आज सनातन संस्कृति की रक्षा के लिए महिलाओं को चार-चार बच्चे पैदा करने की आवश्यकता है: प्रेमानंद महाराज

उज्जैन मैं भागवत कथा में वह बातें कहने नहीं आया हूं जो  आपके कानों को प्रिय है, बल्कि उन बातों को कह रहा हूं जो सनातन धर्म को आगे बढ़ाएगीं। वर्तमान में सभी लोग सनातन की पताका को लहराने और इस धर्म को आगे बढ़ाने की बात करते हैं, लेकिन मैं सभी को चेतावनी देते […]

आज सनातन संस्कृति की रक्षा के लिए महिलाओं को चार-चार बच्चे पैदा करने की आवश्यकता है:  प्रेमानंद महाराज

उज्जैन

मैं भागवत कथा में वह बातें कहने नहीं आया हूं जो  आपके कानों को प्रिय है, बल्कि उन बातों को कह रहा हूं जो सनातन धर्म को आगे बढ़ाएगीं। वर्तमान में सभी लोग सनातन की पताका को लहराने और इस धर्म को आगे बढ़ाने की बात करते हैं, लेकिन मैं सभी को चेतावनी देते हुए कहता हूं कि अब भी संभल जाओ, उत्तरप्रदेश के 17 जिले हमारे हाथ से चले गए हैं। कुछ ऐसे ही हालात पश्चिम बंगाल के भी है, वहां भी लोग  इसी समस्या से जूझ रहे हैं। असम में 5 लाख लोगों के पास कोई पासपोर्ट और वीजा नहीं है। मेरे कहने का सीधा सा मतलब यह है कि 25 साल पहले वे लोग 2 करोड़ थे, फिर 9 करोड़ हुए और अब 38 करोड़ हो चुके हैं। अभी भी समय है, संभल जाइए नहीं तो हिंदुस्तान भी इंडोनेशिया हो जाएगा और जल्द ही आपकी गिनती भी अल्पसंख्यकों में होने लगेगी। यह बातें पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी के महामंडलेश्वर स्वामी प्रेमानंद महाराज ने उज्जैन के बड़नगर रोड स्थित मोहनपुरा में श्री बाबाधाम मंदिर (अर्जी वाले हनुमान 81 फीट) में  श्रीमद्भागवत कथा के दौरान कही।

फिगर मेंटेन करने की बजाय चार-चार पुत्र पैदा करें महिलाएं
प्रेमानंद महाराज ने कथा के दौरान कहा कि आज सनातन संस्कृति की रक्षा के लिए महिलाओं को चार-चार बच्चे पैदा करने की आवश्यकता है। हिंदू समाज की महिलाएं 1 से 2 बच्चे करने में भी संकोच करती हैं, जबकि दूसरे समुदाय के लोग 8-8 बच्चे पैदा कर रहे हैं। हिंदू महिलाओं को चाहिए कि वे फिगर मेंटेन करने की बजाय सनातन धर्म और देश के लिए भी कुछ करें।

तो हम करेंगे आपके बच्चों का पालन
प्रेमानंद महाराज ने कथा के दौरान कहा कि अगर आपका 2 बच्चों का टारगेट है और आप 3 कर रहें है तो चिंता करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि आपके तीसरे बच्चे को हम पालन कर लेंगे। उन्होंने कहा कि इंडोनेशिया में रामलीला टिकिट से देखी जाती है। वहां कई जगह ऐसी हैं, जहां भगवान का नाम ले लिया जाए तो काटकर फेंक दिया जाता है। हमें इन्हीं समस्याओं के लिए अभी से मंथन करने के साथ जागृत भी होना होगा।