रिटेल इन्वेस्टर्स के जोरदार तरीके से निवेश के ट्रेंड को लेकर भारत सरकार ने चिंता जताई
नई दिल्ली पिछले कुछ दिनों से दुनिया भर के ज्यादातर स्टॉक मार्केट में तेजी का माहौल बना हुआ है, जिसकी…
नई दिल्ली
पिछले कुछ दिनों से दुनिया भर के ज्यादातर स्टॉक मार्केट में तेजी का माहौल बना हुआ है, जिसकी वजह से स्टॉक मार्केट में रिटेल इन्वेस्टर्स बढ़-चढ़कर निवेश कर रहे हैं। हालांकि रिटेल इन्वेस्टर्स द्वारा जोरदार तरीके से किए जा रहे निवेश के ट्रेंड को लेकर भारत सरकार ने चिंता जताई है। केंद्र सरकार ने वैश्विक स्तर पर स्टॉक मार्केट्स में संभावित करेक्शन की आशंका जताई है। ऐसा करेक्शन होने पर विशेष रूप से रिटेल इन्वेस्टर्स पर सबसे अधिक असर पड़ सकता है।
उल्लेखनीय है कि अमेरिका और चीन जैसी दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं वाले देश समेत दुनिया के कुछ अन्य देशों में भी हाल के दिनों में ब्याज दरों में कटौती की गई है, जिसकी वजह से स्टॉक मार्केट में भी लिक्विडिटी बढ़ी है और तेजी का रुख बना है। पूरी दुनिया की तरह भारत में भी रिटेल इन्वेस्टर्स अचानक आई इस तेजी से प्रभावित होकर स्टॉक मार्केट में जम कर पैसा लगा रहे हैं। हालांकि अगर मार्केट में करेक्शन की स्थिति बनती है, तो रिटेल इन्वेस्टर्स की बड़ी पूंजी डूब सकती है।
फाइनेंस मिनिस्ट्री के अगस्त महीने के मंथली इकोनामिक रिव्यू में कहा गया है कि कुछ देशों में मॉनिटरी पॉलिसी संबंधी की गई घोषणाओं की वजह से अति उत्साह में ग्लोबल लेवल पर स्टॉक मार्केट में तेजी का माहौल बना है। हालांकि अब इसी वजह से दुनिया भर के ज्यादातर स्टॉक मार्केट्स में करेक्शन के आसार भी बढ़ गए हैं। अगर जोखिम बढ़ा, तो इसका अस्तर असर वैश्विक स्तर पर देखने को मिल सकता है। रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि वैश्विक स्तर पर स्टॉक मार्केट में करेक्शन की स्थिति बनने पर घरेलू शेयर बाजार भी प्रभावित होगा, जिसकी वजह से रिटेल इन्वेस्टर्स को नुकसान का सामना करना पड़ सकता है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि जियो पोलिटिकल टेंशन, ब्याज दरों में कटौती का ग्लोबल साइकिल और ग्लोबल इकॉनमी पर बढ़ रहे दबाव की वजह से विकसित देशों में भी मंदी की आशंका मंडरा रही है। घरेलू अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर भी मौजूद चुनौतियों का इस रिपोर्ट में इशारा किया गया है। इसके साथ ही कुछ इलाकों में बारिश की कमी और कुछ इलाकों में बारिश अधिक होने की वजह से बाढ़ की स्थिति बनने के कारण कृषि के उत्पादन पर इसके संभावित असर को लेकर भी चिंता जताई गई है।