किचन की दिशा से जानें कैसे Character के मालिक हैं आप
किचन को लेकर जन साधारण के मन में यह बात वास्तुविदों द्वारा बैठा दी गई है कि किचन केवल आग्नेय कोण में होना चाहिए, परंतु ऐसा बिल्कुल नहीं है, जिन घरों में किचन उत्तर दिशा में होता है उन घरों की स्त्रियां बुद्धिमान तथा स्नेह रखने वाली होती हैं। उस परिवार के पुरुष सरलता से […]
किचन को लेकर जन साधारण के मन में यह बात वास्तुविदों द्वारा बैठा दी गई है कि किचन केवल आग्नेय कोण में होना चाहिए, परंतु ऐसा बिल्कुल नहीं है, जिन घरों में किचन उत्तर दिशा में होता है उन घरों की स्त्रियां बुद्धिमान तथा स्नेह रखने वाली होती हैं। उस परिवार के पुरुष सरलता से अपना कारोबार करते हैं और सफलता पाकर अच्छा धन कमाते हैं।
ईशान कोण में : ईशान कोण में किचन होने पर वहां रहने वाले परिवार के सदस्यों को सामान्य सफलता मिलती है। उस परिवार की बुजुर्ग महिला, पत्नी, बड़ी बेटी या बड़ी बहू धार्मिक प्रवृत्ति की होती है, परंतु घर में कलह भी होती है।
पूर्व दिशा में : वह घर जहां पूर्व दिशा में किचन होता है उस घर में पैसे की आवक अच्छी रहती है, परंतु घर की पूरी कमान पत्नी के पास होने के बाद भी पत्नी की खुशियों में कमी रहती है साथ ही उसे पित्त की शिकायत, यूट्रस डिस्आर्डर, स्नायु तंत्र की दुर्बलता आदि की समस्या रहती है।
आग्नेय कोण में : किचन की यह स्थिति बहुत शुभ होती है। आग्नेय कोण में किचन होने पर घर की स्त्रियां खुश रहती हैं। समस्त प्रकार के सुख रहते हैं और घर की मालकिन की सत्ता किचन में चलती है।
दक्षिण दिशा में : यहां किचन होने से परिवार में मानसिक अशांति बनी रहती है। घर के मालिक को क्रोध अधिक आता है और उसका स्वास्थ्य साधारण रहता है।
नैऋत्य कोण में : जिन घरों में किचन नैऋत्य कोण में होता है, उस घर की मालकिन ऊर्जा से भरपूर, उत्साहित एवं रोमांटिक तबीयत की होती है, किन्तु मालिक-मालकिन को समय नहीं दे पाता है जिस कारण आपसी खटपट होती है।
पश्चिम दिशा में : ऐसा घर जहां किचन पश्चिम दिशा में होता है, उस घर का सारा कार्य घर की मालकिन देखती है। उसे अपनी बहू-बेटियों से काफी खुशियां प्राप्त होती हैं। उनके किचन में घर की सभी महिला सदस्यों में आपसी तालमेल अच्छा बना रहता है, परंतु यहां किचन होने से खाने-पीने के सामान की बर्बादी ज्यादा होती है। ऐसे किचन में हमेशा जरूरत से ज्यादा बनी या आई खाद्य सामग्री बांटनी ही पड़ती है।
वायव्य कोण में : जिनके घर का किचन वायव्य कोण में होता है, उस घर का मुखिया रोमांटिक होता है, जिसकी कई महिला मित्र होती हैं। घर की बेटी को यूट्रस की समस्या होती है और उसे बदनामी का भी सामना करना पड़ सकता है।
मकान की चौड़ाई कम होने के कारण कई जगहों पर किचन एक से अधिक दिशाओं में फैला होता है। उदाहरण के लिए घर की चौड़ाई केवल 10 फुट है और पश्चिम दिशा में स्थित किचन घर की पूरी चौड़ाई में नैऋत्य कोण से वायव्य कोण तक फैला हुआ है। ऐसी स्थिति में किचन होने पर नैऋत्य कोण, पश्चिम दिशा एवं वायव्य कोण तीनों का मिला-जुला प्रभाव वहां रहने वाले परिवार पर पड़ेगा।