कांग्रेस की टिकट की खरीदी बिक्री में कौन कौन पैसा खा रहा था सामने आना चाहिए: कश्यप
रायपुर प्रदेश के वन मंत्री केदार कश्यप ने 2023 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की टिकट दिलाने के नाम पर हुए लाखों रुपए के लेन-देन के खुलासे को कांग्रेस के लोकतंत्र को कलंकित करने वाला राजनीतिक चरित्र बताया है। कश्यप ने कहा कि कांग्रेस मोहब्बत की दुकान के ढोल तो खूब पीटती रही है, लेकिन […]
रायपुर
प्रदेश के वन मंत्री केदार कश्यप ने 2023 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की टिकट दिलाने के नाम पर हुए लाखों रुपए के लेन-देन के खुलासे को कांग्रेस के लोकतंत्र को कलंकित करने वाला राजनीतिक चरित्र बताया है। कश्यप ने कहा कि कांग्रेस मोहब्बत की दुकान के ढोल तो खूब पीटती रही है, लेकिन सच्चाई यह है कि वह हर स्तर पर सौदेबाजी करने के मौके तलाशती रही है और अब टिकटों की सौदेबाजी की दुकान का भंडाफोड़ हो गया है। जैसे-जैसे समय आगे बढ़ रहा है, वैसे-वैसे कांग्रेस की काली करतूतें सामने आ रही हैं और सत्य स्थापित होता जा रहा है कि कांग्रेस में लेन-देन करने वाले नेताओं की पैठ बहुत गहरी होती है!
कश्यप ने कहा कि कांग्रेस ने राजनीति को पूरी तरीके से प्रदूषित करके सड़ांध से भर दिया है। अब संगठन और सत्ता में भ्रष्टाचार के आरोप के बाद टिकट बेचने का एक नया मामला सामने आया है, जिस पर बाकायदा थाने में एफआईआर कराके शिकायत की गई है। कश्यप ने कहा कि विधानसभा चुनाव में करारी शिकस्त के बाद दलीय लोकतंत्र के नाम पर रचा जाने वाला पाखंड कांग्रेस के असली चेहरे को परत-दर-परत जिस तरह कांग्रेस के ही लोगों ने उधेड़ कर रखा है, उससे कांग्रेस नेतृत्व को शर्म से गड़ जाना चाहिए। विधानसभा चुनाव में हार के बाद जिस तरह कांग्रेस के पदाधिकारियों पर अभद्र टिप्पणियाँ की गईं, पैसे लेकर पदों की रेवड़ी बाँटने से लेकर चुनाव की टिकट की खरीद-फरोख्त तक के आरोप लगाए गए, उससे कांग्रेस की राजनीतिक संस्कृति में रचे-बसे भ्रष्टाचार की पोल खुली है। कश्यप ने याद दिलाया कि कांग्रेस की भूपेश सरकार ने छत्तीसगढ़ को कांग्रेस का एटीएम बना रखा था, जो कांग्रेस के एक महामंत्री ने केंद्रीय नेतृत्व को भेजी अपनी एक चिठ्ठी में भी कही है कि 'दिल्ली के लिए' छत्तीसगढ़ मौज-मस्ती का अड्डा बन गया था। भ्रष्टाचार कांग्रेस के डीएनए में जिस तरह रच-बस गया है, उसके चलते कांग्रेस भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे संगठन पदाधिकारियों पर सख्त कार्रवाई करने का नैतिक साहस नहीं जुटा पा रहा है।