उच्च न्यायालय ने मीडिया घरानों को सांसद रेड्डी के खिलाफ अपमानजनक सामग्री वाले वीडियो हटाने का निर्देश दिया

नई दिल्ली  दिल्ली उच्च न्यायालय ने राज्यसभा सदस्य वी विजय साई रेड्डी के खिलाफ मानहानि वाले वीडियो और पोस्ट हटाने तथा उनके ‘यूआरएल‘ ब्लॉक करने के निर्देश मीडिया घरानों को दिए हैं। उच्च न्यायालय ने एक अंतरिम आदेश में कहा कि यदि मीडिया संस्थान 10 दिनों के भीतर ‘यूआरएल’ नहीं हटाते हैं तो संसद सदस्य […]

उच्च न्यायालय ने मीडिया घरानों को सांसद रेड्डी के खिलाफ अपमानजनक सामग्री वाले वीडियो हटाने का निर्देश दिया

नई दिल्ली
 दिल्ली उच्च न्यायालय ने राज्यसभा सदस्य वी विजय साई रेड्डी के खिलाफ मानहानि वाले वीडियो और पोस्ट हटाने तथा उनके ‘यूआरएल‘ ब्लॉक करने के निर्देश मीडिया घरानों को दिए हैं।

उच्च न्यायालय ने एक अंतरिम आदेश में कहा कि यदि मीडिया संस्थान 10 दिनों के भीतर ‘यूआरएल’ नहीं हटाते हैं तो संसद सदस्य सोशल मीडिया मंच गूगल, मेटा और एक्स आदि से संपर्क करने और अनुरोध करने के लिए स्वतंत्र होंगे, जिन्हें 36 घंटे के भीतर ‘यूआरएल’ हटाना होगा।

अपनी टिप्पणी में उच्च न्यायालय ने अफवाहें फैलने पर नाराजगी व्यक्त की खासतौर पर तब जब इससे किसी महिला की गरिमा और किसी व्यक्ति की प्रतिष्ठा के प्रभावित होने की आशंका हो।

न्यायमूर्ति विकास महाजन ने कहा, ‘‘ऐसे बयानों के अध्ययन से यह भी पता चलता है कि उनमें से अधिकतर अफवाहों पर आधारित हैं…।’’

उच्च न्यायालय ने प्रतिवादी मीडिया घरानों और सोशल मीडिया मंचों को समन जारी कर 30 दिनों के भीतर अपने लिखित बयान दाखिल करने को कहा है। मामले में अगली सुनवाई 25 नवंबर को होगी।

रेड्डी ने अपने वाद में मीडिया घरानों के खिलाफ इस आधार पर क्षतिपूर्ति, स्थायी और अनिवार्य रोक की मांग की है कि उन्होंने कई सोशल मीडिया मंच पर उनके खिलाफ कथित रूप से झूठे, अपमानजनक, निंदनीय, अवैध और मानहानिकारक बयान दिए हैं।

वाईएसआर कांग्रेस सांसद की ओर से अधिवक्ता अमित अग्रवाल, साहिल रवीन और राहुल कुकरेजा पेश हुए और उन्होंने दलील दी कि वादी एक प्रमुख सार्वजनिक हस्ती है जो वर्तमान में आंध्र प्रदेश से राज्यसभा सांसद हैं तथा आम जनता के बीच उनकी बेदाग छवि है।

कार्यवाही के दौरान एक मीडिया घराने के वकील ने दलील दी कि जब समाचार चैनल किसी संवाददाता सम्मेलन का सीधा प्रसारण कर रहा हो तो उसके खिलाफ मानहानि का कोई आरोप नहीं लगाया जा सकता और निजता के अधिकार तथा प्रेस की स्वतंत्रता के बीच संतुलन कायम किया जाना चाहिए।

अदालत ने कहा कि प्रथम दृष्टया उसका मानना है कि वादी के वकील की दलीलों में दम है कि कथित वीडियो और पोस्ट में मानहानिकारक और अपमानजनक आरोप तथा आक्षेप हैं, जो उनकी प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाने के लिए लगाए गए हैं।