दुनिया की सबसे बड़ी नदी अमेजन नदी इन समय सदी के सबसे बड़े सूखे का सामना कर रही
वॉशिंगटन दुनिया की सबसे बड़ी नदी में शुमार अमेजन को मानो किसी की नजर लग गई है. इस समय नदी 121 सालों में अबतक के सबसे बड़े सूखे का सामना कर रही है. हालात ये हैं कि इस नदी का पानी अब लावा राख की तरह खौलने लगा है. इस नदी का तापमान इंसान के […]
वॉशिंगटन
दुनिया की सबसे बड़ी नदी में शुमार अमेजन को मानो किसी की नजर लग गई है. इस समय नदी 121 सालों में अबतक के सबसे बड़े सूखे का सामना कर रही है. हालात ये हैं कि इस नदी का पानी अब लावा राख की तरह खौलने लगा है. इस नदी का तापमान इंसान के तापमान से भी 2 डिग्री ज्यादा पहुंच गया है. ऐसे में लाखों जलीय जीव-जंतुओं की मौत हो गई है. मरने वाले जीवों में 150 डॉल्फिन भी शामिल हैं. अमेजन नदी में इस तरह आया सूखा वैज्ञानिकों के लिए भी बड़ी चुनौती है. अब सवाल ये उठता है कि कहीं ये किसी बड़े खतरे का संकेत तो नहीं है? और इस बड़े बदलाव का कारण क्या है?
क्यों सूख रही दुनिया की सबसे बड़ी नदी?
साल 2007 की IPCC की रिपोर्ट में ये साफ हो गया कि ग्लोबल वार्मिंग के कारण ‘‘अल नीनो जैसी स्थितियां’’ बार-बार उत्पन्न होंगी. ये इन घटनाओं के राजनीतिक और नैतिक संदर्भ को पूरी तरह से बदल देता है क्योंकि इंसानों द्वारा की जा रहीं गतिविधियों के कारण ग्लोबल वार्मिंग बढ़ रही है और इसके लिए प्रत्येक देश और यहां तक कि प्रत्येक व्यक्ति को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है.
मध्य प्रशांत महासागर में पानी के ‘‘सामान्य’’ तापमान पर लौटने की संभावना जनवरी-मार्च 2024 तक अनिवार्य रूप से शून्य होने और मई-जुलाई 2024 तक 50 प्रतिशत तक नहीं पहुंचने का अनुमान है. अमेजन क्षेत्र में तीसरे प्रकार का सूखा ‘‘अटलांटिक डिपोल’’ से है, जहां उष्णकटिबंधीय उत्तरी अटलांटिक महासागर में पानी गर्म हो जाता है, जबकि दक्षिण अटलांटिक में ठंडा पानी रहता है. ‘अटलांटिक डिपोल’ अमेजन के दक्षिण-पश्चिमी हिस्से में सूखे का कारण बनता है, जैसा कि 2005 और 2010 में हुआ था. वर्तमान ‘अटलांटिक डिपोल’ के कम से कम जून 2024 तक बने रहने का अनुमान है.
41 साल पहले आए सूखे से हुई थी 2 लाख मौतें
मध्य क्षेत्र अल नीनो पूर्वी प्रशांत क्षेत्र में गर्म पानी अब समुद्र के मध्या भाग तक फैल रहा है. जहां ये मध्य अल नीनो तेज करता है. जैसाा कि 1982 और 1997 में हुआ था.
अल नीनो के कारण उत्तरी अमेजन में भीषण सूखा पड़ता है, वेनेजुएला के साथ ब्राजील की सीमा पर स्थित रोराइमा प्रांत जंगल की आग के लिए जाना जाता है. साल 1982 के अल नीनो के कारण अमेजन में पेड़ों के नष्ट होने के अलावा, इथियोपिया और पड़ोसी अफ्रीकी देशों में सूखे के कारण 2,00,000 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी. ‘इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज’ (आईपीसीसी) की 1995 की रिपोर्ट से संकेत मिलता है कि वैश्विक जलवायु प्रणाली में कुछ बदलाव आया है, जिससे 1975 के बाद से अल नीनो की स्थिति बनने में तेजी आई है.