‘ऑपरेशन सारथी’ की हुंकार — चेक पोस्टों पर हो रही वसूली के खिलाफ ट्रक ड्रायवरों की आवाज, PM-सीएम को लिखा शिकायती पत्र

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विवेक झा, भोपालजुलाई 2025
देशभर के ट्रक चालकों और परिवहन व्यवसाय से जुड़े लोगों की लगातार हो रही परेशानियों को लेकर अब संगठनों ने संगठित रूप से मोर्चा खोल दिया है। ‘भाईचारा राजमार्ग परिवहन सेवा (BRPS), शिवाजी वाहन चालक अन्ड संचालक एसोसिएशन नागपुर, एवं गोपाल परिवार फाउंडेशन द्वारा ऑपरेशन सारथी अभियान की शुरुआत की गई है, जिसके अंतर्गत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीगृह मंत्री अमित शाहमध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादवपरिवहन मंत्री उदय प्रताप सिंह, एवं परिवहन आयुक्त विवेक शर्मा को एक विस्तृत शिकायती पत्र भेजा गया है। इसकी जानकारी आज मीडिया को दी गई। इस अवसर पर सुनिल सिंह, सचिन पाण्डे, कल्पना लोखन्डे, वनमाला रामटेक, अंकित श्राप, सारथी मनीष खडसे आदि भी उपस्थित रहे।

इस पत्र में चेक पोस्टों पर हो रही मनमानी, भ्रष्टाचार, अवैध वसूली और ड्रायवरों के शोषण का कड़ा विरोध करते हुए सरकार से त्वरित हस्तक्षेप की मांग की गई है।

क्या है शिकायत की मुख्य बातें

भाईचारा राजमार्ग परिवहन सेवा के अध्यक्ष नरेन्द्र मिश्रा शिवाजी वाहन चालक अन्ड संचालक एसोसिएशन नागपुर के अध्यक्ष दिनेश अग्रवाल व गोपाल परिवार फाउंडेशन के संचालक प्रहलाद अग्रवाल द्वारा लिखे गए पत्र में बताया गया है कि:

  • देशभर के हाईवे और चेक पोस्टों पर ड्रायवरों सेगैरकानूनी तरीके से पैसे वसूले जा रहे हैं
  • परिवहन अधिकारियों द्वारा चालकों को अनावश्यक रूप से रोककर, चालान या दस्तावेजों के नाम पर प्रताड़ित किया जाता है।
  • ड्रायवरों से व्यवहार अपमानजनक होता है, जिससे उनमें भय, तनाव और असुरक्षा की भावना घर कर रही है।
  • यह स्थिति देश केआत्मनिर्भर भारत अभियान और ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस की भावना के विपरीत है।

पत्र में सरकार से रखी गई प्रमुख मांगें

  1. सभी चेक पोस्टों पर पारदर्शिता लागू हो– CCTV निगरानी और डिजिटल रिकॉर्डिंग की व्यवस्था की जाए।
  2. RTOS और निरीक्षण अधिकारियों की जवाबदेही तय हो।
  3. ड्रायवरों के साथ हो रहे अमानवीय व्यवहार को तुरंत रोका जाए।
  4. मनमाने चालानों और अवैध वसूली में संलिप्त अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई हो।
  5. ड्रायवरों के लिए हेल्पलाइन और शिकायत निवारण पोर्टल शुरू किया जाए।

क्यों जरूरी हुआ ऑपरेशन सारथी

नरेन्द्र मिश्रा और दिनेश अग्रवाल ने बताया कि जो ट्रक ड्रायवर दिन-रात देश की ज़रूरतें पूरी करने के लिए सड़क पर हैं, वही आज सबसे ज़्यादा अपमान और शोषण का शिकार हो रहे हैं।”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि बिना किसी राजनीतिक रंग या स्वार्थ के यह अभियान सिर्फ इंसानियत और सिस्टम में सुधार के लिए शुरू किया गया है।

सरकार से सीधा संवाद

पत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री मोहन यादव से सीधा हस्तक्षेप करने की अपील की गई है। साथ ही यह भी कहा गया है कि अगर समय रहते इन समस्याओं का समाधान नहीं किया गया, तो ‘ऑपरेशन सारथी’ को देशव्यापी जन आंदोलन में बदला जा सकता है।

ड्राइवरों की प्रमुख परेशानियां

  1. बिना कारण रोकना और पूछताछ:
    ड्राइवरों का कहना है कि उन्हें घंटों तक रोका जाता है, कभी दस्तावेजों की जांच के नाम पर तो कभी ‘रूट परमिट’ के बहाने।
  2. अवैध वसूली:
    कई चेक पोस्टों परस्थानीय पुलिस या परिवहन विभाग के कर्मचारी खुलेआम नकद वसूली करते हैं, जो न तो रसीद देते हैं और न ही पूछताछ का कोई वैध आधार बताते हैं।
  3. डिजिटल ट्रैकिंग का बहाना:
    “जीपीएस लोकेशन या फास्टैग रिकॉर्ड” की जांच के नाम पर ट्रकों को रोका जाता है, लेकिन असल में उन्हें चाय-पानी या सुविधा शुल्क देने पर ही आगे जाने दिया जाता है।
  4. समय की बर्बादी:
    चेक पोस्ट पर लगने वाला औसतन 30 मिनट से 1 घंटे का समयडिलीवरी में देरी का कारण बन रहा है। इससे ड्राइवरों को आगे के ठिकानों पर पेनाल्टी भी भुगतनी पड़ रही है।
  5. भाषा और व्यवहार:
    कई राज्यों में स्थानीय पुलिस और अधिकारी भाषा के आधार पर बाहर से आए ड्राइवरों के साथ गलत व्यवहार करते हैं। अपमानजनक शब्दों और धमकी की घटनाएं आम होती जा रही हैं।
  6. दस्तावेजों की मनमानी जांच:
    बीमा, फिटनेस, ट्रांसपोर्ट परमिट और माल लोडिंग स्लिप की जांच के नाम परउत्पीड़न किया जाता है। जो कागज़ात पूरी तरह वैध भी हों, उन्हें खामियों के नाम पर खारिज किया जाता है।

सरकार की दलील

परिवहन मंत्रालय का कहना है कि इन चेक पोस्टों का मकसद टैक्स चोरी रोकना, ओवरलोडिंग पर निगरानी रखना और अवैध परिवहन गतिविधियों को रोकना है। लेकिन मंत्रालय इस बात को नकार नहीं रहा कि कुछ स्थानों पर अधिकारियों द्वारा मनमानी और भ्रष्टाचार की शिकायतें मिल रही हैं।

‘ऑपरेशन सारथी’ अब सिर्फ एक अभियान नहीं, बल्कि देश के लाखों ट्रक चालकों की आवाज बनता जा रहा है। यह आंदोलन व्यवस्था में पारदर्शिता, इज्जत और न्याय की मांग कर रहा है। यदि शासन-प्रशासन इस पर शीघ्र ध्यान नहीं देता, तो यह मुद्दा आने वाले दिनों में परिवहन व्यवस्था और राष्ट्रीय आपूर्ति तंत्र को गहराई से प्रभावित कर सकता है।

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