चेक बाउंस के मामले में हीरेंद्र मिश्रा (सदन)को एक साल की सजा

मंडला   मंडला चेक बाउंस के एक मामले में मंडला जिला न्यायालय के न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए आरोपी को 1 वर्ष के कठोर कारावास और चेक बाउंस की कुल राशि 15 लाख रूपये का 9% वार्षिक ब्याज के साथ कुल 23 लाख 57 हज़ार 250 रूपये अदा करने के […]

चेक बाउंस के मामले में हीरेंद्र मिश्रा (सदन)को एक साल की सजा

मंडला  
मंडला चेक बाउंस के एक मामले में मंडला जिला न्यायालय के न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए आरोपी को 1 वर्ष के कठोर कारावास और चेक बाउंस की कुल राशि 15 लाख रूपये का 9% वार्षिक ब्याज के साथ कुल 23 लाख 57 हज़ार 250 रूपये अदा करने के निर्देश दिए हैं। राशि दना न करने की स्थिति में आरोपी को 6 माह का कारावास और भुगतना होगा। दरअसल आवेदक / परिवादी अखिलेश अग्रवाल (बिल्लू) ने बिनेका रोड निवासी हीरेंद्र मिश्रा (सदन) के विरोध 15 लाख रुपए के चेक बाउंस का मामला माननीय न्यायालय रवि चौकसे नायक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी के यहां दर्ज कराया था। इस मामले में आवेदक अखिलेश अग्रवाल (बिल्लू) ने हीरेंद्र मिश्रा (सदन) के विरुद्ध 15 लाख रुपए के चेक बाउंस होने का मामला दायर किया था।
वर्ष 2018 के इस मामले में 6 साल बाद फैसला आया है। इतने लंबे अरसे तक कोर्ट में चले मामले के दौरान आवेदक अखिलेश अग्रवाल (बिल्लू) ने कोर्ट को बताया कि अभियुक्त हीरेंद्र मिश्रा(सदन) से उसके अच्छे संबंध रहे हैं और दोनों के बीच पैसे का आदान-प्रदान होता रहता था। अभियुक्त पूर्व में कई बार उससे नगद राशि उधर स्वरूप लेता रहा है और उसे समय पर लौटता भी रहा है। इस बार अभियुक्त द्वारा आवेदक अखिलेश (बिल्लू) से 15 लाख रुपए की राशि ली गई। इसके एवज में उसे 15 लख रुपए का चेक भी प्रदान किया गया।
आवेदक द्वारा जब यह चेक भारतीय स्टेट बैंक में लगाया गया तो अभियुक्त के खाते में पर्याप्त पैसे न होने की वजह से चेक बाउंस हो गया। इसके बाद कई बार मौखिक रूप से निवेदन करने पर जब अभियुक्त द्वारा न पैसे वापस किए गए और न ही पैसे लौटाने को लेकर कोई खास आश्वासन दिया गया तब जाकर आवेदक ने न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। न्यायालय द्वारा भेजे जा रहे नोटिस को भी अभियुक्त द्वारा स्वीकार किया जाता रहा और न्यायालय में बहाना बनाया गया कि उसको कोई नोटिस प्राप्त नहीं हुए। इतना ही नहीं उसने कोर्ट में आवेदक को पहचानने से भी इंकार कर दिया। अभियुक्त द्वारा अपने पक्ष में कई ऐसे तर्क दिए गए जिन्हें कोर्ट ने खारिज कर दिया। अभियुक्त ने कोर्ट को बताया कि उसका पर्स गुम हो गया था जिसमें जरूरी कागजात, रूपये के साथ चेक थे और वही चेक आवेदक को मिल गया जिस पर फर्जी तरीके से उसने राशि भर अपनी दावेदारी कर दी। कोर्ट में अभियुक्त यह भी स्थापित करने में कामयाब नहीं हो सका कि उसने चेक गुम होने का उल्लेख थाने में दर्ज अपनी रिपोर्ट में किया था। वह यह भी नहीं बता पाया कि जब उसका चेक गुम हुआ तो उसने बैंक को इसकी सूचना क्यों नहीं दी। लंबे चाले मामले के बाद न्यायालय ने आवेदक के समस्त तर्कों को सही पाते हुए अभियुक्त हीरेंद्र मिश्रा (सदन) को 1 वर्ष के कठोर कारावास से दंडित किया है। साथ ही 15 लाख रुपये 9% वार्षिक दर के ब्याज को ध्यान में रखते हुए, आवेदक को को हुए नुकसान की छती पूर्ति के रूप में कुल 23 लाख 57 हज़ार 250 रूपये देने के आदेश जारी किए हैं।
अपने फैसले में कोर्ट ने कहा है कि यदि अभियुक्त उक्त राशि का भुगतान नहीं करता तो उसे 6 माह के अतिरिक्त कारावास की सजा भुगतनी होगी और उक्त राशि जुर्माने के रूप में वसूल की जाएगी। न्यायालय ने अपने महत्वपूर्ण फैसले में यह भी माना कि यह एक गंभीर प्रवृत्ति का अपराध है। इससे आवेदक को 6 सालों से निरंतर गंभीर आर्थिक और मानसिक परेशानी का सामना करना पड़ा है। अदालत ने यह भी माना कि वर्तमान स्थिति में आर्थिक क्षति सबसे बड़ी है। यही वजह है कि इसे गंभीर प्रवृत्ति का अपराध मानते हुए न्यायालय ने यह फैसला सुनाया है। आवेदक अखिलेश अग्रवाल (बिल्लू) ने इस फैसले पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि इस फैसले से और लोगों को भी फायदा होगा और लोग जेल के डर से उधार ली हुई राशि वापस लौटाएंगे।
वही आवेदक अखिलेश अग्रवाल (बिल्लू) की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता आलोक खरया ने की