सरकार ने गैर-बासमती चावल के निर्यात को खोलने और न्यूनतम निर्यात प्राइज के मूल्य निर्धारण को मंजूरी दी

भोपाल केंद्र की मोदी सरकार ने किसानों के हित में एक बड़ा फैसला लिया है। गैर-बासमती चावल के निर्यात को…

सरकार ने गैर-बासमती चावल के निर्यात को खोलने और न्यूनतम निर्यात प्राइज के मूल्य निर्धारण को मंजूरी दी

भोपाल

केंद्र की मोदी सरकार ने किसानों के हित में एक बड़ा फैसला लिया है। गैर-बासमती चावल के निर्यात को खोलने और न्यूनतम निर्यात प्राइज के मूल्य निर्धारण को मंजूरी दी है। केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने यह जानकारी दी है।

मोदी सरकार किसानों के हित में एक बाद एक बड़े फैसले रही है। इसी कड़ी में अब सरकार ने गैर-बासमती चावल के निर्यात को खोलने और न्यूनतम निर्यात प्राइज के मूल्य निर्धारण को मंजूरी दी है। गैर-बासमती सफेद चावल पर 490 डॉलर प्रति टन का न्यूनतम निर्यात मूल्य तय किया गया है। बॉइल्ड और ब्राउन चावल पर शुल्क 20% से घटकर 10% हुआ है। चावल उत्पादक किसानों के आर्थिक सुदृढ़ीकरण की दिशा में केंद्र सरकार का यह बड़ा कदम है।

किसान अब न्यूनतम निर्धारित मूल्य से अधिक कीमत पर ही अपनी उपज निर्यात कर सकेंगे। किसान हितैषी सरकार ने पूर्व में भी कई कल्याणकारी निर्णय लिए हैं। खाद्य तेलों के आयात शुल्क को बढ़ाकर 20% किया गया। अन्य उपकरणों को जोड़ने पर कुल प्रभावी शुल्क 27.5%, रिफाइंड तेल पर मूल शुल्क बढ़ाकर 32.5% किया गया। इस निर्णय से सोयाबीन, सूरजमुखी और मूंगफली उत्पादक किसानों को आर्थिक लाभ होगा। प्याज पर निर्यात शुल्क 40% था, जिसे घटाकर 20% किया गया। इस निर्णय से प्याज उत्पादक किसानों को ठीक दाम मिलेंगे

बासमती चावल पर भी मिनिमम एक्सपोर्ट प्राइस समाप्त करने का निर्णय लिया गया। जिससे बासमती चावल के उत्पादक किसान इनका निर्यात करके अधिक मुनाफा प्राप्त कर पाएंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 61 फसलों की 109 किस्मों में 34 क्षेत्रीय फसलें और 27 बागवानी फसलों की नई किस्में किसानों को समर्पित की, जिससे कृषि उत्पादकता में वृद्धि होगी।

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण व ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने तुअर, उड़द और मसूर उत्पादक किसानों के लिए 100% खरीद का आश्वासन दिया है। वर्ष 2025-26 तक दलहनी फसलों के क्षेत्र विस्तार और उत्पादकता में सुधार का लक्ष्य और वर्ष 2027-28 तक आत्मनिर्भरता का लक्ष्य है। पीएम फसल बीमा के तहत महाराष्ट्र परभणी जिले के 2 लाख किसानों को लगभग 200 करोड़ से अधिक लंबित क्लेम का भुगतान किया गया। राष्ट्रीय नाशीजीवी (कीट) निगरानी प्रणाली (NPSS) लॉन्च किया गया। जिसके माध्यम से किसान को कीट की सटीक पहचान और प्रबंधन हेतु शीघ्र सलाह दी जाती है।