शिव के रुद्राभिषेक में क्या करें और क्या न करे

भगवान शिव का रुद्राभिषेक करना बहुत ही लाभकारी होता है। रुद्राभिषेक से साधक में शिवत्व का उदय होता है। साथ ही व्यक्ति को रुद्राभिषेक करने से भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता और सभी मनोरथपूर्ण होती हैं। लेकिन, रुद्राभिषेक कुछ खास तिथियों पर नहीं करनी चाहिए। यदि आप ऐसा करते हैं तो व्यक्ति को मृत्युतुल्य […]

शिव के रुद्राभिषेक में क्या करें और क्या न करे

भगवान शिव का रुद्राभिषेक करना बहुत ही लाभकारी होता है। रुद्राभिषेक से साधक में शिवत्व का उदय होता है। साथ ही व्यक्ति को रुद्राभिषेक करने से भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता और सभी मनोरथपूर्ण होती हैं। लेकिन, रुद्राभिषेक कुछ खास तिथियों पर नहीं करनी चाहिए। यदि आप ऐसा करते हैं तो व्यक्ति को मृत्युतुल्य कष्ट मिलता है। दरअसल, विभिन्न तिथियों पर शिवजी का निवास अलग-अलग जगह होता है। इसलिए रुद्राभिषेक तभी करें, जब शिवजी का निवास करना मंगलकारी होता है। कृष्णपक्ष की प्रतिपदा, अष्टमी अमावस्या और शुक्लपक्ष की द्वितीया पर भगवान शिव का निवास अलग-अलग जगह होता है। रुद्राभिषेक तभी करें, जब शिवजी का निवास मंगलकारी हो। आइए जानते हैं किस दिन भगवान शिव का तिथि अनुसार रुद्राभिषेक करने से क्या लाभ मिलता है।

इन तिथियों पर अभिषेक करने से आती है सुथ समृद्धि

कृष्णपक्ष की प्रतिपदा, अष्टमी, अमावस्या व शुक्लपक्ष की द्वितीया और नवमी पर भगवान शिव माता गौरी के साथ रहते हैं। इन तिथियों पर रुद्राभिषेक करने से सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है।

जबकि कृष्णपक्ष की चतुर्थी, एकादशी और शुक्लपक्ष की पंचमी और द्वादशी तिथि को भगवान शिव का निवास कैलाश पर्वत पर होता है। इन तिथियों पर रुद्राभिषेक करने से सुख और परिवार में आनंद और मंगल की प्राप्ति होती है।

प्रतिपदा सहित इन तिथियों पर भगवान शिव का अभिषेक करना लाभकारी

कृष्णपक्ष की पंचमी एवं द्वादशा तिथि और शुक्लपक्ष की षष्ठी एवं त्रयोदशी तिथि को भगवान शिव नंदी पर सवार होकर माता पार्वती के साथ पृथ्वी का भ्रमण करते हैं। इन तिथियों पर रुद्राभिषेक करने से अभीष्ट सिद्धि और विशेष मनोकामना की प्राप्ति होती है।

कृष्णपक्ष की सप्तमी व चतुर्दशी और शुक्लपक्ष की प्रतिपदा, अष्टमी और पूर्णिमा को शिवजी श्मशान में समाधिस्थ होते हैं। इस समय शिवजी का यदि कोई आवाहन करता है तो उस व्यक्ति को पर मृत्युतुल्य कष्ट दूर होते हैं।

इन तिथियों पर भगवान शिव का अभिषेक करने से मिलता है दुख

कृष्णपक्ष की द्वितीया व नवमी और शुक्लपक्ष की तृतीया और दशमी को शिवजी देवताओं की समस्या सुनते हैं। इन तिथियों पर रुद्राभिषेक से दुःख मिलता है।

कृष्णपक्ष की तृतीया और दशमी और शुक्लपक्ष की चतुर्थी और एकादशी को शिवजी क्रीड़ारत रहते हैं। इन तिथियों पर रुद्राभिषेक करने से संतान को कष्ट होता है। इसलिए इस दिन भगवान शिव का अभिषेक आदि करने से बचना चाहिए।

षष्ठी तिथि पर भी न करें भगवान शिव का अभिषेक मिलती है पीड़ा

कृष्णपक्ष की षष्ठी व त्रयोदशी और शुक्लपक्ष की सप्तमी व चतुर्दशी को महादेवजी भोजन करते हैं। इन तिथियों पर रुद्राभिषेक करने से पीड़ा मिलती है।

इसके अलावा महाशिवरात्रि, प्रदोष और श्रावण सोमवार को रुद्राभिषेक किया जा सकता है। श्रावण मास रुद्राक्ष धारण करने के लिए सर्वोत्तम होता है।