साइबर तहसील के सुचारु संचालन के लिये तहसीलदार की संख्या की गई दोगुना
साइबर तहसील के सुचारु संचालन के लिये तहसीलदार की संख्या की गई दोगुना साइबर तहसील के सुचारु संचालन हेतु तहसीलदार और नायब तहसीलदारों की संख्या को बढ़ाकर दोगुना किया साइबर तहसील में अब 10 तहसीलदार और 15 नायब तहसीलदार पदस्थ होंगे 11 से बढ़ाकर की गई 25 भोपाल राजस्व मंत्री करण सिंह वर्मा ने […]
- साइबर तहसील के सुचारु संचालन के लिये तहसीलदार की संख्या की गई दोगुना
- साइबर तहसील के सुचारु संचालन हेतु तहसीलदार और नायब तहसीलदारों की संख्या को बढ़ाकर दोगुना किया
- साइबर तहसील में अब 10 तहसीलदार और 15 नायब तहसीलदार पदस्थ होंगे
- 11 से बढ़ाकर की गई 25
भोपाल
राजस्व मंत्री करण सिंह वर्मा ने बताया कि साइबर तहसील के सुचारु संचालन के लिये तहसीलदार और नायब तहसीलदारों की संख्या को बढ़ाकर दोगुना कर दिया गया है। वर्तमान में साइबर तहसील भोपाल में 8 नायब तहसीलदार और 3 तहसीलदार पदस्थ थे। तहसीलदार और नायब तहसीलदार के 7-7 पद बढ़ाये गये हैं। अब साइबर तहसील में 10 तहसीलदार और 15 नायब तहसीलदार पदस्थ होंगे।
साइबर तहसील भोपाल द्वारा प्रदेश के सभी 55 जिलों में किसानों की जमीन के क्रय-विक्रय की नामांतरण की ऑनलाइन कार्यवाही की जाती है। प्रदेश के सभी 55 जिलों में जमीन की रजिस्ट्री होने के बाद किसानों को नामांतरण के लिये आवेदन नहीं लगाना पड़ता और तहसील के चक्कर भी नहीं लगाना पड़ते। रजिस्ट्री होते ही ऑनलाइन जानकारी साइबर तहसील पहुँचती है। साइबर तहसील में तहसीलदार द्वारा नामांतरण की पूरी कार्यवाही कर नामांतरण आदेश जारी किया जाता है। यह कार्यवाही 20 दिन की अवधि में पूरी हो जाती है। कार्यवाही पूरी होने पर नामांतरण आदेश और खसरा की प्रति संबंधित के मोबाइल पर व्हाट्स-अप और एसएमएस से भेजी जाती है। पहले नामांतरण के लिये आवेदन करना होता था, खसरे में नाम चढ़वाने के लिये पटवारी से सम्पर्क करना पड़ता था। इसके बाद खसरा और खतौनी की प्रतियाँ प्राप्त करने के लिये लोक सेवा केन्द्र या कियोस्क पर भी जाना पड़ता था, जिसमें बहुत समय लगता था और कठिनाई भी होती थी। इन सभी कठिनाइयों को देखते हुए प्रदेश में साइबर तहसील की अवधारणा को सामने लागया गया। साइबर तहसील की कार्यवाही के बाद अब न तो आवेदन करना होता है और न ही तहसील के चक्कर लगाना पड़ते हैं।
एक अनुमान के मुताबिक एक वर्ष में प्रदेश में लगभग 14 लाख नामांतरण प्रकरण होते हैं। इनमें 8 लाख प्रकरण भूमि के विक्रय संबंधी प्रकरण होते हैं। इन सभी 8 लाख प्रकरणों में क्रय-विक्रय आधारित पंजीयन के बाद नामांतरण का पूरा कार्य ऑटोमेटिक, ऑनलाइन और पेपरलेस होता है। इससे नागरिकों को बहुत सुविधा मिल रही है।