भोपाल। देश में मिलावटी खाद्य पदार्थों का खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है और अब यह स्वास्थ्य आपातकाल की स्थिति की ओर इशारा कर रहा है। कैट (कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स) के पूर्व प्रदेश महामंत्री रमाकांत तिवारी ने केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा है कि सरसों तेल और शुद्ध घी जैसे प्रमुख खाद्य उत्पादों में 90% तक मिलावट की जा रही है, और सरकार इसे रोकने में पूरी तरह नाकाम रही है।
रमाकांत तिवारी ने प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से चेतावनी दी है कि अगर केंद्र सरकार ने समय रहते ठोस कार्रवाई नहीं की, तो देश में बीमारियों का ग्राफ और तेजी से बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि मिलावट सिर्फ सरसों तेल और घी तक सीमित नहीं है, बल्कि अन्य खाद्य वस्तुओं जैसे मसाले, दूध, दालें, आटा और यहां तक कि सब्जियों तक में भी जहरीले रसायनों और मिलावटखोरी का सिलसिला चल रहा है।
मिलावट से स्वास्थ्य पर पड़ रहा है गहरा असर
विशेषज्ञों की मानें तो मिलावटी खाद्य पदार्थों के सेवन से लोगों में कैंसर, हृदय रोग, पेट की बीमारियां, किडनी फेलियर और त्वचा संबंधी रोगों की संभावना कई गुना बढ़ गई है। ऐसे में जब 90% तक खाद्य तेल और घी जैसे रोजमर्रा के उपयोग में आने वाले उत्पाद मिलावटी हो चुके हों, तो यह स्थिति बेहद चिंताजनक है।
खाद्य सुरक्षा पर उठे सवाल
रमाकांत तिवारी ने सवाल उठाया है कि आखिर खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) और केंद्र सरकार की एजेंसियां क्या कर रही हैं? जब जांच रिपोर्ट और बाजार सर्वे यह स्पष्ट कर रहे हैं कि खाद्य उत्पादों में भारी स्तर पर मिलावट हो रही है, तब भी सरकार की चुप्पी इस बात की ओर इशारा करती है कि कहीं न कहीं मिलीभगत जरूर है।
उपभोक्ता बन रहे हैं शिकार
रमाकांत तिवारी ने कहा कि बाजार में आम उपभोक्ता “शुद्धता के नाम पर ज़हर” खरीदने को मजबूर है। लोग अपने बच्चों और परिवार के स्वास्थ्य की कीमत पर नकली और खतरनाक खाद्य उत्पादों का सेवन कर रहे हैं, जिसकी जिम्मेदारी पूरी तरह सरकार की है। उन्होंने कहा, “सरकार को यह समझना चाहिए कि यह सिर्फ उपभोक्ता का मुद्दा नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के स्वास्थ्य का सवाल है।”
त्वरित कार्रवाई की मांग
तिवारी ने केंद्र सरकार से मांग की है कि
-
खाद्य तेल और शुद्ध घी सहित सभी खाद्य उत्पादों की नियमित जांच की जाए।
-
मिलावट करने वालों पर सख्त सज़ा और लाइसेंस रद्द करने जैसी कार्रवाई हो।
-
जनजागरूकता अभियान चलाया जाए ताकि लोग पहचान सकें कि असली और नकली में अंतर कैसे करें।
-
स्थानीय निकाय और प्रशासन को भी जवाबदेह बनाया जाए।
देश इस वक्त एक गंभीर स्वास्थ्य संकट की ओर बढ़ रहा है, जिसका मूल कारण बाजार में धड़ल्ले से बिक रहे मिलावटी खाद्य पदार्थ हैं। रमाकांत तिवारी की यह चेतावनी न सिर्फ सरकार को आईना दिखाती है बल्कि हर नागरिक को सतर्क होने की सलाह भी देती है। यह समय है कि सरकार जागे और मिलावट के खिलाफ युद्धस्तर पर कार्रवाई करे, ताकि जनता को शुद्ध और सुरक्षित भोजन मिल सके।