स्वच्छता पखवाड़ा अन्तर्गत कृषि विज्ञान केन्द्र कटिया द्वारा जनमानस को किया जा रहा जागरूक
कटिया सीतापुर कृषि विज्ञान केन्द्र कटिया सीतापुर द्वारा स्वच्छता ही सेवा अभियान 17 सितम्बर 2024 से 02 अक्टूबर 2024 तक…
कटिया सीतापुर
कृषि विज्ञान केन्द्र कटिया सीतापुर द्वारा स्वच्छता ही सेवा अभियान 17 सितम्बर 2024 से 02 अक्टूबर 2024 तक स्वच्छता पखवाड़ा अन्तर्गत ग्रामीण स्तर व विद्यालयों में स्वच्छता की पाठशाला व अन्य कार्यक्रम जैसे गोष्ठी, दीवार लेखन, स्वच्छता अभियान, स्वच्छता रैलियाँ, स्वच्छता प्रतियोगिता व मानव श्रंखला बनाकर जनमानस को जागरूक किया जा रहा हैं। स्वच्छता पखवाड़ा पर चर्चा करते हुए केन्द्र के अध्यक्ष व वरिष्ठ वैज्ञानिक डा0 दया शंकर श्रीवास्तव ने कहा कि गांधी जी के सपनों को पूरा करने के लिए स्वच्छ और निर्मल भारत के निर्माण के लिए भारत सरकार ने 2 अक्टूबर 2014 से स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत की। स्वच्छता पखवाड़ा भारत सरकार द्वारा आयोजित एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम है जो साफ-सुथरे और स्वस्थ भारत की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
स्वच्छता पखवाड़ा हर साल दो बार मनाया जाता है, जिसमें देश के विभिन्न हिस्सों में स्वच्छता अभियान चलाए जा रहे हैं। हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी केन्द्र द्वारा स्वच्छता ही सेवा है अन्तर्गत स्वच्छता पखवाड़ा का आयोजन किया जा रहा है जिसकी थीम हैं स्वभाव स्वच्छता संस्कार स्वच्छता। यह संदेश हमें याद दिलाता है कि स्वच्छता न केवल हमारे आसपास के वातावरण में होनी चाहिए, बल्कि हमारे स्वभाव और संस्कार में भी होनी चाहिए। यह एक सुंदर और प्रेरक संदेश है जो हमें स्वच्छता के महत्व के बारे में सोचने के लिए प्रेरित करता है। केन्द्र के मृदा वैज्ञानिक व कार्यक्रम प्रभारी श्री सचिन प्रताप तोमर बताया कि स्वच्छता ही सेवा है को ध्यान में रखकर स्वच्छता को अपनाना होगा जिससे कि हम अपने देश को स्वच्छ व स्वस्थ बनाने में सहयोग दे सके। केन्द्र द्वारा स्वच्छता पखवाड़ा अन्तर्गत जनपद के लगभग 12 गांवो के कृषकों एवं विद्यालयों के माध्यम से छात्र-छात्राओं को स्वच्छता के प्रति जागरूक किया जा रहा हैं। कृषि अवशेषों एवं कचरे से केचुआ खाद बनाकर हमारे कृषक भाई खेती में उपयोग करके रासायनिक खाद की निर्भरता को कम कर सकते हैं।
केन्द्र की गृह वैज्ञानिका डा0 रीमा ने स्वच्छता के प्रति जानकारी देते हुए बताया कि घर की रसोई से प्रति दिन निकलने वाले कचरे को सड़ाकर कम्पोस्ट खाद बनाकर अपनी पोषण वाटिका में इस्तेमाल किया जा सकता है तथा तालाबों से निकले वाली जलकुम्भी जोकि मछली पालकों के लिए बड़ी समस्या है, इस जलकुम्भी को सुखकार हमारी महिलायें अनेक तरह के सजावटी उत्पाद बना सकती हैं। केन्द्र के प्रक्षेत्र प्रबंधक डा0 योगेन्द्र प्रताप सिंह ने स्वच्छता पखवाड़ा अन्तर्गत कृषकों को बताया कि स्वच्छता ही सेवा अभियान एक महत्वपूर्ण कदम है जो स्वच्छता को बढ़ावा देने और समाज में स्वच्छता की महत्ता को समझाने में मदद करेगा। हमें इस अभियान में भाग लेना चाहिए और स्वच्छता के लिए काम करना चाहिए। फसलों के अवशेषों जैसे धान का पुआल, गन्ना की पत्तियों को पूसा बायो डिकम्पोजर द्वारा विघटित कर खाद तैयार की जा सकती हैं। जिसके उपयोग से खेत की मिट्टी को सुधारा जा सकता हैं।