इंदौर जिला अदालत के नए भवन निर्माण के ठेके की जांच सरकार अब हाईपावर कमेटी से कराएगी

भोपाल इंदौर जिला अदालत के नए भवन निर्माण के ठेके की जांच सरकार अब हाईपावर कमेटी से कराएगी। इसमें बिना अर्थदंड लगाए ठेका निरस्त करने और दूसरा ठेका देने में गड़बड़ी की शिकायत है। ठेका निरस्त करने पर ठेकेदार से जो राशि वसूली की जानी थी, वह नहीं की गई। इसकी अनुशंसा विभाग के अधिकारियों […]

इंदौर जिला अदालत के नए भवन निर्माण के ठेके की जांच सरकार अब हाईपावर कमेटी से कराएगी

भोपाल
इंदौर जिला अदालत के नए भवन निर्माण के ठेके की जांच सरकार अब हाईपावर कमेटी से कराएगी। इसमें बिना अर्थदंड लगाए ठेका निरस्त करने और दूसरा ठेका देने में गड़बड़ी की शिकायत है। ठेका निरस्त करने पर ठेकेदार से जो राशि वसूली की जानी थी, वह नहीं की गई। इसकी अनुशंसा विभाग के अधिकारियों की समिति ने की थी।

सरकार को 63 करोड़ का लगा चूना
इस लापरवाही के कारण शासन को 63 करोड़ रुपये की हानि हुई। मामले की गंभीरता को देखते हुए अब सरकार ने हाईपावर कमेटी बनाई है। इसका अध्यक्ष लोक निर्माण विभाग के उप सचिव एआर सिंह और सदस्य विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी राजेश कागरा के साथ अवर सचिव एसएस वर्मा को बनाया है। इन्हें तीन दिन में रिपोर्ट देनी है।

विभागीय अधिकारियों का कहना है कि जिला न्यायालय इंदौर के भवन निर्माण के लिए विधि विभाग ने 28 सितंबर 2018 को 411 करोड़ रुपये की स्वीकृति दी थी। तीन जनवरी 2019 को महाराष्ट्र की हर्ष कंस्ट्रक्शन को 319 करोड़ रुपये में काम का ठेका दिया गया। शिकायत में कहा गया कि भवन निर्माण के लिए स्थान न मिलने और अन्य कारणों से विलंब होने के कारण ठेकेदार ने महंगाई बढ़ने संबंधी प्रावधान के अनुसार, 100 प्रतिशत दर बढ़ाने की मांग की गई। अनुबंध में इसका प्रावधान नहीं था। इसके निर्धारण के लिए विभाग के सचिव आरके मेहरा की अध्यक्षता में समिति बनाई गई। इसने 15 फरवरी 2023 को रिपोर्ट दी कि 100 प्रतिशत की सीमा तक मूल्य परिवर्तन राशि का भुगतान नहीं किया जा सकता है। ठेकेदार की इस मांग को अस्वीकार कर अनुबंध की धारा 27.2 (पेनाल्टी सहित) के स्थान पर धारा 27.4 (बिना पेनाल्टी) के तहत काम बंद करने की अनुशंसा की।

विधि विभाग ने अनुबंध के प्रावधान के अनुसार, कार्रवाई करने के लिए लोक निर्माण विभाग को लिखा पर अप्रैल 2023 में फिर से चार सदस्यीय समिति बनी, जिसने बिना पेनाल्टी के अनुबंध समाप्त करने का निर्णय लिया। 10 मई 2023 को नई निविदा आमंत्रित कर ली गई। इसको लेकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका भी दायर हुई, जिसमें भवन के शेष कार्य के लिए नई एजेंसी के चयन पर आपत्ति उठाई गई।

नया अनुबंध में निरस्त
नई एजेंसी के साथ हुआ अनुबंध भी निरस्त कर दिया गया। हाईकोर्ट ने इस मामले में वस्तुस्थिति को लेकर शपथ पत्र मांगा। प्रमुख अभियंता भवन शालिगराम बघेल की ओर से अगस्त 2024 में शपथ दिया गया कि प्रकरण में कोई अधिकारी दोषी नहीं है। अब इस मामले में हाईपावर से जांच कराने का निर्णय लिया गया है।

विभाग के उप सचिव नियाज अहमद खान ने जिला न्यायालय भवन निर्माण में 63 करोड़ रुपये की क्षति होने संबंधी शिकायत की जांच के लिए उप सचिव एआर सिंह की अध्यक्षता में दो सदस्यीय समिति बनाई है। इसका सदस्य विभाग के विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी राजेश कागरा और अवर सचिव एसएस वर्मा होंगे। इन्हें तीन दिन में रिपोर्ट देने के निर्देश दिए हैं।