देश में रक्षाबंधन बाजार में बिक गए 1200000000000 की राखियां और उपहार
नई दिल्ली आज भाई-बहन के प्यार और सौहार्द का त्योहार रक्षा बंधन है। इस दिन बहनें भाई की कलाई पर राखी बांधती हैं। भाई भी बहन की रक्षा का संकल्प लेता है। इस अवसर पर भाई अपनी बहनों को कोई उपहार देता है। बहनें भी भाइयों को मिठाई, चॉकलेट आदि देती हैं। आजकल रक्षाबंधन पर […]
नई दिल्ली
आज भाई-बहन के प्यार और सौहार्द का त्योहार रक्षा बंधन है। इस दिन बहनें भाई की कलाई पर राखी बांधती हैं। भाई भी बहन की रक्षा का संकल्प लेता है। इस अवसर पर भाई अपनी बहनों को कोई उपहार देता है। बहनें भी भाइयों को मिठाई, चॉकलेट आदि देती हैं। आजकल रक्षाबंधन पर उपहार या गिफ्ट का चलन खूब चल गया है। अब देखिए ना, इसी साल अनुमान है कि रक्षाबंधन के अवसर पर 12,000 करोड़ रुपये से भी अधिक का कारोबार हुआ है। पिछले साल इस अवसर पर करीब 10,000 करोड़ रुपये का कारोबार हुआ था।
आंकड़ें कहां से आए
देश के करीब सात करोड़ खुदरा कारोबारियों के शीर्ष संगठन होने का दावा करने वाले कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स ( कैट) की तरफ से यह आंकड़ा आया है। कैट का कहना है कि इस वर्ष राखी के त्योहार पर देश भर में 12 हज़ार करोड़ रुपये से अधिक का कारोबार हुआ है। कल देर रात तक बाज़ारों में राखी और उपहारों की खरीददारी की ज़बरदस्त भीड़ थी। यही नहीं, लोगों में इस त्योहार के प्रति बहुत उत्साह भी खूब है। अच्छी बात यह है कि इस साल भी पिछले कई साल की तरह देश भर में स्वदेशी राखियों की ही बिक्री हुई है। इस वर्ष चीन की बनी राखियों की न तो कोई डिमांड थी और न ही बाजार में चीनी राखियां दिखायी दी।
राखी बांधने का समय
कैट की वैदिक कमेटी के अध्यक्ष तथा उज्जैन के प्रसिद्ध वेद मर्मज्ञ आचार्य दुर्गेश तारे के मुताबिक दोपहर 1.30 मिनट तक भद्रा काल है, जिसमें कोई भी मंगल कार्य निषेध है। इसलिए देश भर में राखी बांधने का शुभ मुहूर्त दोपहर 1.31 मिनट से ही सही है। कैट ने इस तरह की एडवाइजरी आज देश के सभी व्यापारी संगठनों को भेजी है और कहा है कि सभी व्यापारी शुभ समय में ही रक्षा बंधन का पर्व मनाएं।
बिक्री का टूट गया रिकार्ड
कैट के महामंत्री तथा चांदनी चौक से सांसद प्रवीन खंडेलवाल का कहना है पिछले कुछ दिनों में राखियों की मांग में भारी वृद्धि हुई है। उसी को देखते हुए अनुमान है कि इस वर्ष 12 हज़ार करोड़ रुपये का व्यापार होने की उम्मीद है। पिछले साल रक्षा बंधन के अवसर पर लगभग 10 हज़ार करोड़ रुपये का कारोबार हुआ था। वहीं साल 2022 में लगभग 7 हज़ार करोड़ रुपये, 2021 यह 6 हज़ार करोड़ रुपये का जबकि वर्ष 2020 में 5 हज़ार करोड़ रुपये, वर्ष 2019 में 3500 करोड़ तथा वर्ष 2018 में 3 हज़ार करोड़ रुपये का था।
अलग अलग इलाकों में अलग राखियां बिकींं
खंडेलवाल ने बताया कि इस वर्ष विभिन्न शहरों के मशहूर उत्पादों से विशेष प्रकार की राखियां बनाई गईं है। इनमें नागपुर में बनी खादी राखी, जयपुर में सांगानेरी कला राखी, पुणे में बीज राखी, मध्य प्रदेश के सतना में ऊनी राखी, आदिवासी वस्तुओं से बनी बांस की राखी, असम में चाय पत्ती राखी, कोलकाता की जूट राखी, मुंबई में रेशम राखी, केरल में खजूर राखी, कानपुर में मोती राखी, बिहार में मधुबनी और मैथिली कला राखी, पांडिचेरी में सॉफ्ट पत्थर की राखी, बैंगलोर में फूल राखी आदि शामिल हैं। वहीं देश का गर्व प्रदर्शित करने वाली तिरंगा राखी, वसुधैव कुटुंबकम की राखी, भारत माता की राखी आदि शामिल हैं जिनकी मांग बहुत अधिक है। इसके अलावा डिज़ाइनर राखियां तथा चांदी की राखियां भी बाजार में खूब बिक रही हैं।