चीतापखना में पढ़ाने अभी तक नहीं आता कोई शिक्षक

मंडला घुघरी ब्लाक के आदिवासी बाहुल्य गांव चीतापखना के प्राथमिक शाला में पढ़ाने के लिए अभी तक कोई शिक्षक नहीं आये हैं।जबकि स्कूलों को खुले धीरे-धीरे डेढ़ महीने बीतने वाले हैं।    गांव वालों ने इस बात की जानकारी लेकर लगभग दो दर्जन स्कूली बच्चों के साथ मंगलवार को जनसुनवाई में पहुंचकर जिला प्रशासन के […]

चीतापखना में पढ़ाने अभी तक नहीं आता कोई शिक्षक

मंडला
घुघरी ब्लाक के आदिवासी बाहुल्य गांव चीतापखना के प्राथमिक शाला में पढ़ाने के लिए अभी तक कोई शिक्षक नहीं आये हैं।जबकि स्कूलों को खुले धीरे-धीरे डेढ़ महीने बीतने वाले हैं।

   गांव वालों ने इस बात की जानकारी लेकर लगभग दो दर्जन स्कूली बच्चों के साथ मंगलवार को जनसुनवाई में पहुंचकर जिला प्रशासन के सामने इस समस्या को रखी और पढ़ाने के लिए शिक्षकों की मांग की है। बच्चों के अभिभावकों का कहना है,कि चीतापखना में दो शिक्षक हैं।एक पटैल मेडम है जो पिछले साल 15 अगस्त के बाद दोबारा नहीं आई है। वहीं गांव के ही पास का एक सरकारी शिक्षक है,जो स्कूल में अब तक नहीं पहुंचा है।

 यहां पर पिछले साल के अतिथि शिक्षक ही स्कूल पहुंचकर बच्चों को किताबें दिया है। मध्यान्ह भोजन करने तक बच्चे स्कूल में ठहरते हैं।इसके बाद बच्चे घर वापस चले जाते हैं।यह भी बताया गया है,कि इस स्कूल के पास एक नदी है,एक बड़ा कुआं है। जिनमें इस समय पानी लबालब भरा हुआ है। बच्चे खेल खेल में डूबकर कोई बड़े हादसे को भी जन्म दे सकते हैं।इनकी देखभाल करने के लिए यहां पर कोई नहीं हैं।
    ग्रामीणों ने कलेक्टर से मांग की है,कि उनके इस स्कूल में पढ़ाने वाले दो शिक्षकों को आज के आज भेजा जाए।