विवेक झा, भोपाल। आयकर विभाग ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए रिटर्न फाइल करने वालों को लेकर एक अहम गाइडलाइन जारी की है। इस गाइडलाइन में बताया गया है कि किन-किन करदाताओं के मामलों की अनिवार्य और विस्तृत जांच (Complete Scrutiny) की जाएगी। यह फैसला उन मामलों पर लागू होगा, जिनमें सरकार को कर चोरी, बेनामी संपत्ति या विदेशी निवेश की गड़बड़ी का संदेह है। इस फैसले का सीधा असर उन व्यक्तियों और संस्थाओं पर पड़ेगा जो टैक्स चोरी या संपत्ति छिपाने के मामलों में शामिल रहे हैं। हालांकि आम करदाता, जो नियमित रूप से सही तरीके से रिटर्न भरते हैं, उन्हें चिंता करने की जरूरत नहीं है।
क्यों आई ये गाइडलाइन
सरकार और आयकर विभाग टेक्नोलॉजी की मदद से अब कर प्रणाली को अधिक पारदर्शी और जवाबदेह बना रहे हैं। टैक्स चोरी रोकने और देश में ईमानदारी से टैक्स भरने वालों को प्रोत्साहित करने के लिए यह ज़रूरी था कि ऐसे मामलों की गंभीरता से जांच हो, जहां शक की गुंजाइश हो।
आयकर विभाग ने डिजिटल डेटा और पिछली कार्रवाईयों के आधार पर कुछ प्रमुख मामलों को चिन्हित किया है, जिन्हें अब बिना किसी छूट के पूरी तरह से स्क्रूटनी में लाया जाएगा।
किन लोगों की होगी अनिवार्य जांच
- सर्वे के बाद के मामले (Section 133A)
अगर आपके यहां 1 अप्रैल 2023 के बाद आयकर विभाग ने सर्वे किया है (बिना छापे के), तो आपका रिटर्न अनिवार्य रूप से विस्तृत जांच के लिए चुना जाएगा। यह खासतौर पर उन व्यापारियों और संस्थाओं पर लागू होता है जिन पर टैक्स विभाग को आय में हेरफेर का संदेह है। - बेनामी संपत्ति से जुड़े करदाता
अगर कोई व्यक्ति या संस्था बेनामी संपत्ति अधिनियम के अंतर्गत संदिग्ध पाई गई है, और विभाग को सूचना मिली है कि उनके नाम पर संपत्ति किसी और के लिए है, तो ऐसे मामलों की भी पूरी स्क्रूटनी होगी। - विदेशी संपत्ति और अघोषित आय
जिन लोगों ने विदेशी बैंकों में पैसा जमा किया है, या विदेश में संपत्ति खरीदी है, लेकिन उसका खुलासा टैक्स रिटर्न में नहीं किया गया, उनके मामले भी अब विभाग की निगरानी में हैं। ‘ब्लैक मनी एक्ट’ के तहत ऐसे मामलों पर अलग से कार्रवाई की जाएगी। - छापे और जब्ती के मामले (Search Cases)
जिन पर विभाग ने छापा मारा है, या जिनसे बड़ी मात्रा में नकद, दस्तावेज़ या बेनामी संपत्तियां जब्त हुई हैं, उनके मामले स्वतः ही स्क्रूटनी के लिए चुने जाएंगे। इसमें उनके सहयोगियों या संबंधित कंपनियों को भी जांच में शामिल किया जा सकता है। - विवादास्पद या पुराने गंभीर केस
अगर किसी टैक्सपेयर के केस में लगातार विसंगतियां मिल रही हैं, या पूर्व वर्षों में भी संदेहास्पद गतिविधियां सामने आई हैं, तो ऐसे मामलों को भी सिस्टम द्वारा चिन्हित कर जांच की जाएगी।
जांच की प्रक्रिया कैसी होगी
इन मामलों में आयकर विभाग संबंधित करदाता को धारा 143(2) के तहत नोटिस जारी करेगा। इसके बाद करदाता को अपने आय और खर्च से जुड़े दस्तावेज़, बैंक स्टेटमेंट, कारोबार का ब्योरा और अन्य प्रमाण जमा करने होंगे।
यह पूरी प्रक्रिया डिजिटल मोड के जरिए भी हो सकती है, और विभाग चाहे तो व्यक्तिगत पूछताछ भी कर सकता है।
इस पूरी प्रक्रिया की निगरानी केंद्रीय रूप से आयकर निदेशालय करेगा। जांच की गति, दिशा और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए तकनीकी टीम और जाँच अधिकारी साथ मिलकर कार्य करेंगे।
आम आदमी और करदाता के लिए क्या सीख
इस नई व्यवस्था से ईमानदार करदाताओं को घबराने की जरूरत नहीं है। यह कदम उन लोगों के खिलाफ है जो जानबूझकर आय छिपाते हैं, गलत जानकारी देते हैं या काले धन को सफेद करने की कोशिश करते हैं।
कर सलाहकारों का मानना है कि
- करदाता को समय पर आयकर रिटर्न फाइल करना चाहिए।
- बैंकिंग, निवेश, प्रॉपर्टी आदि से जुड़े सभी दस्तावेज़ों को सही ढंग से सहेज कर रखना चाहिए।
- अगर कोई गलती होती है, तो विभाग को समय रहते सूचित करना चाहिए।
टैक्स सिस्टम हो रहा है स्मार्ट, करदाता रहें सतर्क
राजधानी भोपाल के सीए राजेश जैन ने बताया कि यह गाइडलाइन इस ओर इशारा करती है कि अब सरकार डेटा एनालिटिक्स, AI-बेस्ड ट्रैकिंग और डिजिटल निगरानी के जरिए टैक्स मामलों की निगरानी कर रही है। आने वाले समय में और अधिक पारदर्शिता और अनुशासन की उम्मीद की जा रही है। जो लोग ईमानदारी से कर चुकाते हैं, उनके लिए यह एक अच्छा संकेत है। लेकिन जो लोग टैक्स चोरी की राह अपनाते हैं, उनके लिए यह सख्त चेतावनी भी है।