वायनाड में 13 फुटबॉल मैदान जितनी बड़ी जगह में मची तबाही…. सैटेलाइट तस्वीरों ने चौंकाया

वायनाड वायनाड में मंगलवार तड़के कुदरत का ऐसा कहर बरपा कि सैकड़ों जिंदगियां मौत के मुंह में समा गईं. कई घायल हैं और ऐसे लोगों की भी संख्या काफी बड़ी है जो परिवार से अलग हो गए हैं, अकेले रह गए हैं और बिछड़ गए हैं. बड़ी संख्या में लोग लापता भी हुए हैं और […]

वायनाड में 13 फुटबॉल मैदान जितनी बड़ी जगह में मची तबाही…. सैटेलाइट तस्वीरों ने चौंकाया

वायनाड

वायनाड में मंगलवार तड़के कुदरत का ऐसा कहर बरपा कि सैकड़ों जिंदगियां मौत के मुंह में समा गईं. कई घायल हैं और ऐसे लोगों की भी संख्या काफी बड़ी है जो परिवार से अलग हो गए हैं, अकेले रह गए हैं और बिछड़ गए हैं. बड़ी संख्या में लोग लापता भी हुए हैं और इनमें से कई ऐसे हैं, जिनकी जीवित बचे रह जाने की उम्मीद कम ही है. आंकड़ों में बात करें तो अब तक 256 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है. लैंडस्लाइड के कारण 4 गांव मलबे में तब्दील हो गए हैं और अब वहां कुछ नहीं बचा है.    

इस भीषण आपदा को लेकर इसरो ने भी चिंता जताई है और अपनी एक स्टडी में कहा है कि वायनाड में जितने बड़े हिस्से पर लैंडस्लाइड का प्रभाव पड़ा है, वह भूखंड इतना बड़ा है कि इस एरिया में 13 से अधिक इंटरनेशन फुटबॉल ग्राउंड बनाए जा सकते थे. लैंड स्लाइड के कारण इतना बड़ा भूखंड  इरुवाझिनझी नदी में समा गया है और इसी हिस्से पर बसे लोग मलबों के साथ बह गए. केरल के वायनाड के तीन गांवों में 250 से अधिक लोगों की मौत हो गई है.

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने  भूस्खलन वाले क्षेत्र का एरियल सर्वे किया. सैटेलाइट डेटा पर बेस्ड असेसमेंट में सामने आया कि लैंडस्लाड में लगभग 86,000 वर्गमीटर एरिया धसकते हुए मलबे में तब्दील हो गया. फीफा के नियमों के अनुसार अंतरराष्ट्रीय खेलों की मेजबानी के लिए फुटबॉल मैदान का आकार कम से कम 6,400 वर्गमीटर होना चाहिए. इस तरह देखा जाय तो यहां 13 से अधिक मैदान बनाए जा सकते थे.

31 जुलाई को अपने RISAT-2B सैटेलाइट द्वारा कैप्चर की गई सैटेलाइट इमेजरी के आधार पर इसरो के विश्लेषण में कहा गया है कि भूस्खलन से हुआ कीचड़, बड़े पत्थरों और उखड़े हुए पेड़ों के साथ लगभग 8 किमी तक बहता रहा और आखिरकार चेलियार नदी की एक सहायक नदी में गिर गया. इसरो ने कहा, "बहते आ रहे मलबे की तेज गति ने इरावानीफुज़ार नदी के मार्ग को चौड़ा कर दिया है, जिससे इसके किनारे टूट गए हैं."

आपदा में जो जीवित बचे वह इसकी विभीषिका बताते हुए अभी भी कांप उठते हैं. उन्होंने इस मलबे को कीचड़ की दीवार कहा है और उनका कहना है कि इसी के कारण सैकड़ों घर और कई बुनियादी ढांचे दफन हो गए.

इस आपदा के केंद्र में इरुवाझिंझी नदी है, जो मुंडक्कई से लगभग 3 किमी ऊपर पहाड़ियों से निकलती है. इसरो ने कहा कि भूस्खलन समुद्र तल से लगभग 1500 मीटर की ऊंचाई पर हुआ.

इंडिया टुडे की ओपन-सोर्स इंटेलिजेंस (OSINT) टीम द्वारा किए गए इलाके के मानचित्रण से पता चला है कि आबादी वाले इलाकों के करीब पहुंचने पर नदी तेजी से और लगातार अपनी ऊंचाई खोती जा रही है. इसका मतलब यह भी है कि जैसे-जैसे यह नीचे की ओर बहती है इसकी धाराएं मजबूत होती जाती हैं. इसके रास्ते में पहला शहर, मुंडक्कई, लगभग 950 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. इसका मतलब है कि नदी की ऊंचाई प्रोफ़ाइल लगभग 3 किमी की दूरी में लगभग 550 मीटर कम हो जाती है.

अधिकारियों ने कहा कि विथिरी में 48 घंटों में लगभग 57 सेमी बारिश हुई, जिससे विनाशकारी घटना हुई. इंडिया टुडे ने पहले रिपोर्ट किया था कि नदी में 2020 में भी इसी तरह का भूस्खलन-प्रेरित स्लश रन देखा गया था. सामने आई नई इसरो इमेजरी से पता चला है कि मंगलवार का भूस्खलन 2020 वाली जगह पर ही हुआ है, लेकिन इस बार यह काफी बड़ा और विभीषिका वाला था, जिससे नुकसान भी भीषण हुआ है.