प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी केरल के भूस्खलन प्रभावित वायनाड जिले पहुंचे, पीड़ितों से भी की बातचीत, किया दौरा

नई दिल्ली प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को केरल के भूस्खलन प्रभावित वायनाड जिले पहुंचे। उन्होंने चूरलमाला में पैदल चलकर आपदा से हुए नुकसान का आकलन किया। अधिकारियों ने बताया कि मोदी कन्नूर हवाई अड्डे से वायुसेना के हेलीकॉप्टर के जरिए वायनाड पहुंचे। 30 जुलाई को बड़े पैमाने पर हुई भूस्खलन की घटनाओं से प्रभावित चूरलमाला […]

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी केरल के भूस्खलन प्रभावित वायनाड जिले पहुंचे, पीड़ितों से भी की बातचीत, किया दौरा

नई दिल्ली
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को केरल के भूस्खलन प्रभावित वायनाड जिले पहुंचे। उन्होंने चूरलमाला में पैदल चलकर आपदा से हुए नुकसान का आकलन किया। अधिकारियों ने बताया कि मोदी कन्नूर हवाई अड्डे से वायुसेना के हेलीकॉप्टर के जरिए वायनाड पहुंचे। 30 जुलाई को बड़े पैमाने पर हुई भूस्खलन की घटनाओं से प्रभावित चूरलमाला क्षेत्र में उन्होंने पैदल चलकर नुकसान का जायजा लिया। इससे पहले, पीएम मोदी ने भारतीय वायुसेना के हेलीकॉप्टर से भूस्खलन प्रभावित चूरलमाला, मुंडक्कई और पुंचिरीमट्टम का हवाई सर्वे किया था।

अधिकारियों के मुताबिक, हवाई सर्वे के बाद पीएम मोदी का हेलीकॉप्टर कलपेट्टा में एसकेएमजे विद्यालय में उतरा। यहां से वह सड़क मार्ग से चूरलमाला के लिए रवाना हुए। चूरलमाला में सेना ने आपदा के बाद राहत और बचाव कार्यों में मदद के लिए 190 फुट लंबा बेली ब्रिज बनाया है। मोदी नुकसान का जायजा लेते हुए इस पुल से पैदल गुजरे। पीएम मोदी ने बचाव कर्मियों, राज्य के मुख्य सचिव वी वेणु और जिले के अधिकारियों से बातचीत की, फिर पैदल ही पत्थरों और मलबे से भरे क्षेत्र का सर्वेक्षण किया।
 
इस दौरान केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान, मुख्यमंत्री पिनराई विजयन और केंद्रीय पर्यटन व पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस राज्य मंत्री सुरेश गोपी भी उनके साथ थे। अधिकारियों ने बताया कि हवाई सर्वेक्षण में उन्होंने भूस्खलन के केंद्र बिंदु को देखा, जो इरुवाझिनजी पुझा (नदी) के उद्गम स्थल पर है। उन्होंने पुंचिरीमट्टम, मुंडक्कई और चूरलमाला के सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों का भी जायजा लिया। वायनाड से चूरलमाला के बीच प्रधानमंत्री के काफिले के मार्ग पर सैकड़ों लोग उनकी एक झलक पाने के लिए सड़कों के किनारे एकत्र थे। केरल के वायनाड जिले में 30 जुलाई को बड़े पैमाने पर हुई भूस्खलन की घटनाओं में 226 लोगों की मौत हो गई थी। क्षेत्र में कई लोग अब भी लापता हैं।
 
प्रधानमंत्री ने 30 जुलाई को वायनाड त्रासदी की सूचना मिलते ही बैठक की समीक्षा की थी। उन्होंने एनडीआरएफ, सेना, वायु सेना और नौसेना को राहत व बचाव कार्य में लगाने का निर्देश दे दिया था। सेना के तीनों अंगों और केंद्रीय बलों के साथ-साथ अग्निशमन तथा सिविल डिफेंस के 1200 से अधिक कर्मी मौके पर राहत एवं बचाव कार्य में लगा दिए थे। सेना ने वायनाड में प्रभाव क्षेत्र में 190 फुट का वेलीफुट शीघ्रता से स्थापित कर, आवागमन के लिए सुचारू बनाया। इससे राहत कार्य के लिए एंबुलेंस और भारी मशीनरी का आवागमन संभव हो सका था। केंद्र ने इलाके के दौरे के लिए अंतरमंत्रालीय दल भी भेजा है जो 8 अगस्त से दौरा कर प्रभावित इलाकों में नुकसान का जायजा ले रहा है।