अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान ने दी खुशखबरी! टेस्ट ट्यूब बेबी प्रयोग में मिली सक्सेस के बाद, शुरू होगा आईवीएफ तकनीक से इलाज
भोपाल मध्य प्रदेश के प्रतिष्ठित चिकित्सा संस्थान अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान भोपाल ने एक ओर कीर्तीमान स्थापित किया है। इससे पहले भी भोपाल एम्स ने कई मामलों में अपना झंडा गाड़ा है। फिर चाहे वह ड्रोन टेक्नॉलाजी से जीवन रक्षक दवाएं पहुंचाना हो या किसी जानलेवा बीमारी के लिए सस्ता उपचार। फिर एक बार यह संस्थान […]
भोपाल
मध्य प्रदेश के प्रतिष्ठित चिकित्सा संस्थान अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान भोपाल ने एक ओर कीर्तीमान स्थापित किया है। इससे पहले भी भोपाल एम्स ने कई मामलों में अपना झंडा गाड़ा है। फिर चाहे वह ड्रोन टेक्नॉलाजी से जीवन रक्षक दवाएं पहुंचाना हो या किसी जानलेवा बीमारी के लिए सस्ता उपचार। फिर एक बार यह संस्थान बड़ी सेवा शुरू करने वाला है। यह खबर पूरे राज्य के नि संतान दंपतियों के लिए आशा भरी खबर है।
इस तकनीक के माध्यम से बिना संतान वाले परिवार के घरों में किलकारियों गूंज पाएंगी। उन्हे भी संतान सुख मिल सकेगा। इस क्रम में एम्स ने विट्रो फर्टिलाइजेशन कार्यक्रम को शुरू करने का प्लान बनाया है। इसके लिए अस्पताल में 19 करोड़ की लागात से आईवीएफ सेंटर का निर्माण किया जाएगा।
भोपाल एम्स संस्थान ने शुक्रवार के दिन इस क्रम में आईवीएफ तकनीक की प्रक्रिया का सफल प्रयोग किया। इस दौरान आयोजित हुई वर्कशॉप में डॉक्टर और अधिकारियों ने इस तकनीक के विभिन्न परिदृश्यों पर प्रकाश डाला। टेस्ट ट्यूब बेबी की इस प्रोसेस का इस्तेमाल हर साल हजारों लोग करते हैं। इसकी जरूरत को देखते हुए इस कार्यक्रम का महत्व और बढ़ जाता है। एमपी में फिलहाल 32 आईवीएफ सेंटर काम कर रहे हैं।
कब खुलेगा सेंटर
सेंटर खुलने को लेकर मिली जानकारी के अनुसार राजधानी भोपाल में बने एम्स अस्पताल में यह प्रोसेस दिसंबर तक शुरू हो सकती है। इसके लिए करोड़ों की लगात से सभी सुविधाएं लाए जाएंगी। इसके साथ ही डॉक्टर ने बताया कि आईवीएफ से इलाज मरीज की ऐज पर, उसके खान पान के तरीके और स्वास्थ्य पर निर्भर करता है।