं, रेस्क्यू की रफ्तार काफी धीमी है. वहीं जिन लोगों के शव अब तक बाहर आ चुके हैं और इसमें निरंजन बंशकार और उसके दो बेटे शिवम और सूरज की मौत की पुष्टि हो चुकी है. जबकि मृतक निरंजन की पत्नी समेत अन्य परिजन का रेस्क्यू जारी है. जिसकी मॉनिटरिंग खुद जिला कलेक्टर समेत आलाधिकारी कर रहे हैं.
क्या महत्व है शहर पन्हा दीवार का?
दतिया में मौजूद यह ऐतिहासिक विरासत 400 साल पुरानी दीवार है, जिसे शहर पन्हा के नाम से जाना जाता है. इसमें खिड़कियां दरवाजे सहित प्राचीन महत्व की नक्काशी मौजूद थी. इस ऐतिहासिक दीवार को तात्कालिक राजा इंद्रजीत ने 1629 में बनवाया था. बताया जाता है कि दतिया छोटी रियासत होने के चलते असुरक्षित थी तब राजा ने अपने परिवार और प्रजा की सुरक्षा के लिए इस दीवार को बनवाया था. इस दौरान दीवार को हटाकर रिंग रोड बनाने का काम भी किया जा रहा था. यही वजह है कि यह हादसा सामने आया है.
राहत बचाव कार्य में दिक्कत के चलते तोड़ी जा रही है बाउंड्री
जहां यह हादसा हुआ है वहां खेती थोड़े और स्थानीय संसाधनों के साथ ही मलवा हटाने की कोशिश की जा रही है बड़ी मशीन इस जगह नहीं पहुंच पा रही है यही वजह है कि राहत और बचाव कार्य में तेजी लाने के लिए मशीनों को उतारने की कोशिश में बाउंड्री बाल जो वहां पास ही में मौजूद है उसे थोड़े जाने की तैयारी प्रशासन निकल रही है और थोड़ी देर में राहत बचाव कार्य तेज करने का दवा प्रशासनिक अधिकारी कर रहे हैं फिलहाल इन सभी लोगों को सुरक्षित निकालने के लिए प्रशासनिक स्तर पर तेजी से काम किया जा रहा है.