नयी दिल्ली, हिंदू पौराणिक कथाओं के चुनिंदा कथानकों और उनसे संबंधित आकृतियों की एक नया रूप में प्रस्तुत करती हुई हैदराबाद की चित्रकार अर्पिता रेड्डी की तूलिका से उभरे आधुनिक भित्ति-चित्रों की एक प्रदर्शनी-‘विश्वात्मा’ का राजधानी में आयोजन किया गया है।
इंडिया गेट गोल चक्कर के समीप बीकानेर हाउस में लगी इस इस आठ दिवसीय प्रदर्शनी के मुख्य रूप से तीन खंड हैं जिनमें कुल 50 से अधिक कृतियां देश की पौराणिक कथाओं के महत्व और श्रेष्ठता से परिचय कराती है। इसके पहले खंड में ‘नामम’ शीर्षक के तहत अर्पिता की 16 पेंटिंग रखी गयी हैं जिनमें वैष्णव तिलक को विभिन्न रंगों में दर्शाया गया है।
दूसरा खंड ‘सुमंगला’ नाम से है जिसमें 15-पेंटिंग है। इनमें शुभ प्रतीकों के संयोजन के रूप में दर्शाया गया है।
‘दशावतार’ शीर्षक तीसरे खंड में 10 पवित्र अभिव्यक्तियों को चित्रित करने वाले तैल चित्र हैं।
कलाकर अर्पिता का कहना है कि इन तैल चित्रों की इस प्रदर्शनी का उद्देश्य उपमहाद्वीप के प्राचीन भित्ति-चित्रों के सौंदर्यशास्त्र को आगे ले जाने का प्रयास है।
प्रख्यात कुचिपुड़ी नर्तक प्रतिपादक राजा रेड्डी ने बुधवार शाम को ‘विश्वात्मा’ का उद्घाटन करते हुए चित्रकार अर्पिता की प्रतिभा और लगन की सराहना की।
पद्म भूषण से सम्मानित श्री रेड्डी ने शो में कहा, “अर्पिता राजनीति विज्ञान में एमए हैं, और फिर भी विजुअल आर्ट (दृश्य कला) के अपने जुनून को पूरी तरह से अपनाने में सक्षम हैं। अपनी इस कला रूप में वह केरल के भित्ति-चित्रों के अलावा पट चित्र, फड़, थंगल, चेरियल, तंजौर और कलमकारी के कई रूपों के साथ मिश्रित करती हैं। पिछले दो दशकों से वह कला के नए-नए आयाम रच रही हैं।”
पूर्व वित्त मंत्री पी.चिदंबरम ने दीर्घा में लगी प्रदर्शनी का अवलोकन किया। उन्होंने कहा कि कलाकृतियां ”बहुत प्रभावशाली हैं, विशेष रूप से उनकी रंग योजना प्रशंसनीय है। कैनवास का आकार और चमकीले रंगों का चयन, कलाकार अर्पिता की कला को बहुत प्रभावशाली बनाता है।”
अर्पिता रेड्डी ने कहा, ”मैं अपने चित्रों में विषयों को दोहराने से बचती हूं। पारंपरिक भित्ति-चित्रकार (म्यूरिलस्ट) बड़े पैमाने पर विषयों (थीम) के एक निश्चित संग्रहों से चिपके रहते हैं। अपने लिए एक अलग विषय खोजने के लिए मैं घिसे-पिटे रास्तों से दूर रहना पसंद करती हूं।” इस प्रदर्शनी की क्यूरेटर उमा नायर ने कहा, ”अर्पिता पारंपरिक प्रतिमा विज्ञान का उपयोग उन तरीकों से करती है, जो इसे समकालीनता प्रदान करते हैं। उनके डिजाइन उपमहाद्वीप के लघुचित्रों के साथ-साथ पौराणिक तत्वों से भरे हुए हैं। भित्ति-चित्र देखने से ऐसा लगता है मानो वे पुराणों की कहानी सुना रहे हों।”
उद्घाटन समारोह में बीकानेर हाउस के रेजिडेंट कमिश्नर धीरज श्रीवास्तव और कई कलाकारों सहित अन्य गणमान्य उपस्थित थे। प्रदर्शनी पूर्वाह्न 11 बजे से शाम सात बजे तक खुली है