संजीवनी मोबाइल यूनिट से मिल रहा बैगा, भारिया, सहरिया को जीवनदान, आदिवासियों के लिए चलता-फिरता चमत्कार

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छिंदवाड़ा
 गांवों में मेडिकल सुविधाएं एक ऐसी परेशानी है, जिससे लोगों की जान को भी खतरा होता है। अब PVGT (पर्टिकुलरली वल्नरेबल ट्राइबल ग्रुप) के लोगों को छोटी बीमारियों के इलाज के साथ कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों के बारे में भी समय पर जानकारी मिल रही है।

मोबाइल यूनिट से मिल रहा बैगा, भारिया, सहरिया को जीवनदान
मध्य प्रदेश की तीन प्रमुख जनजातियों, जिनमें बैगा, भारिया और सहरिया शामिल हैं, को मेडिकल सुविधाएं देने के लिए मोबाइल मेडिकल यूनिट उनके घर तक पहुंच रही है। आदिवासी इलाकों, जहां से अस्पताल दूर है या लोग जानकारी के अभाव में इलाज कराने नहीं जाते, ऐसे लोगों तक ये यूनिटें पहुंचकर जानकारी देने के साथ उन्हें प्राथमिक उपचार भी देती हैं।

थ्रोट और ब्रेस्ट कैंसर समेत कई बीमारियों की स्क्रीनिंग
मध्य प्रदेश के जिलों में सिर्फ आदिवासी इलाकों के लिए 4-5 यूनिट लगाई गई है। इन यूनिटों में थोट और ब्रेस्ट कैसर की स्क्रीनिंग होती है। ऐसे में अगर किसी में इस प्रकार के लक्षण दिखते हैं, तो उन्हें समय पर जानकारी देकर बड़े अस्पतालों में रेफर किया जाता है। इन यूनिटों में डॉक्टर, नर्स और लैब टेक्नीशियन समेत 6 लोग होते हैं। इनमें टीबी, शुगर और बीपी की भी जांच की जा रही है।

महीने में 2 से 3 बार आदिवासी इलाकों में जाती है यूनिट
विदिशा के डिप्टी कलेक्टर संतोष बिलोलिया ने बताया कि यह यूनिट महीने में 2-3 बार आदिवासी इलाको में जाकर लोगों की जांच करती है और उन्हें दवाएं भी दी जाती है।

गंभीर बीमारियों में मिल रही मदद
छिंदवाड़ा के आदिवासी कल्याण विभाग के असिस्टेंट कमिश्नर एस.एस. मरकाम ने बताया कि नगरी ढुंगरा गांव में जांच के दौरान 10 लोगों में हाई शुगर होने का पता चला था, जबकि उन्हें इस बारे में कोई जानकारी ही नहीं थी। उन्होंने बताया कि कई बार आदिवासी इलाकों में लोग छोटी-मोटी दिक्कतों के लिए डॉक्टर के पास नहीं जाते हैं। इन यूनिटों के जरिए मेडिकल सुविधाएं अब उन तक पहुंच रही है।

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